पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में अवैध रूप से रह रहे पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और रोहिंग्याओं को देश से बाहर निकाला जा रहा है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद राजस्थान के सभी 41 जिलों में पुलिस अभियान चलाकर वहां अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान कर उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है। दस्तावेजों की जांच के बाद उन्हें डिटेंशन सेंटर में शिफ्ट किया जाता है। फिर कानूनी प्रक्रिया अपनाकर उन्हें वापस उनके वतन भेजा जाता है। इस अभियान के दौरान एक दूसरा पहलू भी सामने आ रहा है। राजस्थान में कई ऐसे परिवार हैं जो सरकार के इस अभियान की वजह से टूट रहे हैं।
पत्नी बनाकर लाए थे, अब घर छोड़कर जाना पड़ रहा है
ऐसे कई मामले भी सामने आए हैं, जहां राजस्थान के लोगों ने बांग्लादेशी लड़कियों से शादी कर ली। कुछ तो बिना शादी के ही महिलाओं के साथ पत्नी बनकर रहने लगे और अपना परिवार बसाने लगे। अब पुलिस द्वारा चलाए जा रहे अभियान के दौरान बांग्लादेशियों की सूचना मिलने पर पुलिस उन महिलाओं को गिरफ्तार कर डिटेंशन सेंटर भेज रही है। मंगलवार 20 मई को अजमेर पुलिस ने तीन बांग्लादेशी महिलाओं को हिरासत में लिया है। ये तीनों महिलाएं अलग-अलग घरों में पत्नी बनकर रह रही थीं।
पुलिस ने इन महिलाओं को हिरासत में लिया
पुलिस मुख्यालय के निर्देश के बाद अजमेर पुलिस ने बांग्लादेश की तीन महिलाओं को हिरासत में लिया है। इनमें अंजली देवी उर्फ सादिया पुत्री मोहम्मद कासिम, सुमैया उर्फ माया देवी पुत्री मोहम्मद कासिम और कल्पना बेगम उर्फ सपना देवी शामिल हैं। तीनों महिलाएं एक ही परिवार की हैं। इनमें से दो महिलाएं सगी बहनें हैं। तीनों महिलाएं सांभर और रूपनगढ़ के अलग-अलग घरों में शादी कर पत्नी बनकर रह रही थीं। ये महिलाएं पिछले कुछ महीनों से सांभर के टीकों की ढाणी निवासी मोहनलाल, रूपनगढ़ के बरड़ा की ढाणी निवासी पूरणमल और रूपनगढ़ के मोरडी गांव निवासी सुगनाराम के घर में रह रही थीं, लेकिन इन तीनों लोगों के सपने टूट गए हैं, क्योंकि तीनों की पत्नियों को वापस बांग्लादेश भेज दिया जाएगा।
राजस्थान में युवतियों की कमी, बाहरी राज्यों से शादी करने की मजबूरी
राजस्थान में लिंगानुपात में बड़ा अंतर है। 2011 की जनगणना के अनुसार राजस्थान में 1000 पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या मात्र 928 है। ऐसे में सैकड़ों परिवार ऐसे हैं जो दूसरे राज्यों से लड़कियां लाकर उनसे शादी करते हैं। मोहनलाल, पूरणमल और सुगनाराम भी इन बांग्लादेशी लड़कियों के साथ घर बसा चुके हैं, लेकिन अब सरकार का आदेश उनके लिए बोझ बन गया है। घर बसाने के बाद उनका घर फिर से उजड़ गया है।
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