भारतीय महिला क्रिकेट के लिए यह वाटरशेड क्षण है, ठीक ऐसा लम्हा साल 1983 में पुरुष क्रिकेट की दुनिया में आया था.
वो रात, जो आने वाली पीढ़ियों की रगों में दौड़ेगी. वो दिन, जिसे इतिहास की किताबें मोटे अक्षरों में लिखेंगी.
साल 2006 में जब बीसीसीआई ने महिला क्रिकेट को अपनी छतरी के नीचे लिया था, तब किसे मालूम था कि एक दिन महिला क्रिकेट इस ऊँचाई तक पहुँचेगा?
मैदान सुनसान थे, तालियाँ उधार ली जाती थीं, और टीवी चैनलों पर जगह माँगनी पड़ती थी.
हालात बदले हैं, खिलाड़ी अब स्टार बन चुकी हैं और दुनिया भर में पहचानी जा रही हैं.
महिला क्रिकेट ने लोकप्रियता तो हासिल की है लेकिन दर्शकों को मैदान तक लाने में 'उतनी' कामयाबी नहीं मिली है.
भारतीय टीम के पीछे दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है. संसाधन हैं. स्ट्रक्चर है. लेकिन इतिहास कहता है कि क्रिकेट सिर्फ़ पैसों से नहीं, हौसलों से जीता जाता है. किसी भी टीम को दिलों पर राज करने के लिए दुनिया जीतनी पड़ती है.
भारतीय क्रिकेट की तक़दीर और तस्वीर बदलने के लिए कपिल देव की टीम को भी वर्ल्ड कप जीतना पड़ा था.
आज महिला क्रिकेट के लिए भी वही मौक़ा आया है. भारतीय महिला टीम सिर्फ़ फ़ाइनल मुक़ाबला नहीं खेलने उतरेगी बल्कि टीम के खिलाड़ी एक सपना पूरा करने की कोशिश करेंगे.
मगर ध्यान रहे-फ़ाइनल में सामने अंडरडॉग' प्रोटियाज़ हैं. उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन पाने के लिए पूरा आसमान है.
2024 के टी-20 वर्ल्ड कप फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारने के बाद वे तिलमिलाए हुए भी हैं. टीम जश्न के लिए नाचने वाले जूते साथ लेकर आई है. साउथ अफ़्रीका के डायरेक्टर एनोक एनक्वे अपनी टीम को 'कलात्मक शिकारी' कहते हैं.
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ये वो फाइनल है जहाँ इतिहास बदलेगा. जहाँ परंपरा की दीवारें टूटेंगी. जहाँ पहली बार न ऑस्ट्रेलिया है, न इंग्लैंड और एक नया विश्व चैंपियन जन्म लेगा.
यह उन दो 'उभरते सूरज' की कहानी है जिन्होंने टूर्नामेंट के दौरान अप्रत्याशित तौर पर हार नहीं मानने का जज्बा दिखाया है.
भारतीय टीम बिना शीर्ष तीन टीमों को हराए नॉकआउट में पहुँची. इसके बाद सेमीफ़ाइनल में डिफेंडिंग चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को रिकॉर्ड अंदाज़ में हराया. यह बताता है कि टीम दबाव में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए बनी है.
जेमिमा रोड्रिग्स के नाबाद 127 और हरमनप्रीत कौर की जुझारू 89 रन की पारी ने साबित किया कि भारतीय टीम किसी भी लक्ष्य का पीछा कर सकती है.
वहीं दूसरी ओर दक्षिण अफ्रीकी टीम है. वर्ल्ड कप के दो मुक़ाबलों में 69 और 97 के स्कोर पर ढहने के बाद भी टीम ने वापसी की है.
सेमीफ़ाइनल में अपने चिर-प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड को 125 रनों से रौंद दिया. यह असाधारण मानसिक दृढ़ता का प्रमाण है.
यह मैच उन लड़कियों के सपनों का प्रतीक है जो अपनी दुनिया से लड़कर यहाँ पहुँची हैं. कोई गाँव की मिट्टी से, कोई टाउनशिप की गलियों से.
आज उनकी जीत सिर्फ़ एक ट्रॉफ़ी नहीं, बल्कि आर्थिक आज़ादी, सामाजिक बदलाव और असंभव को संभव बनाने की घोषणा होगी.
टीम संयोजन और प्रमुख ख़तरेभारत सेमीफाइनल में जिस संतुलित कॉम्बिनेशन के साथ उतरा था (छह बॉलिंग विकल्प और नंबर आठ तक बल्लेबाज़ी में गहराई), वही संयोजन फ़ाइनल के लिए भी सबसे समझदारी भरा विकल्प दिखता है.
सलामी और मध्यक्रम का स्तंभ: सलामी जोड़ी में स्मृति मंधाना और शेफाली वर्मा पर तेज़ शुरुआत का दबाव होगा.
शेफाली पिछले मैच में असफल रहीं, लेकिन बड़े मंचों पर उनमें विस्फोटक शुरुआत की काबिलियत है.
मध्यक्रम: जेमिमा रोड्रिग्स (127* बनाम ऑस्ट्रेलिया) और कप्तान हरमनप्रीत कौर वह अभेद्य क़िला हैं जिन्होंने भारत की जीत के सपने को जिंदा रखा है.
द गोंद: ऑलराउंडर दीप्ति शर्मा का अनुभव और शांत स्वभाव इस लाइनअप का गोंद है. उनके बाद ऋचा घोष की आक्रामक फिनिशिंग और अमनजोत कौर की उपयोगिता आधुनिक वनडे क्रिकेट की माँग है.
स्पिन की रणनीति: राधा यादव (लेफ्ट-आर्म स्पिन) को तरजीह मिल सकती है, क्योंकि दक्षिण अफ्रीका की बैटिंग लाइनअप लगभग पूरी दाएं हाथ की है. यह रणनीतिक चाल बीच के ओवरों में भारत को नियंत्रण देगी.
तेज़ गेंदबाज़ी का जिम्मा: युवा क्रांति गौड़ की आग और रेणुका सिंह का अनुशासन, दोनों पर ही शुरुआत में विकेट लेने और अनुशासन बनाए रखने का दारोमदार होगा.
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Getty Images दक्षिण अफ़्रीका की टीम को हल्के में नहीं लिया जा सकता है दक्षिण अफ्रीका एक ऐसी टीम है जिसने ख़ुद को राख से उठाया है.
टूर्नामेंट के अपने दो सबसे कम स्कोर (69 और 97) के बावजूद, टीम ने बीच में लगातार पाँच जीत दर्ज कीं. दक्षिण अफ्रीका की सफलता उनकी चार विश्व स्तरीय खिलाड़ियों पर टिकी है:
रणनीतिक जंग: निर्णायक मुकाबलेवैसे फ़ाइनल मैच का परिणाम इन प्रमुख मुक़ाबलों से तय होगा.
मंधाना (स्टाइल) बनाम कप्प (स्टील): दुनिया की नंबर 1 बल्लेबाज़ फ़ाइनल के दबाव में कप्प के तेज़ स्विंग का सामना कैसे करती हैं, यह देखना दिलचस्प होगा.
डी क्लर्क (आग) बनाम भारतीय डेथ बॉलिंग (रणनीति): लीग मैच की हार को भूलकर क्या भारत डी क्लर्क को रोकने के लिए कोई नया, अप्रत्याशित प्लान लाएगा?
दीप्ति शर्मा (नियंत्रण) बनाम वोल्वार्ड्ट (स्थिरता): दीप्ति ने वोल्वार्ड्ट को हमेशा कम रन रेट पर रखा है. यह नियंत्रण बीच के ओवरों में भारत के लिए स्कोर को सीमित करने में महत्वपूर्ण होगा.
शैफाली वर्मा: ड्रॉप होने के बाद वापसी करने वाली इस खिलाड़ी के लिए यह कहानी पूरी करने का मौक़ा है. ऐसी पिच, ऐसा मौक़ा- हरियाणा की रॉकस्टार कुछ बड़ा कर सकती हैं.
निर्णायक रणभूमि: नवी मुंबई की गूँज30 हज़ार दर्शकों की गूंज, नमकीन समुद्री हवा और अनिश्चित मौसम.
नवी मुंबई का डीवाई पाटिल स्टेडियम भारत के लिए किस्मत वाला मैदान रहा है.
जहां वे पिछले तीन मैच जीत चुके हैं. दक्षिण अफ्रीका यहाँ पहली बार खेलेगा.
यह भारत की एक छोटी-सी लेकिन महत्वपूर्ण बढ़त है. हालांकि, अनिश्चित मौसम और ओस टॉस को महत्वपूर्ण बना सकता है.
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भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए यह 2025 का फ़ाइनल ऐतिहासिक रूप से उनका तीसरा प्रयास है.
पहली बार 2005 और फिर 2017 में फ़ाइनल में पहुँचकर ट्रॉफ़ी उठाने से चूक गए थे. 2005 में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया से पार नहीं पा सकी थी जबकि 2017 में इंग्लैंड ने हराया था.
इसके विपरीत, दक्षिण अफ्रीका महिला क्रिकेट टीम ने 2025 में पहली बार वनडे वर्ल्ड कप के फ़ाइनल में जगह बनाकर इतिहास रचा है.
सालों तक सेमीफाइनल (2000, 2017, 2022) में संघर्ष करने के बाद, कप्तान लौरा वोल्वार्ड्ट की टीम ने इस बार 'चोकर्स' के टैग को तोड़ते हुए खिताबी मुकाबले में प्रवेश किया है.
यह टीम अब पेशेवर बन चुकी है और पिछले 12 वर्षों में चार आईसीसी टूर्नामेंट फाइनल तक पहुँच चुकी है.
जब दिल के अरमां आंसुओं में बह गए..
Alex Davidson-ICC/ICC via Getty Images जेमिमा के अलावा हरमनप्रीत कौर के लिए भी इस वर्ल्ड कप में सफ़र आसान नहीं रहा तो 2017 में हम दिल टूटते देख चुके हैं. वो आँसू, वो ख़ामोशी… आज उन्हीं की गूँज है. पर यह टीम टूटने नहीं निकली है.
हरमनप्रीत कौर अब सिर्फ़ कप्तान नहीं हैं, बल्कि वह एक आंदोलन हैं, एक विश्वास हैं. आज दाँव पर सिर्फ़ एक ट्रॉफ़ी नहीं है:
• भारत का पहला महिला आईसीसी वर्ल्ड कप
• लाखों बच्चियों के सपने और खेल में बराबरी की अगली छलांग
• और वह एक पंक्ति जो हमेशा दोहराई जाएगी- "इस दिन से सब बदल गया"
अब बारी तुम्हारी है.
भारत की महिला क्रिकेटरों ने ऑस्ट्रेलिया को चित किया है. अब इतिहास की बारी है.
देश की आवाज़ सिर्फ़ एक धड़कन दोहरा रही है: चलो बेटियों, 1983 दोहरा दो.
आज इतिहास किसी किताब में नहीं, इस विकेट पर लिखा जाएगा. भारत इसके लिए तैयार है. स्टैंड्स तैयार हैं. दुनिया तैयार है.
अब बारी तुम्हारी है, वूमेन इन ब्लू.
(लेखक आईपीएल की लखनऊ टीम से संबद्ध हैं)
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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