Next Story
Newszop

फेडरल रिजर्व ने घटाई ब्याज दरें, अब RBI की बारी; क्या जल्द मिलेगा रेट कट का तोहफा?

Send Push
अमेरिका के फेडरल रिजर्व ने हाल ही में ब्याज दर में 0.25% की कटौती की है, जिससे दुनियाभर के निवेशकों की नजरें अब उभरते बाजार भारत पर टिक गई हैं। लेकिन क्या भारत भी जल्द ब्याज दरें घटाएगा? एक्सपर्ट्स का मानना है कि केवल इसे देखकर RBI जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं करेगा। RBI की ये मीाटिंग 29 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच होगी।



ANZ रिसर्च के इकोनॉमिस्ट और एफएक्स स्ट्रैटेजिस्ट धीरज निम कहते हैं- 'फेड की कटौती से RBI को थोड़ा स्पेस मिला है, लेकिन उसका पूरा फोकस डोमेस्टिक ग्रोथ और महंगाई के बीच संतुलन बनाए रखने पर रहेगा।' उनका ये भी कहना है कि अक्टूबर की मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में अगर RBI ब्याज दरों को जस का तस बनाए रखता है, तो यह बिल्कुल भी चौंकाने वाला नहीं होगा। बाजार पहले से मानकर चल रहा है कि इस बार कोई बड़ी दर कटौती नहीं होगी।



फेड की कटौती का क्या है मतलब?

18 सितंबर को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी बेंचमार्क ब्याज दर में 25 बेसिस प्वाइंट (यानी 0.25%) की कटौती की, जिससे यह दर अब 4% से 4.25% के बीच हो गई है। ये दिसंबर 2024 के बाद पहली बार है जब फेड ने दरों में कटौती की है। खास बात ये भी है कि यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की पहली ब्याज कटौती के रूप में भी देखा जा रहा है।



फेड की ब्याज दर कटौती से RBI को मिला फैसले में सहूलियत, लेकिन महंगाई पर रहेगा ध्यान

अमेरिका के फेडरल रिजर्व में ब्याज दरें घटाने के कारण भारत में विदेशी निवेश बढ़ सकता है। इससे रुपया मजबूत होगा और शेयर बाजार के बड़े इंडेक्स जैसे सेंसेक्स और निफ्टी को फायदा होगा। ऐसा कहना है एक्सिस सिक्योरिटीज के एक्सपर्ट राजेश पलविया का। अगर RBI इस बार ब्याज दरों में बदलाव नहीं करता, तो यह लगातार दूसरी बार होगा जब उसने दरें स्थिर रखी होंगी। फरवरी से अगस्त तक RBI ने ब्याज दरों को 1% तक घटाया था, लेकिन अगस्त में इसे जस का तस रखा गया था।



एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की मुख्य इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा कहती हैं कि फेड की दर कटौती से RBI के लिए फैसले लेने में आसानी हुई है। लेकिन वे ये भी कहती हैं कि RBI महंगाई पर ज्यादा ध्यान दे रहा है, जो थोड़ा ज्यादा हो सकता है। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में आर्थिक ग्रोथ धीमी हो रहा है, अमेरिका में व्यापार पर अनिश्चितताएं हैं और डॉलर कमजोर हो रहा है। अगर फेड और दरें घटाता है, तो RBI के पास भी दरें घटाने का मौका बढ़ेगा।



महंगाई के आधार पर RBI की सतर्क नीति, फेड की दर कटौती का असर सीमित

एक्सपर्ट्स का मानना है कि फेड की ब्याज दर कटौती से बाहरी दबाव कम होगा, लेकिन RBI अपने देश की महंगाई को देखकर ही आगे की रणनीति बनाएगा। भारत में हाल ही में महंगाई की दर कम रही है और एशिया के दूसरे देशों में भी महंगाई धीमी हुई है। इन संकेतों के चलते RBI भविष्य में दरें घटा सकता है, लेकिन यह कोई जल्दबाजी में लिया गया फैसला नहीं होगा।

Loving Newspoint? Download the app now