-राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (24 अप्रैल) पर विशेष
गांधीनगर, 23 अप्रैल (हि.स.)। भारत सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022-23 के लिए पहली बार जारी किए गए पंचायत उन्नति सूचकांक (पीएआई) में गुजरात ने ग्रामीण शासन और सतत विकास के क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित किया है।
उल्लेखनीय है कि हर वर्ष 24 अप्रैल को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 1992 में पारित 73वें संविधान संशोधन अधिनियम की याद दिलाता है। इस अधिनियम के माध्यम से भारत में पंचायती राज प्रणाली को संस्थागत रूप प्रदान किया गया। इसी अवसर के संदर्भ में पंचायत उन्नति सूचकांक में गुजरात को मिली हालिया उपलब्धि जमीनी स्तर पर राज्य की मजबूत शासन व्यवस्था और सतत ग्रामीण विकास में अग्रणी भूमिका को दर्शाती है।
भारत सरकार की पीएआई सूचकांक में देशभर की कुल 2,16,285 मान्य ग्राम पंचायतों में से गुजरात की 346 पंचायतों को ‘अग्रणी’ और 13,781 पंचायतों को ‘बेहतर प्रदर्शन’ की श्रेणी में स्थान मिला है, जो दोनों ही श्रेणियों में देश में सर्वाधिक हैं। वहीं, इस सूचकांक में तेलंगाना 270 ‘अग्रणी’ पंचायतों के साथ दूसरे स्थान पर रहा, जबकि ‘बेहतर प्रदर्शन’ की श्रेणी में महाराष्ट्र 12,242 पंचायतों के साथ दूसरे और तेलंगाना 10,099 पंचायतों के साथ तीसरे स्थान पर रहा। इस पीएआई सूचकांक में देश की 2,55,699 ग्राम पंचायतों में से 2,16,285 पंचायतों ने मान्य डेटा प्रस्तुत किया, जिनमें से 699 पंचायतें ‘अग्रणी’, 77,298 ‘बेहतर प्रदर्शन’ वाली और 1,32,392 ‘आकांक्षी’ पंचायतें रहीं।
पीएआई के लिए स्टेट नोडल ऑफिसर और गुजरात के पंचायत विभाग के एडिशनल डेवलपमेन्ट कमिश्नर डॉ गौरव दहिया (आईएएस) ने कहा कि गुजरात की यह उपलब्धि जमीनी विकास और सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के प्रति राज्य की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। इस सफलता के पीछे कई समीक्षा बैठकों, विभिन्न क्षमतावर्धन सत्रों और सभी स्तरों पर समन्वित प्रयासों की अहम भूमिका रही है। गुजरात की पंचायतों ने डेटा-आधारित योजना और विभागीय समन्वय का प्रभावशाली उदाहरण प्रस्तुत किया है। राज्य सरकार, “विकसित पंचायत” के विज़न को आधार बनाकर, साक्ष्य-आधारित सुशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री के “विकसित भारत” के सपने को साकार करने की दिशा में निरंतर अग्रसर है।”
पंचायत उन्नति सूचकांक क्या है?
पंचायत उन्नति सूचकांक (पीएआई) देश की 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों के सतत विकास लक्ष्यों (एलएसडीजीएस) के अनुरूप प्रगति को मापने वाला एक समग्र मूल्यांकन उपकरण है। यह सूचकांक गांवों के जमीनी विकास को आंकने और पंचायतों की भूमिका को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है, जिसमें गरीबी मुक्त और बेहतर आजीविका, स्वस्थ पंचायत, बाल-अनुकूल पंचायत, जल-पर्याप्त पंचायत, स्वच्छ और हरित पंचायत, आत्मनिर्भर बुनियादी ढांचे वाली पंचायत, सामाजिक रूप से न्यायसंगत और सुरक्षित पंचायत, सुशासन युक्त पंचायत और महिला-अनुकूल पंचायत जैसे 9 विषय शामिल हैं। इन विषयों का मूल्यांकन 435 स्थानीय संकेतकों और 566 डेटा बिंदुओं के माध्यम से किया गया है।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिनोद पाण्डेय
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