भारतीय रसोई में स्वाद और खुशबू बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होने वाला तेजपत्ता (Bay Leaf) सिर्फ एक मसाला नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टि से एक औषधीय तत्व है। आमतौर पर लोग इसे केवल पुलाव या दाल में तड़के के लिए उपयोग करते हैं, लेकिन इसके लाभ जानकर आप भी इसे अपनी डेली डाइट में शामिल करना शुरू कर देंगे।
तेजपत्ता न केवल भोजन को स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि शरीर की कई गंभीर बीमारियों से बचाने में भी सहायक होता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण इसे सेहत के लिए बेहद लाभकारी बनाते हैं।
तेजपत्ते के चमत्कारी फायदे
पाचन क्रिया को बनाए दुरुस्त
तेजपत्ता पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे गैस, अपच और एसिडिटी में राहत दिलाने का काम करता है। इसमें मौजूद एंजाइम्स पाचन को बेहतर बनाते हैं और मेटाबॉलिज्म को तेज करते हैं।
ब्लड शुगर कंट्रोल करने में सहायक
कुछ अध्ययन बताते हैं कि तेजपत्ता ब्लड ग्लूकोज़ लेवल को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों के लिए लाभकारी हो सकता है, लेकिन इसके लिए डॉक्टर की सलाह जरूरी है।
हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद
तेजपत्ता में पोटैशियम, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सिडेंट तत्व होते हैं जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर हृदय को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करते हैं।
सर्दी-खांसी में राहत
इसके पत्तों को पानी में उबालकर भाप लेने या चाय बनाकर पीने से सर्दी, खांसी, गले की खराश और जुकाम में आराम मिलता है। यह बलगम को ढीला कर सांस को साफ करता है।
बालों और त्वचा के लिए उपयोगी
तेजपत्ते का पाउडर स्किन पर लगाने से त्वचा चमकदार बनती है और बालों में लगाने से डैंड्रफ जैसी समस्या कम होती है। यह त्वचा को बैक्टीरियल संक्रमण से बचाता है।
कैसे करें सेवन?
तड़के में इस्तेमाल करें – दाल, सब्जी या पुलाव में एक या दो तेजपत्ते का प्रयोग करें।
तेजपत्ता चाय – एक पत्ता पानी में उबालें और छानकर पिएं, सर्दी-जुकाम में लाभ मिलेगा।
पाउडर के रूप में – तेजपत्ते को सुखाकर पीस लें और इसे मसालों के साथ मिलाएं।
ध्यान रखने योग्य बातें
तेजपत्ता का सेवन सीमित मात्रा में करें। अत्यधिक मात्रा में सेवन से उल्टी या एलर्जी हो सकती है।
गर्भवती महिलाएं या किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे व्यक्ति सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
विशेषज्ञ की राय
आयुर्वेदाचार्य डॉ. कहती हैं:
“तेजपत्ता भारतीय औषधियों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसकी गंध और गुण दोनों ही शरीर के लिए लाभकारी हैं। लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि कोई भी औषधीय तत्व तभी असर करता है जब उसे संतुलित मात्रा में लिया जाए।”
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