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ज्येष्ठ की पंचमी पर आज बन रहे हैं दुर्लभ संयोग, जानें 17 मई 2025 का पंचांग, राहुकाल, मुहूर्त और योगों की पूरी जानकारी

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आज यानी 17 मई, शनिवार को ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है।पंचांग के अनुसार इस तिथि पर कई शुभ-अशुभ योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए पंडित आनंद सागर पाठक जी से जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 17 may 2025)।

आज का पंचांग (पंचांग 17 मई 2025)
ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि - पूरी रात

संवत - 2082
नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा
योग - साध्य सुबह 07:09 बजे तक, फिर शुभ
करण


कौलव - शाम 05:39 बजे तक, तैतिल पूरी रात
दिन - शनिवार

ऋतु - ग्रीष्म
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 5:30 बजे
सूर्यास्त - शाम 7:05 बजे
चंद्रोदय - रात 11:26 बजे
चंद्रास्त - सुबह 8:49 बजे, 18 मई

शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11:50 बजे से दोपहर 12:45 बजे तक

अशुभ मुहूर्त
राहु काल - सुबह 08:53 बजे से सुबह 10:36 बजे
गुलिक काल - सुबह 05:29 से 07:11 बजे तक
यमगंडा - दोपहर 02:00 बजे से 03:42 बजे तक

आज के नक्षत्र के बारे में जानें
आज भगवान चंद्र पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र शाम 05:44 बजे तक रहेगा।
सामान्य विशेषताएँ- इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग आशावादी, भाग्यशाली, लोकप्रिय, धार्मिक, आध्यात्मिक, साहसी, हंसमुख, अभिमानी, अहंकारी, फिजूलखर्च, खतरनाक शत्रु होते हैं।
नक्षत्र स्वामी: शुक्र
राशि स्वामी: बृहस्पति
देवता: अपस (ब्रह्मांडीय महासागर)
प्रतीक: हाथी का दाँत
अशुभ समय खंडों की सरल समझ
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक दिन को कुछ निश्चित समय खंडों में विभाजित किया गया है, जिनमें से कुछ को नए या महत्वपूर्ण कार्य शुरू करने के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है।
राहु काल - यह समय भगवान राहु से संबंधित है। इसे भ्रम, अनिश्चितता और अप्रत्याशित परिणामों से जुड़ा माना जाता है। आमतौर पर, इस अवधि के दौरान यात्रा, निवेश या कोई नया काम शुरू न करने की सलाह दी जाती है। यह समय ध्यान, साधना और आत्मनिरीक्षण के लिए उपयुक्त है।

यम गंड - यह समय यम देव से जुड़ा है, जो अनुशासन और भाग्य के प्रतीक हैं। यम गंड के दौरान किसी भी महत्वपूर्ण कार्य या यात्रा को शुरू करने से भी बचने की सलाह दी जाती है। यह अवधि आत्म-नियंत्रण और संयम के लिए उपयुक्त मानी जाती है।

गुलिक काल - यह काल शनि देव के पुत्र गुलिक से संबंधित है। इस समय को कुछ परंपराओं में तटस्थ या मध्यम रूप से शुभ माना जाता है। कई ग्रंथों में इसे दीर्घकालिक कार्य या आध्यात्मिक साधना के लिए अच्छा बताया गया है।

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