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जालोर में एपीओ तहसीलदार पर जमीन नामांकन स्वीकृति का आरोप, पीड़ित परिवार ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

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जिले में एक बार फिर राजस्व कार्य से जुड़े विवाद ने तूल पकड़ लिया है। मामला जमीन नामांकन से जुड़ा हुआ है, जिसमें एपीओ (अस्थायी पदस्थापित) तहसीलदार पर बिना संपूर्ण जांच के नामांतरण स्वीकृत करने का आरोप लगा है। इस संबंध में पीड़ित मां-बेटे ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए पूरे प्रकरण की समीक्षा (रिव्यू) करने और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

मामला क्या है?

पीड़ित परिवार का आरोप है कि उनके पैतृक भूखंड पर दबाव बनाकर गलत तरीके से नामांकन कर दिया गया। इस संबंध में तहसील स्तर पर चल रही प्रक्रिया को लेकर कई बार आपत्ति दर्ज कराई गई थी, लेकिन एपीओ तहसीलदार ने आपत्तियों को दरकिनार करते हुए नामांतरण स्वीकृत कर दिया। इससे परिवार को अपनी जमीन पर अधिकार खोने का खतरा उत्पन्न हो गया है। मां-बेटे का कहना है कि यह निर्णय पूरी तरह पक्षपातपूर्ण है और इसकी गहन जांच जरूरी है। ज्ञापन में उन्होंने साफ तौर पर लिखा है कि तहसीलदार के इस आदेश से उन्हें अपूरणीय क्षति होगी।

कलेक्टर से लगाई न्याय की गुहार

पीड़ित परिवार ने गुरुवार को जिला कलेक्टर से मुलाकात की और ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने मांग की कि विवादित जमीन के नामांतरण आदेश की समीक्षा कराई जाए और जब तक मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो जाती, तब तक आदेश को स्थगित रखा जाए। कलेक्टर ने ज्ञापन प्राप्त कर संबंधित विभाग को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। हालांकि, प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार मामले में जांच पूरी होने तक किसी भी अंतिम निर्णय पर रोक लगाई जा सकती है।

ग्रामीणों में चर्चा का विषय

यह मामला जालोर शहर ही नहीं बल्कि आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है। लोगों का कहना है कि राजस्व कार्यों में पारदर्शिता की कमी के कारण अक्सर इस तरह के विवाद सामने आते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि तहसील स्तर पर दबाव या पक्षपात से दिए गए आदेश आमजन के लिए भारी परेशानी का कारण बन जाते हैं।

निष्पक्ष जांच की उम्मीद

पीड़ित मां-बेटे का कहना है कि उन्हें जिला प्रशासन से पूरी उम्मीद है कि मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और उन्हें न्याय मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने के लिए बाध्य होंगे।

प्रशासनिक जिम्मेदारी

जिले के सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि राजस्व कार्यों में गड़बड़ी की शिकायतें लगातार सामने आती रही हैं। ऐसे में जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह सख्ती दिखाए और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित करे।

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