गुवाहाटी। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. सैयद मुमिनुल औवल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी अब एक अखिल भारतीय संगठन नहीं रही, बल्कि यह बंगाली मूल के मुस्लिमों का एक सीमित संप्रदायिक गुट बन गई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 15 मुस्लिम विधायकों में से 14 बंगाली मूल के हैं।
डॉ. औवल ने दावा किया कि कांग्रेस अब मुस्लिम लीग जैसी पार्टी बन चुकी है, जिसकी वैचारिक दिशा बंगाली मूल के मुस्लिम नेताओं द्वारा ही तय की जाती है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से ही कांग्रेस ने असम में अवैध मुस्लिम घुसपैठियों को बसाने में भूमिका निभाई है और उनकी घुसपैठ को बढ़ावा दिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का झुकाव पाकिस्तान और बांग्लादेश की ओर रहा है। 1971 युद्ध में भारत की विजय के बावजूद, उस समय की कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय हितों की रक्षा में कठोर निर्णय नहीं लिए। विशेष रूप से "चिकन नेक" कॉरिडोर के संदर्भ में कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टिकरण का रवैया साफ झलकता है।
डॉ. औवल ने यह भी कहा कि असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) के अध्यक्ष के रूप में ग़ौरव गोगोई की नियुक्ति इसी शक्ति गुट के प्रभाव का परिणाम है। उन्होंने दावा किया कि बांग्लादेश में राजनीतिक बदलाव के बाद ग़ौरव गोगोई की ताजपोशी पर बांग्लादेश, अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों और असम में रह रहे बंगाली मूल के मुस्लिमों में खुशी का माहौल देखा गया- यह खुद में एक चिंताजनक संकेत है।
औवल के अनुसार, कांग्रेस के अधिकांश मुस्लिम विधायक दिल्ली में एआईयूडीएफ नेता और रकीबुल हुसैन के साथ मिलकर भूपेन बोरा को हटाने में लगे थे। अंततः उसी रकीबुल हुसैन के संरक्षण में- जिन्हें औवल ने "राइनो किलिंग के मास्टरमाइंड" के रूप में संदर्भित किया- ग़ौरव गोगोई को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया।
डॉ. औवल ने तंज कसते हुए कहा कि अब कांग्रेस में वैचारिक परिवर्तन इतना गहरा हो चुका है कि ग़ौरव गोगोई अब आशीर्वाद नहीं, बल्कि 'दुआ' मांगते हैं। यह कांग्रेस के भीतर मुस्लिम लीग-प्रकार के आधार का असर दिखाता है।
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