गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) की नई दरें लागू होने के बाद रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीजों के दाम कम हो गए हैं। आटा, बिस्कुट, दूध, पनीर जैसे कई किचन में इस्तेमाल होने वाले आइटम्स पर आपको पहले की तुलना में कम टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा, जिसके कारण इनकी कीमतें भी कम हुई है। कई चीजों को 12% और 18% के स्लैब से कम करके 5% की जीएसटी स्लैब के अंतर्गत लाया गया है। पहले 5% वाले स्लैब में केवल 54 वस्तुएं ही थीं, लेकिन उनकी संख्या बढ़कर 149 हो गई है।
बढ़ गई कम टैक्स वाले सामानों की संख्याशहर और गांव में रहने वाले लोग अब कम टैक्स वाली ज्यादा चीजें खरीद सकते हैं। हालांकि यह बदलाव बहुत ही ज्यादा नहीं हुआ है, लेकिन फिर भी किचन के बजट पर इसका असर देखा जा रहा है। सरकार के द्वारा 375 से ज्यादा आइटम्स पर रेट कटौती की गई है। कुछ सामान जैसे कि गेहूं, चावल, दाल पर पहले से ही जीरो प्रतिशत जीएसटी लगता था, लेकिन प्रोसेस्ड करने पर जीएसटी देना पड़ता था।
कम हो गए रेटवैसे तो किचन में इस्तेमाल होने वाली है कई प्रोडक्ट पर पहले से भी 0% का जीएसटी लगता था लेकिन :
- पैकेट बंद दाल चावल आटा पर पहले 12% जीएसटी लगता था, जिसे अब कम करके 5% कर दिया गया है
- टूथपेस्ट, हेयर ऑयल, शैंपू, साबुन आदि पर पहले 18% की दर से जीएसटी लगता था जिसे अब कम करके 5% कर दिया गया है।
- ब्रेड, पनीर, छेना पर पहले 12% की दर से जीएसटी लगता था जिसे अब शून्य कर दिया गया है।
- कुकिंग ऑयल पर पहले 18% की दर से जीएसटी लगता था, जिसे 5% कर दिया गया है।
- किचनवेयर जिसमें स्टील के कुकर बर्तन पर पहले 12% की दर से जीएसटी लगता था, जिसे अब 5% कर दिया गया है।
- रोजाना बच्चों के लिए इस्तेमाल होने वाले डायपर, बेबी बॉटल के अलावा माचिस, मोमबत्ती आदि के दाम भी कम कर दिए गए।
- कई कंपनियों ने अपने चॉकलेट बिस्कुट के दाम भी कम करके बेचने शुरू कर दिए हैं।
क्या कहती है फिक्की की रिपोर्टवैसे तो जीएसटी रेट कट के बाद आम आदमी के किचन का बजट भी कम हो जाएगा। यदि आप हर महीने किचन के सामानों पर लगभग 20,000 रुपये का खर्च कर रहे थे, तो अब यह खर्च कम होकर 18,000-19000 के बीच हो जाएगा। हालांकि फिक्की का कहना है कि आम आदमी हर महीने 88 रुपये बचाएगा। किचन के सामानों के अलावा अन्य चीजों के भी दाम कम हुए हैं, जिससे मिडिल क्लास फैमिली का बजट सालाना रूप से 15,000 रुपये से 20,000 रुपये कम हो सकता है।
बढ़ गई कम टैक्स वाले सामानों की संख्याशहर और गांव में रहने वाले लोग अब कम टैक्स वाली ज्यादा चीजें खरीद सकते हैं। हालांकि यह बदलाव बहुत ही ज्यादा नहीं हुआ है, लेकिन फिर भी किचन के बजट पर इसका असर देखा जा रहा है। सरकार के द्वारा 375 से ज्यादा आइटम्स पर रेट कटौती की गई है। कुछ सामान जैसे कि गेहूं, चावल, दाल पर पहले से ही जीरो प्रतिशत जीएसटी लगता था, लेकिन प्रोसेस्ड करने पर जीएसटी देना पड़ता था।
कम हो गए रेटवैसे तो किचन में इस्तेमाल होने वाली है कई प्रोडक्ट पर पहले से भी 0% का जीएसटी लगता था लेकिन :
- पैकेट बंद दाल चावल आटा पर पहले 12% जीएसटी लगता था, जिसे अब कम करके 5% कर दिया गया है
- टूथपेस्ट, हेयर ऑयल, शैंपू, साबुन आदि पर पहले 18% की दर से जीएसटी लगता था जिसे अब कम करके 5% कर दिया गया है।
- ब्रेड, पनीर, छेना पर पहले 12% की दर से जीएसटी लगता था जिसे अब शून्य कर दिया गया है।
- कुकिंग ऑयल पर पहले 18% की दर से जीएसटी लगता था, जिसे 5% कर दिया गया है।
- किचनवेयर जिसमें स्टील के कुकर बर्तन पर पहले 12% की दर से जीएसटी लगता था, जिसे अब 5% कर दिया गया है।
- रोजाना बच्चों के लिए इस्तेमाल होने वाले डायपर, बेबी बॉटल के अलावा माचिस, मोमबत्ती आदि के दाम भी कम कर दिए गए।
- कई कंपनियों ने अपने चॉकलेट बिस्कुट के दाम भी कम करके बेचने शुरू कर दिए हैं।
क्या कहती है फिक्की की रिपोर्टवैसे तो जीएसटी रेट कट के बाद आम आदमी के किचन का बजट भी कम हो जाएगा। यदि आप हर महीने किचन के सामानों पर लगभग 20,000 रुपये का खर्च कर रहे थे, तो अब यह खर्च कम होकर 18,000-19000 के बीच हो जाएगा। हालांकि फिक्की का कहना है कि आम आदमी हर महीने 88 रुपये बचाएगा। किचन के सामानों के अलावा अन्य चीजों के भी दाम कम हुए हैं, जिससे मिडिल क्लास फैमिली का बजट सालाना रूप से 15,000 रुपये से 20,000 रुपये कम हो सकता है।
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