पांच साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर से शुरू होने जा रही है. इस यात्रा के लिए श्रद्धालुओं को ऑनलाइन आवेदन करना होगा. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि आवेदन की अंतिम तारीख 13 मई 2025 है.
पहली यात्रा लिपुलेख के रास्ते 30 जून को नई दिल्ली से शुरू होगी. हर साल करीब 900 भारतीय श्रद्धालु कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते हैं.
हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक भगवान शिव कैलाश मानसरोवर में ही निवास करते हैं. इसका ज़िक्र कई पवित्र हिंदू ग्रंथों में है. यहां झील की परिक्रमा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.
समुद्र तल से 6,638 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की बौद्ध और जैन धर्म में भी विशेष मान्यता है.
कौन कर सकता है आवेदन?कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए विदेश मंत्रालय ने नियम बनाए हैं. इसके तहत सबसे पहली योग्यता है कि तीर्थयात्री को भारतीय नागरिक होना चाहिए.
तीर्थयात्री के पास 1 सितंबर को कम से कम छह महीने की वैधता वाला भारतीय पासपोर्ट होना चाहिए. चल रहे वर्ष की 1 जनवरी को कम से कम 18 साल और अधिकतम 70 वर्ष की आयु होनी चाहिए.
तीर्थ यात्रा के लिए सबसे ज़्यादा जरूरी और महत्वपूर्ण बात है बॉडी मास इंडेक्स यानी बीएमआई. सिर्फ़ 25 या उससे कम बीएमआई वाले व्यक्ति को ही इस यात्रा पर जाने की अनुमति होती है. इस यात्रा के लिए व्यक्ति का शारीरिक रूप से स्वस्थ और चिकित्सा के दृष्टि से उपयुक्त होना भी आवश्यक है.
यात्रा में विदेशी नागरिक आवेदन नहीं कर सकते हैं. इसके साथ ही ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया यानी ओसीआई कार्ड रखने वाले लोग भी इस यात्रा में आवेदन नहीं कर सकते हैं.

कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए ड्रॉ कंप्यूटर से निकाला जाता है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि आवेदन पूरी तरह से भरा जाए. ऐसा नहीं करने पर आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा.
आवेदन करते समय आपके पास 1 सितंबर को कम से कम छह महीने का पासपोर्ट होना चाहिए और इसके पहले और अंतिम पृष्ठ की कॉपी होनी चाहिए.
इसके साथ ही जिस व्यक्ति का आवेदन करना है, उसकी फ़ोट जेपीजी फार्मेट में होनी चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि एक अकाउंट से सिर्फ़ दो ही आवेदन ही भरे जा सकेंगे.
इसके बाद ऑनलाइन आवेदन पासपोर्ट पर लिखी जानकारी के अनुसार, पूरा करना चाहिए. नाम, पता या फिर किसी भी जानकारी के छिपाए जाने पर आपको यात्रा से रोका जा सकता है.
यात्रा के लिए कैसे होता है चयन?इस यात्रा के लिए सफल ऑनलाइन आवेदन के बाद विदेश मंत्रालय ड्रॉ से तीर्थयात्रियों का चुनाव करता है.
ड्रॉ के साथ ही यात्री के मार्ग और बैच का आवंटन कर दिया जाता है.
विदेश मंत्रालय ड्रॉ के बाद तीर्थयात्रा के हर आवेदक को, उनके पंजीकृत ई-मेल और मोबाईल नंबर पर सूचित करता है.
इसके अलावा कोई भी व्यक्ति हेल्पलाईन नंबर 011-23088133 के माध्यम से भी जानकारी ले सकता है.
इसके बाद आवेदक को मंत्रालय की दी गई निर्धारित तारीख से पहले, कुमाऊँ मण्डल विकास निगम या फिर सिक्किम पर्यटन विकास निगम के निर्धारित बैंक खाते में 'यात्रियों हेतु शुल्क एवं व्यय' में यात्रा का निर्धारित खर्च जमा करना होता है.
यात्रा का खर्च जमा कराने के बाद आवेदक को दिल्ली पहुंचने से पहले ऑनलाइन ही बैच की पुष्टि करनी होती है. इसके बाद बैच अलॉट माना जाता है.
बैच के लिए यात्रा शुरू करने से पहले चिकित्सा जांच होती है.
इसके लिए निर्धारित तारीख पर तीर्थयात्री को दिल्ली के हार्ट एंड लंग इंस्टिट्यूट में रिपोर्ट करना होता है. ऐसा नहीं करने पर बैच से नाम काट दिया जाता है.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक सभी यात्रियों का एक साथ यात्रा करना और लौटना अनिवार्य है. सभी यात्रियों के लिए यात्रा शुरू करने का स्थान दिल्ली है.
यात्रा शुरू करने से पहले आपको मंत्रालय के निर्धारित अधिकारियों को वैध पासपोर्ट, छह पासपोर्ट साइज रंगीन तस्वीरें और 100 रुपए का नोटरी सत्यापित क्षतिपूर्ति बांड देना होता है.
इसके साथ ही आपात स्थिति में हेलीकॉप्टर निकासी के लिए एफिडेविट और चीनी क्षेत्र में मौत के बाद पार्थिव शरीर का वहीं अंतिम संस्कार करने का सहमति पत्र भी देना होता है.
इसमें से किसी भी कागज़ में कोई कमी पाई जाती है तो यात्रा की अनुमति नहीं दी जाएगी.
विदेश मंत्रालय कैलाश मानसरोवर यात्रा का आयोजन हर साल जून से सितंबर के दौरान दो अलग-अलग मार्गों - लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड), और नाथू ला दर्रा (सिक्किम) से कराता है.
इन दोनों मार्गों के लिए एक व्यक्ति पर आने वाला खर्च भी अलग-अलग है.
दिलचस्प ये भी है कि कैलाश मानसरोवर भारत में नहीं है. ये चीन के तिब्बत में स्थित है.
, कैलाश मानसरोवर यात्रा को कोई भी निजी संस्था लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) और नाथुला (सिक्किम) से आयोजित नहीं कराती है.
कैलाश मानसरोवर की यात्रा इस बार पांच साल बाद हो रही है. पहले तो कोविड-19 महामारी फिर पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच सीमा गतिरोध की वजह से ये यात्रा 2020-2024 तक बाधित रही थी.
यात्रा की वेबसाइट के अनुसार लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) से यात्रा का अनुमानित खर्च 1 लाख 74 हजार रुपए है.
इस मार्ग पर करीब 200 किलोमीटर ट्रैकिंग करनी पड़ती है. इस मार्ग से पांच बैच भेजे जाएंगे और यात्रा संपूर्ण होने में करीब 22 दिन लगेंगे.
वहीं नाथु ला दर्रे से अगर कोई व्यक्ति यात्रा करता है तो यह अनुमानित खर्च बढ़कर 2 लाख 83 हजार रुपए हो जाएगा.
इस मार्ग पर करीब 36 किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी होती है. इस मार्ग से 10 बैच जाएंगे और यात्रा में 21 दिनों में पूरी होगी.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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