शाम के 4 बज रहे हैं और पटना के 10, सर्कुलर रोड के बाहर भीड़ लगनी शुरू हो गई है. 10, सर्कुलर रोड यानी राबड़ी आवास.
ये भीड़ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से मिलने और उन्हें अपना बायोडेटा सौंपने आए लोगों की है.
लालू प्रसाद यादव रोज़ाना शाम पांच से सात बजे के बीच लोगों से मिलते हैं और सिर हिलाकर या इशारे में ही लोगों के अभिवादन का जवाब देते हैं.
वो पिछले काफी समय से किडनी समेत कई अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं
यहां सारण के तरैया विधानसभा से आईं संगीता देवी और सलमा बीबी बीबीसी हिंदी से कहती हैं, "लालू जी कुछ बोलते ही नहीं हैं. वो सिर्फ़ सिर हिलाते हैं, ऐसे तो हम मोबाइल पर ही देख लेते."
इस पर संगीता के बगल में खड़े एक व्यक्ति ने उन्हें टोकते हुए कहा, "लालू जी से मिलना तो बहुत आसान है लेकिन आदमी पोलो रोड (तेजस्वी यादव का सरकारी आवास) का चक्कर लगाता रह जाएगा, वहां कोई मुलाक़ात नहीं करेगा. संजय यादव का पूरा प्रभाव है."
सहरसा से आए मोहम्मद कासिम चाहते हैं कि अबकी बार सहरसा विधानसभा से किसी पचपनिया (अति पिछड़ा) को टिकट मिले. इसी सिफ़ारिश के साथ वो लालू प्रसाद से मिलने आए हैं.
वो शिकायती लहज़े में कहते हैं, "तेजस्वी जी मिलते नहीं और संजय यादव को हम पहचानते नहीं. हमको तकलीफ़ होगी तो वोट गड़बड़ा देंगे. और इसका नुक़सान पार्टी को ही होगा."
लालू प्रसाद यादव से मिलने आए लोगों की ये बातें 1997 में अस्तित्व में आई राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और उसके नेतृत्व यानी तेजस्वी यादव के लिए नई चुनौतियां बनती जा रही हैं.
तेजस्वी यादव की चुनौतियों का ये अकेला फ़्रंट नहीं है. बल्कि इस वक़्त महागठबंधन में सीट शेयरिंग और परिवार में चल रही उठापटक को शांत करना भी उनके लिए अहम मोर्चा है.
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लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी की सात बेटियां और दो बेटे हैं.
इनमें से मीसा भारती, तेज प्रताप यादव, तेजस्वी यादव और रोहिणी आचार्य राजनीति में सक्रिय हैं.
लालू यादव पहले ही तेजस्वी यादव को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर चुके हैं.
कुछ महीने पहले हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में तेजस्वी यादव को लालू प्रसाद यादव के बराबर के अधिकार दिए जा चुके हैं. लेकिन इसके बावजूद लालू परिवार के भीतर 'पॉलिटिक्स' चलती रहती है.
ताज़ा विवाद तेजस्वी यादव के सलाहकार और राज्यसभा सांसद संजय यादव से जुड़ा है.
दरअसल 16 सितंबर से बिहार अधिकार यात्रा में तेजस्वी यादव निकले थे. ये यात्रा जहानाबाद से शुरू हुई थी. इस यात्रा के दौरान सोशल मीडिया पर एक फ़ोटो पोस्ट हुई जिसमें संजय यादव फ़्रंट सीट पर बैठे थे.

संजय यादव के फ्रंट सीट पर बैठने को लेकर ही रोहिणी आचार्य ने नाराज़गी जताई.
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, "फ़्रंट सीट सदैव शीर्ष नेता के लिए होती है और उनकी अनुपस्थिति में किसी को भी उस सीट पर नहीं बैठना चाहिए. वैसे अगर कोई अपने आप को शीर्ष नेतृत्व से भी ऊपर समझ रहा है तो अलग बात है."
तेजस्वी की बिहार अधिकार यात्रा को कवर करने वाली पत्रकार दक्षा प्रिया बताती हैं, " ये पहले दिन की ही बात थी. जहानाबाद के आसपास तेजस्वी यादव फ्रंट सीट पर नहीं थे तो थोड़ी देर के लिए संजय यादव बैठ गए थे. तेजस्वी यादव जिस बस से चल रहे थे उसमें प्रत्याशियों, विधायकों की बहुत भीड़ रहती थी. बस के पिछले हिस्से में थ्री सीटर सोफ़ा दो की संख्या में लगे थे और दो बड़ी कुर्सियां थी. ऐसे में सिर्फ़ दस लोग बैठ पाते थे और बाकी सभी खड़े रहते थे."
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रोहिणी यादव के ट्वीट के बाद आरजेडी ने डैमेज कंट्रोल करते हुए दो दलित नेताओं शिवचंद्र राम और रेखा पासवान को फ्रंट सीट पर बिठाया.
जिसके बाद भी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर लिखा, "राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव जी का मूल मकसद सामाजिक-आर्थिक न्याय रहा है. इन तस्वीरों में समाज के वंचित और आख़िरी पायदान पर खड़े लोगों को आगे बैठे देखना सुखद है."
इस बीच रोहिणी आचार्य की 'राजनीतिक महत्वाकांक्षा' के लिए ऑनलाइन ट्रोलिंग भी शुरू हो गई.
इसके बाद रोहिणी आचार्य ने लालू प्रसाद यादव की किडनी ट्रांसप्लांट करते समय का वीडियो पोस्ट किया.
रोहिणी आचार्य ने सिंगापुर में इलाज कराने के दौरान लालू प्रसाद को अपनी एक किडनी दी थी.
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, " ट्रोलर्स, पेड मीडिया एवं पार्टी को हड़पने की कुत्सित मंशा रखने वालों के द्वारा फैलाई जा रही तमाम अफ़वाह निराधार और मेरी छवि को नुकसान पहुंचाने के मकसद से हैं."
इसके बाद रोहिणी ने अपने भाई तेजस्वी यादव और पिता लालू प्रसाद यादव दोनों को ही एक्स पर अनफॉलो कर दिया.

इस साल ये पहला मौका नहीं है जब लालू परिवार की भीतरी अनबन और संजय यादव को लेकर असहजता सामने आई हो.
वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारी कहते हैं, "दरअसल परिवार के भीतर अब कई पावर सेंटर खत्म हो गए और तेजस्वी यादव ने माता-पिता की सहमति से पूरा कंट्रोल अपने हाथ में ले लिया है. इसकी बौखलाहट परिवार के अन्य सदस्यों में है जो टिकट बांटने की दुकान खोले बैठे थे. तेजस्वी को सीधे तौर पर ना बोलकर संजय यादव के ज़रिए निशाना बनाया जा रहा है. तेजस्वी ने ये भी साफ़ कर दिया है कि विधानसभा चुनाव परिवार से सिर्फ़ वहीं लड़ेंगे और उम्मीदवारों का नाम फाइनल भी वहीं करेंगे."
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संजय यादव के इर्द-गिर्द उपजे इस पूरे विवाद में रोहिणी आचार्य के समर्थन में बड़े भाई तेज प्रताप यादव भी उतर आए.
हालांकि मीसा भारती का कोई बयान इस पूरी घटना पर नहीं आया लेकिन बिहार की राजनीति पर नज़र रखने वालों का कहना है कि वो भी संजय यादव के बढ़ते प्रभाव से नाखुश हैं.
तेज प्रताप ने मीडिया से बातचीत में कहा, "गीता की कसम खाता हूं कि अब चाहे जितने बुलावे आएं, मैं आरजेडी में वापस नहीं जाऊंगा. मेरी बहन रोहिणी की गोद में हम खेले हैं. उनका जो भी अपमान करेगा, उस पर सुदर्शन चक्र चलेगा."
तीन महीने पहले आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को उनकी एक फ़ेसबुक पोस्ट के बाद पार्टी से निकाल दिया था.
पार्टी से निष्कासन और परिवार से निकाले जाने के बाद तेज प्रताप कुछ दिन शांत रहे लेकिन बाद में उन्होंने तेजस्वी यादव पर खुलकर हमला करना शुरू किया.
वो तेजस्वी यादव के विधानसभा क्षेत्र राघोपुर गए और बाढ़ पीड़ितों के बीच राहत सामग्री बांटी.
वो इस दौरान लोगों से पूछते दिखे, "आपका विधायक नहीं आया था?"
इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां के संदर्भ में अपशब्द बोलने, तेजस्वी के डांस वीडियो और वोटर अधिकार यात्रा को लेकर भी उन्होंने निशाना साधा.
तेज प्रताप यादव पार्टी के भीतर रहते हुए और पार्टी से निकाले जाने के बाद भी संजय यादव पर आक्रामक रुख़ रखते हैं.
विश्लेषकों का मानना है कि लालू यादव के परिवार के भीतर संजय यादव बहुत महत्वपूर्ण फ़ैक्टर बनते जा रहे हैं. वो पार्टी पर मज़बूत पकड़ रखते हैं.
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साल 1984 में हरियाणा के महेन्द्रगढ़ ज़िले के नांगल सिरोही गांव में जन्मे संजय यादव कंप्यूटर साइंस से एमएससी हैं.
क्रिकेट के मैदान से संजय और तेजस्वी की दोस्ती परवान चढ़ी और वो उनके सलाहकार बन गए.
साल 2015 में तेजस्वी ने अपना पहला चुनाव लड़ा, उस वक़्त उनके साथ दो लोग रहते थे. संजय यादव और मनी यादव.
मनी यादव, तेजस्वी के बहुत करीबी थे और कार्यकर्ताओं में बहुत लोकप्रिय थे. 2017 के बाद मनी यादव गायब हो गए और फ़िलहाल वो कहां हैं, इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है.
मनी यादव के जाने के बाद संजय यादव ज़्यादा ताकतवर बनकर उभरे.
साल 2014 से 2018 के बीच टीम तेजस्वी का हिस्सा रहे और वकील सचिन कुमार यादव बीबीसी से संजय के बारे में कहते हैं, "वो पार्टी के बिग बॉस बनना चाहते हैं और इसके लिए वो सारे परिवार वालों को एक-एक करके साइड कर रहे हैं."
ये मुद्दा सीधे लालू परिवार से जुड़ा हुआ है इसलिए पार्टी के प्रवक्ता इस पर बात नहीं करना चाहते.
नाम नहीं छापने की शर्त पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बीबीसी को बताया, "संजय यादव से सारे घर वाले नाखुश हैं. लालू जी से किसी कार्यकर्ता को मिलना होता था तो वो आराम से मिलते थे. अब चाहे लालू जी डांटे, बिगड़े लेकिन कार्यकर्ता को ये संतोष रहता था कि लालू जी मिल लिए."
वो कहते हैं, "अब तेजस्वी जी से मिलने के लिए आपको वाया संजय यादव जाना पड़ेगा. पुराने लोग खुद को बहुत उपेक्षित महसूस करते है. रोहिणी जो कह रही हैं वो मूल सवाल है कि क्या संजय यादव सलाहकार हैं या फिर वो तेजस्वी के समांतर अपना एक कद तैयार कर रहे हैं? हालत ये कि किसी मीडिया कॉन्क्लेव में अगर तेजस्वी जी को बोलना है तो उसकी शर्त ही ये होती है कि संजय यादव भी बोलेंगे."
हालांकि पत्रकार कन्हैया भेलारी इन सब बातों को ख़ारिज़ करते हैं.
वो कहते हैं, "तेजस्वी एक मेच्योर पॉलिटिशयन हैं, वो अपना अच्छा-बुरा समझते हैं. अगर उनको संजय यादव की मंशा पर शक होता तो वो उनको साथ नहीं रखते. फिर संजय यादव के रहते हुए पार्टी 2020 में सबसे बड़ी पार्टी विधानसभा चुनाव में बनी. फिर हमें ये भी ध्यान रखना चाहिए कि लालू और तेजस्वी का दौर अलग-अलग है. लालू जैसे अपने कार्यकर्ताओं के लिए सहज थे, वैसा दौर अब नहीं रहा. इसमें संजय यादव का क्या दोष है?"
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संजय यादव के विरोधी भी ये मानते हैं कि सोशल मीडिया पर पार्टी की उपस्थिति को संजय यादव ने मज़बूत किया है.
आरजेडी के एक नेता कहते हैं, "सोशल मीडिया पर आरजेडी का बड़ा नेटवर्क संजय यादव की देन है. अभी सोशल मीडिया टीम जो पोलो रोड से ऑपरेट हो रही है, उसमें ज़्यादातर लोग संजय यादव से ही जुड़े हुए हैं. लालू जी जिस सोशल मीडिया को रिजेक्ट करते थे, संजय ने उसको पार्टी की विचारधारा के प्रचार -प्रसार के लिए इस्तेमाल किया."
लालू परिवार में उठापटक का महागठबंधन पर क्या असर पड़ेगा, इस पर बोलने से इसमें शामिल दल इनकार करते हैं.
लेकिन एनडीए लालू परिवार में इस अनबन को भुनाने की कोशिश करता दिख रहा है.
पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता रेणु देवी ने लालू यादव को नसीहत देते हुए कहा, "गैरों के लिए अपनों का अपमान नहीं करें लालू. बहू ऐश्वर्या राय के अपमान के बाद बेटी रोहिणी आचार्य के तिरस्कार पर भी लालू ख़ामोश हैं, जिसने उन्हें किडनी देकर जीवनदान दिया."
कन्हैया भेलारी परिवार में अनबन का चुनाव पर असर होने से इनकार करते हैं.
वो कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि इसका कोई नुकसान होगा. तेज प्रताप जगह-जगह घूमकर जो सभाएं कर रहे हैं और जो भीड़ दिखाई जा रही है वो ऑर्गेनिक भीड़ नहीं है."
लेकिन आरजेडी के कोर वोटर में इतना भरोसा नहीं है .
पार्टी के एक नेता कहते हैं, "विद्रोह- टूट जैसा पार्टी में कुछ नहीं होने वाला लेकिन यादव वोटर सक्रिय नहीं होगा. और अगर वो सक्रिय नहीं होगा तो साफ़ तौर पर नुक़सान वोटों में होगा."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
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