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राहुल गांधी बोले- मेरी जान को खतरा; अदालत से की अतिरिक्त सुरक्षा की मांग!

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पुणे। कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को पुणे की विशेष अदालत में पेशी के दौरान अपनी जान को खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर पर टिप्पणी के कारण मुझे जान का खतरा है। राहुल ने कहा कि दो नेताओं ने मुझे धमकी दी थी। अदालत में सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के वकील मिलिंद पवार ने आरोप लगाया कि मौजूदा राजनीतिक माहौल और कुछ नेताओं के विवादित बयानों से सांसद राहुल गांधी की जान को गंभीर खतरा है।
राहुल गांधी की तरफ से मौजूद अधिवक्ता मिलिंद पवार ने अदालत में बताया कि बीजेपी नेता बिट्टू ने उन्हें आतंकवादी तो दूसरे भाजपा नेता तरविंदर मारवाह ने खुले तौर पर धमकी दे दी कि अगर राहुल गांधी ठीक से व्यवहार नहीं करेंगे तो उनका हाल उनकी दादी जैसा हो सकता है।

अधिवक्ता पवार ने आगे कहा कि शिकायतकर्ता सत्याकी सावरकर का नाथूराम गोडसे और गोपाल गोडसे परिवार से पारिवारिक संबंध है और वह अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर सकते हैं। उनके मुताबिक, शिकायतकर्ता की पारिवारिक पृष्ठभूमि हिंसक और असंवैधानिक प्रवृत्तियों से जुड़ी रही है।
दरअसल, यह मामला वीर सावरकर के खिलाफ कथित मानहानि टिप्पणी से जुड़ा है, जिसमें शिकायतकर्ता सत्याकी सावरकर ने राहुल गांधी पर मुकदमा दर्ज कराया है।

सांसद ने की अतिरिक्त सुरक्षा की मांग
सांसद राहुल गांधी ने एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट से अपील की है कि उनकी सुरक्षा और केस की निष्पक्ष सुनवाई के लिए प्रिवेंटिव प्रोटेक्शन दी जाए। यह राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को करेगी।

बता दें कि राहुल गांधी ने संसद में 11 अगस्त को ''वोट चोर, कुर्सी छोड़'' का नारा और चुनावी गड़बड़ियों के दस्तावेज पेश किया था। राहुल गांधी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर हिंदी में एक पोस्ट कर कहा- वोट चोरी 'एक व्यक्ति, एक वोट' के बुनियादी लोकतांत्रिक सिद्धांत पर हमला है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए साफ-सुथरी मतदाता सूची अनिवार्य है। निर्वाचन आयोग से हमारी मांग साफ है- पारदर्शिता दिखाएं और डिजिटल मतदाता सूची सार्वजनिक करें, ताकि जनता और राजनीतिक दल उसका खुद ऑडिट कर सकें।

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनाव में धांधली के दावों पर कड़ा रुख अपनाते हुए जनता के लिए एक वेब पोर्टल भी शुरू किया। इस पर उनके समर्थक पंजीकरण करा सकते हैं और निर्वाचन आयोग से ''वोट चोरी'' के खिलाफ जवाबदेही की मांग कर सकते हैं, तथा डिजिटल मतदाता सूची की मांग के प्रति अपना समर्थन व्यक्त कर सकते हैं।

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