देश में आज भी लाखों लोग हैं जिन्हें रोज़गार की तलाश है। युवाओं के सपने अक्सर किसी सरकारी नौकरी की तलाश में उलझ जाते हैं, वहीं महिलाएँ अपनी प्रतिभा को चारदीवारी के भीतर सीमित रखने को मजबूर होती हैं। उल्हास कामत ने सोसाइटी की इस जड़ता को तोड़ने का प्रयास किया है।
कॉर्पोरेट से सोशल वर्क तकIIT बॉम्बे और डार्टमाउथ यूनिवर्सिटी के टक स्कूल ऑफ बिज़नेस से पढ़े उल्हास कामत का करियर किसी भी युवा प्रोफेशनल का सपना हो सकता है। चार दशकों तक उन्होंने ICI, Unilever, IBM, Tata और Unisys जैसी Fortune 500 कंपनियों में काम किया। लेकिन इस सफलता के बीच उन्होंने महसूस किया कि समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए अपनी विशेषज्ञता को किसी बड़े उद्देश्य में लगाना ज़रूरी है। यहां से उनका सामाजिक उद्यमिता का सफर शुरु हुआ था। सन 2009 में उन्होंने I Create India की बागडोर संभाली और संगठन के विकास, विस्तार और प्रशिक्षण मॉडल को नई दिशा दी। आज वह संगठन के चीफ़ मेंटर हैं और देशभर में उद्यमिता को एक आंदोलन बनाने में लगे हुए हैं।
I Create India बनी बदलाव की प्रयोगशालाI Create India एक ऐसा एनजीओ है जिसका मिशन है Economic Empowerment through Entrepreneurship (EEE) यानी उद्यमिता के ज़रिए आर्थिक सशक्तिकरण। संगठन ने पिछले 25 साल में 6,000 से ज्यादा माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइज खड़े करने में मदद की है। खास बात यह है कि औसतन हर उद्यमी ने तीन-चार लोगों को और रोजगार दिया। यह बदलाव किसी रिपोर्ट का आंकड़ा नहीं, बल्कि हज़ारों परिवारों की रोज़मर्रा की खुशियों में दिखता है। द इकनॉमिक टाइम्स ने उल्हास कामत से इस पर विस्तार से बात की।
I Create India का विज़न है उद्यमिताउल्हास कामत ने कहा कि I Create India का विज़न है Economic Empowerment through Entrepreneurship (EEE)। यह संगठन युवाओं, महिलाओं और सेना के पूर्व सैनिकों को उद्यमिता का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है। संगठन का कहना है कि भारत की रोजगार चुनौती का सबसे बड़ा समाधान उद्यमिता है। उन्होंने बताया कि अब तक I Create India ने 6,000 से ज्यादा माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइज खड़े करने में मदद की है। खास बात यह है कि औसतन हर उद्यमी ने तीन से चार अन्य लोगों को भी रोजगार दिया है। इस तरह संगठन केवल व्यवसाय नहीं खड़ा कर रहा, बल्कि रोजगार सृजन और स्थानीय विकास की लहर पैदा कर रहा है।
सैनिकों के लिए ट्रेनिंगसेना से सिविलियन जीवन में आना पूर्व सैनिकों के लिए काफी मुश्किल हो सकता है। नई पहचान बनाना, कौशल को बाजार में लागू करना और नौकरी ढूंढना चुनौतीपूर्ण रहता है। I Create India उन्हें टेलर-मेड ट्रेनिंग और व्यक्तिगत मेंटरिंग देता है। इसका लक्ष्य है उन्हें एक सफल बिजनेस आइडिया पर काम करने, जोखिम घटाने और मजबूत बिजनेस प्लान बनाने में मदद करना। अब तक 17,400 से ज्यादा वेटरन्स को ट्रेनिंग दी गई है, जिनमें से 2,094 ने सफल बिजनेस शुरू किए हैं। इन उद्यमों ने न केवल उनके परिवार को सहारा दिया है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में नई जान फूंक दी है।
उद्यमियों को मेंटरिंगI Create India का काम ट्रेनिंग देने पर खत्म नहीं हो जाता। असली काम वहीं से शुरू होता है। प्रशिक्षित उद्यमियों को लगातार मेंटरिंग दी जाती है। संगठन का अपना खुद का एक फ्रेमवर्क है जो प्रक्रिया को आसान और प्रभावी बनाता है। वे स्थानीय मेंटर्स को सर्टिफाई भी करते हैं ताकि हर क्षेत्र में एक मज़बूत सपोर्ट सिस्टम तैयार हो सके। आज के समय में बिजनेस का मतलब केवल दुकान खोलने तक सीमित नहीं है। डिजिटल मार्केटिंग, ई-कॉमर्स और फिनटेक जैसे विषय अनिवार्य हो गए हैं। I Create India अपने ट्रेनिंग मॉड्यूल को लगातार अपडेट करता है ताकि प्रतिभागी तुरंत सीखी गई स्किल को लागू कर सकें।
प्रेरक कहानियाँ और असरयह संस्था कई प्रेरक कहानियो को भी सामने लाती है। जैसे, रिटायर्ड लांस नायक अंकुश गोडसे, जिन्होंने ट्रेनिंग के बाद बकरी पालन का बिजनेस शुरू किया। आज वह अपने गांव में रोल मॉडल हैं। सुबेदार सोपन शिंगड़े ने रेसलिंग एकेडमी शुरू की, जो युवाओं को परंपरागत खेलों से जोड़ रही है और रोजगार का साधन भी बन रही है। I Create India का सपना है कि ग्रामीण उद्यमिता को एक राष्ट्रीय आंदोलन बनाया जाए। इसके लिए संगठन मेंटर नेटवर्क बढ़ा रहा है, लोकल एंटरप्राइज हब बना रहा है और जल्द ही बिजनेस मेंटरिंग का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
उल्हास कामत और I Create India का सफर बताता है कि उद्यमिता केवल व्यवसाय बनाने का माध्यम नहीं है, बल्कि समाज में बदलाव का जरिया है। यह संगठन न केवल लोगों को आत्मनिर्भर बना रहा है, बल्कि उन्हें नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी की नई परिभाषा भी दे रहा है।
कॉर्पोरेट से सोशल वर्क तकIIT बॉम्बे और डार्टमाउथ यूनिवर्सिटी के टक स्कूल ऑफ बिज़नेस से पढ़े उल्हास कामत का करियर किसी भी युवा प्रोफेशनल का सपना हो सकता है। चार दशकों तक उन्होंने ICI, Unilever, IBM, Tata और Unisys जैसी Fortune 500 कंपनियों में काम किया। लेकिन इस सफलता के बीच उन्होंने महसूस किया कि समाज में वास्तविक परिवर्तन लाने के लिए अपनी विशेषज्ञता को किसी बड़े उद्देश्य में लगाना ज़रूरी है। यहां से उनका सामाजिक उद्यमिता का सफर शुरु हुआ था। सन 2009 में उन्होंने I Create India की बागडोर संभाली और संगठन के विकास, विस्तार और प्रशिक्षण मॉडल को नई दिशा दी। आज वह संगठन के चीफ़ मेंटर हैं और देशभर में उद्यमिता को एक आंदोलन बनाने में लगे हुए हैं।
I Create India बनी बदलाव की प्रयोगशालाI Create India एक ऐसा एनजीओ है जिसका मिशन है Economic Empowerment through Entrepreneurship (EEE) यानी उद्यमिता के ज़रिए आर्थिक सशक्तिकरण। संगठन ने पिछले 25 साल में 6,000 से ज्यादा माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइज खड़े करने में मदद की है। खास बात यह है कि औसतन हर उद्यमी ने तीन-चार लोगों को और रोजगार दिया। यह बदलाव किसी रिपोर्ट का आंकड़ा नहीं, बल्कि हज़ारों परिवारों की रोज़मर्रा की खुशियों में दिखता है। द इकनॉमिक टाइम्स ने उल्हास कामत से इस पर विस्तार से बात की।
I Create India का विज़न है उद्यमिताउल्हास कामत ने कहा कि I Create India का विज़न है Economic Empowerment through Entrepreneurship (EEE)। यह संगठन युवाओं, महिलाओं और सेना के पूर्व सैनिकों को उद्यमिता का प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है। संगठन का कहना है कि भारत की रोजगार चुनौती का सबसे बड़ा समाधान उद्यमिता है। उन्होंने बताया कि अब तक I Create India ने 6,000 से ज्यादा माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइज खड़े करने में मदद की है। खास बात यह है कि औसतन हर उद्यमी ने तीन से चार अन्य लोगों को भी रोजगार दिया है। इस तरह संगठन केवल व्यवसाय नहीं खड़ा कर रहा, बल्कि रोजगार सृजन और स्थानीय विकास की लहर पैदा कर रहा है।
सैनिकों के लिए ट्रेनिंगसेना से सिविलियन जीवन में आना पूर्व सैनिकों के लिए काफी मुश्किल हो सकता है। नई पहचान बनाना, कौशल को बाजार में लागू करना और नौकरी ढूंढना चुनौतीपूर्ण रहता है। I Create India उन्हें टेलर-मेड ट्रेनिंग और व्यक्तिगत मेंटरिंग देता है। इसका लक्ष्य है उन्हें एक सफल बिजनेस आइडिया पर काम करने, जोखिम घटाने और मजबूत बिजनेस प्लान बनाने में मदद करना। अब तक 17,400 से ज्यादा वेटरन्स को ट्रेनिंग दी गई है, जिनमें से 2,094 ने सफल बिजनेस शुरू किए हैं। इन उद्यमों ने न केवल उनके परिवार को सहारा दिया है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था में नई जान फूंक दी है।
उद्यमियों को मेंटरिंगI Create India का काम ट्रेनिंग देने पर खत्म नहीं हो जाता। असली काम वहीं से शुरू होता है। प्रशिक्षित उद्यमियों को लगातार मेंटरिंग दी जाती है। संगठन का अपना खुद का एक फ्रेमवर्क है जो प्रक्रिया को आसान और प्रभावी बनाता है। वे स्थानीय मेंटर्स को सर्टिफाई भी करते हैं ताकि हर क्षेत्र में एक मज़बूत सपोर्ट सिस्टम तैयार हो सके। आज के समय में बिजनेस का मतलब केवल दुकान खोलने तक सीमित नहीं है। डिजिटल मार्केटिंग, ई-कॉमर्स और फिनटेक जैसे विषय अनिवार्य हो गए हैं। I Create India अपने ट्रेनिंग मॉड्यूल को लगातार अपडेट करता है ताकि प्रतिभागी तुरंत सीखी गई स्किल को लागू कर सकें।
प्रेरक कहानियाँ और असरयह संस्था कई प्रेरक कहानियो को भी सामने लाती है। जैसे, रिटायर्ड लांस नायक अंकुश गोडसे, जिन्होंने ट्रेनिंग के बाद बकरी पालन का बिजनेस शुरू किया। आज वह अपने गांव में रोल मॉडल हैं। सुबेदार सोपन शिंगड़े ने रेसलिंग एकेडमी शुरू की, जो युवाओं को परंपरागत खेलों से जोड़ रही है और रोजगार का साधन भी बन रही है। I Create India का सपना है कि ग्रामीण उद्यमिता को एक राष्ट्रीय आंदोलन बनाया जाए। इसके लिए संगठन मेंटर नेटवर्क बढ़ा रहा है, लोकल एंटरप्राइज हब बना रहा है और जल्द ही बिजनेस मेंटरिंग का सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
उल्हास कामत और I Create India का सफर बताता है कि उद्यमिता केवल व्यवसाय बनाने का माध्यम नहीं है, बल्कि समाज में बदलाव का जरिया है। यह संगठन न केवल लोगों को आत्मनिर्भर बना रहा है, बल्कि उन्हें नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी की नई परिभाषा भी दे रहा है।
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