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उत्तरकाशी: बादल फटने से सेना के नौ जवानों समेत 50 से ज़्यादा लापता और चार की मौत, चश्मदीदों ने क्या बताया

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PRO Defence, lieutenant colonel Manish Srivastava भारतीय सेना राहत और बचाव कार्य में लगी हुई है

उत्तराखंड के धराली में बादल फटने की घटना के बाद से राहत और बचाव कार्य जारी है. इसमें पुलिस, प्रशासन, एनडीआरएफ़, एडीआरएफ़, आईटीबीपी और सेना की टीमें शामिल हैं. आपदा कंट्रोल रूम से भी स्थिति की निरंतर निगरानी की जा रही है.

14 राजपूताना राइफ़ल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हर्षवर्धन ने लोगों को आश्वस्त किया है कि सेना सभी लोगों के बचाव के प्रयास लगातार जारी रखेगी. कर्नल हर्षवर्धन मंगलवार, 5 अगस्त की दोपहर से 150 जवानों के साथ राहत और बचाव अभियानों का नेतृत्व कर रहे हैं.

कर्नल हर्षवर्धन के मुताबिक़, "राहत कार्यों को तेज़ करने के लिए अतिरिक्त सेना की टुकड़ियां, सेना के ट्रैकर डॉग्स, ड्रोन, और मलबा हटाने वाले उपकरण आदि को आगे भेजा गया है. ज़रूरी आपूर्ति, दवाइयों और फंसे हुए लोगों की निकासी के लिए सेना और वायुसेना के हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जा रहा है. लगातार हो रही बारिश के कारण जल स्तर बढ़ने के मद्देनज़र स्थानीय निवासियों को सुरक्षित ऊंचे स्थानों पर पहुंचाया गया है."

उत्तरकाशी ज़िले के धराली में मंगलवार को बादल फटने की घटना हुई थी. हर्षिल क्षेत्र में खीर गंगा गदेरे (गहरी खाई या नाला) का जलस्तर अचानक बढ़ने से धराली गांव में भारी नुक़सान हुआ है.

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उत्तरकाशी के ज़िलाधिकारी प्रशांत आर्य ने मीडिया को बताया कि अब तक की जानकारी के अनुसार चार लोगों की मौत हुई है और कुछ संपत्तियों के नुक़सान की भी सूचना मिली है.

वहीं डीआईजी एनडीआरएफ़ मोहसेन शाहेदी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बताया है कि शुरुआती जानकारी के मुताबिक़, "घटना में 40 से 50 घर बह गए हैं और 50 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं."

इस घटना में भारतीय सेना के नौ जवान भी लापता हैं.

भारतीय सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बीबीसी हिंदी को बताया, "14 राजपूताना राइफ़ल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल हर्षवर्धन 150 जवानों के साथ राहत और बचाव कार्यों का नेतृत्व कर रहे हैं. हालांकि कर्नल हर्षवर्धन की यूनिट भी भारी बारिश से प्रभावित हुई है और उनके नौ जवान अब भी लापता हैं. भारतीय सेना के ये जवान उस समय लापता हुए थे जब सेना के हर्षिल स्थित कैंप में पानी घुसा था."

उन्होंने बताया कि कैंप में पानी घुसने के बाद कुल 11 सैनिक लापता हो गए थे लेकिन बाद में दो जवान सुरक्षित मिल गए. बाक़ी के नौ जवान अभी भी लापता हैं. इनकी तलाश जारी है.

इस बीच धराली के स्थानीय लोगों का दावा है कि तबाही का स्तर बेहद बड़ा है और इससे जान-माल का व्यापक नुक़सान हुआ है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर पोस्ट कर इस घटना पर दुख जताया है. उन्होंने कहा कि वो वरिष्ठ अधिकारियों के लगातार संपर्क में हैं और स्थिति पर गहन निगरानी रखी जा रही है.

प्रत्यक्षदर्शी ने क्या बताया? image ANI

धराली गांव की रहने वाली आस्था पवार ने बीबीसी संवाददाता विकास त्रिवेदी से बातचीत में इस भयावह घटना की पूरी आंखों-देखी साझा की.

आस्था बताती हैं, ''अभी मैं धराली में ही हूं. मेरा घर सड़क से थोड़ा दूर है, इसलिए यहां से सब दिख रहा है कि नीचे कितना नुक़सान हुआ है.''

''यहां से मैंने अपनी आंखों के सामने कई होटल बहते देखे. ऐसा नहीं है कि सब कुछ एक ही बार में बह गया. जो पहली लहर आई थी, वह बहुत ज़ोरदार और भयानक थी. वो वीडियो आपने शायद देखे होंगे. उसके बाद भी हर 10–15 या 20 मिनट में मलबे की और लहरें आती रहीं. छोटे-छोटे थपेले आ रहे हैं, लेकिन वे भी होटल अपने साथ ले जा रहे हैं. एक-एक, दो-दो होटल बह रहे हैं.''

image Harsh Rai/Aastha उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद तबाही, पहले और बाद की तस्वीर
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क्या सरकार या प्रशासन की तरफ़ से पहले कोई जानकारी दी गई थी? इस बारे में आस्था जानकारी नहीं होने की बात कहती हैं.

आस्था कहती हैं, ''हमें कोई वॉर्निंग भी नहीं दी गई थी. छुट्टियां भी नहीं थीं. आज बच्चों की छुट्टी भी नहीं थी. किसी को कोई जानकारी नहीं थी कि इतना बड़ा हादसा होने वाला है. ये घटना दोपहर को हुई. हम छत पर गए थे, वहां से सब कुछ साफ़ दिखाई दे रहा था. जैसे कुछ भी नहीं बचा हो.''

वो बताती हैं कि गांव के ज़्यादातर लोग एक स्थानीय पूजा में शामिल होने की तैयारी कर रहे थे. आस्था ने बताया, ''चार अगस्त की रात भी और पांच अगस्त की सुबह भी पूजा थी. शुक्र है कि ये हादसा चार अगस्त की रात नहीं हुआ, जब पूरा गांव पूजा में शामिल हो रहा था.''

वो वॉर्निंग वाली बात पर जोर देकर कहती हैं, ''अगर कोई वॉर्निंग होती, तो हम पूजा में जाते ही नहीं. अगर कहीं और अलर्ट जारी हुआ हो, तो यहां तक नहीं पहुंचा. यहां सब कुछ नॉर्मल था. स्कूल खुले थे, छुट्टी नहीं थी. कोई नहीं जानता था कि इतनी बड़ी त्रासदी आने वाली है.''

धराली गांव के आस पास क्या-क्या था? image ANI राहत कार्यों में जुटे सेना के जवान

जहां ये घटना हुई है, आस्था वहीं की रहने वाली हैं.

वो कहती हैं, ''वहां बहुत बड़े-बड़े होटल थे, तीन-चार मंज़िला होटल. अब उनकी छत तक नहीं दिख रही. इतना भयंकर नुकसान हुआ है कि पूरा मार्केट ख़त्म हो गया है. धराली का बहुत बड़ा बाज़ार था. एक बहुत बड़ा मंदिर था. अब वहाँ कुछ भी नहीं दिख रहा. सब कुछ तबाह हो गया. कल्प केदार मंदिर भी नहीं दिख रहा है.''

धराली गंगोत्री के रास्ते में पड़ता है और ये जगह हर्षिल वैली के पास है. कल्प केदार यहां का स्थानीय मंदिर है, जहां श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं.

चारधाम यात्रा का रास्ता धराली से होकर भी गुज़रता है. ऐसे में श्रद्धालु कई बार धराली के होटलों में भी रुकते हैं.

हर्षिल वैली के बगोरी गांव में रहने वाले करण ने बीबीसी हिंदी को बताया कि वैली के आसपास के इलाक़ों को खाली कराया गया है. लोगों को पास के ऊंचे क्षेत्रों में भेजा जा रहा है, ताकि अगर रात में बारिश हो, तो जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

image ANI 'आर्मी कैंप और सेना के बचाव दल का एक हिस्सा भी प्रभावित'

आपदा प्रभावित धराली गांव से क़रीब चार किलोमीटर दूर एक आर्मी कैंप भी स्थित है. इसी को देखते हुए सेना के एडिशनल डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ पब्लिक इन्फॉर्मेशन (एडीजी पीआई) ने एक्स पर एकपोस्टके ज़रिए हादसे की जानकारी साझा की है.

ब्रिगेड कमांडर ब्रिगेडियर मंदीप ढिल्लों ने बताया कि हर्षिल पोस्ट पर तैनात भारतीय सेना की टुकड़ी ने सबसे पहले मौके पर प्रतिक्रिया दी और महज़ 10 मिनट के भीतर धराली गांव पहुंच गई.

उन्होंने बताया कि बचाव कार्य अभी जारी है और अब तक क़रीब 20 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है. घायलों का इलाज चल रहा है.

ब्रिगेडियर ढिल्लों के मुताबिक़, भूस्खलन और बादल फटने की इस घटना में आर्मी कैंप और बचाव दल का एक हिस्सा भी प्रभावित हुआ है.

प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और राहुल गांधी ने जताई संवेदना

उत्तराखंड में आई इस बड़ी प्राकृतिक आपदा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जताया है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, "उत्तरकाशी के धराली में हुई इस त्रासदी से प्रभावित लोगों के प्रति मैं अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं. साथ ही सभी पीड़ितों की कुशलता की कामना करता हूं. मुख्यमंत्री पुष्कर धामी जी से बात कर मैंने हालात की जानकारी ली है. राज्य सरकार की निगरानी में राहत और बचाव की टीमें हरसंभव प्रयास में जुटी हैं. लोगों तक मदद पहुंचाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है."

इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाहने बताया कि आईटीबीपी की तीन टीमों को प्रभावित क्षेत्र में भेजा गया है. इसके साथ ही एनडीआरएफ़ की चार टीमें भी घटनास्थल के लिए रवाना की गई हैं.

वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं से ज़रूरतमंदों की हर संभव मदद करने की अपील की है.

राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट किया, "उत्तराखंड के धराली में बादल फटने से आई भारी तबाही के कारण कई लोगों की मौत और कई अन्य के लापता होने की खबर बेहद दुखद और चिंताजनक है."

"मैं प्रभावित परिवारों के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं और लापता लोगों के जल्द से जल्द मिलने की आशा करता हूं."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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