Zerodha के को-फाउंडर नितिन कामथ ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की, जिसने एक पुराने और छुपे हुए इतिहास की कहानी को सबके सामने ला दिया है। बहुत से लोग सोचते हैं कि ब्रिटिश साम्राज्य सिर्फ ब्रिटेन और भारत तक ही सीमित था, लेकिन सचाई इससे अलग थी। दरअसल, ब्रिटिश सरकार ने भारत के जरिए दिल्ली से ही मस्कट, ओमान, यूएई और बर्मा जैसे दूर-दराज इलाकों को सीधे संभाला करता था।
नितिन कामथ ने कहा कि उन्हें ये जानकर आश्चर्य हुआ कि मस्कट, ओमान, यूएई से लेकर बर्मा तक की जमीनें कभी ब्रिटिश भारत का हिस्सा थीं। उन्होंने यह जानकारी इतिहासकार सैम डेलरिंपल की किताब The Shattered Lands पढ़कर हासिल की।
डेलरिंपल ने अपने रिसर्च में बताया है कि ब्रिटिश भारत की सीमाएं आज हम जितनी सोचते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ी थीं। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अलावा, ब्रिटिश भारत का इलाका मिडिल ईस्ट और साउथ-ईस्ट एशिया के कई देशों तक फैला हुआ था। 1928 में भारत के प्रशासनिक नक्शे में बर्मा, नेपाल, भूटान, यमन, ओमान, कतर, बहरीन, कुवैत और आज के संयुक्त अरब अमीरात के इलाके भी शामिल थे।
सिर्फ नाम के लिए ब्रिटिश भारत के हिस्सा नहीं थे ये इलाके
ये इलाके सिर्फ नाम के लिए ब्रिटिश भारत के हिस्से नहीं थे। इन्हें भारतीय राजनीतिक सर्विस के अधिकारी चलाते थे, भारतीय सैनिक वहां तैनात थ, और ये सीधे दिल्ली के वाइसराय को रिपोर्ट करते थे। 1889 के एक कानून के तहत, इन्हें कानूनी तौर पर भारत का हिस्सा माना जाता था। इतिहासकार रॉबर्ट ब्लिथ ने अपनी किताब Empire of the Raj में लिखा है कि फारसी खाड़ी ब्रिटिश भारत के क्षेत्र का दिल थी। ब्रिटेन के लिए यह जगह बहुत महत्वपूर्ण थी क्योंकि 19वीं सदी में वह फ्रांस और रूस की बढ़ती ताकतों के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में इसे नियंत्रित करता था।
सूएज नहर के बाद ब्रिटिश नियंत्रण का विस्तार और राजनैतिक छुपाव
1869 में सूएज नहर खुलने के बाद यह इलाका और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया। बॉम्बे में ब्रिटिशों ने कुछ समझौते किए और सुरक्षा के नियम बनाए, जिससे ब्रिटेन की पकड़ मजबूत हो गई। ये सारे काम भारत के अधिकारी करते थे। लेकिन ये दिलचस्प है कि उस समय के ब्रिटिश नक्शों में अक्सर फारसी खाड़ी के ये इलाके दिखाए ही नहीं जाते थे। ब्रिटिश अधिकारी ओटोमन साम्राज्य को नाराज नहीं करना चाहते थे और इसलिए भारत के राज्य की असली सीमा को छुपाते थे। उस समय के एक शिक्षक ने मजाक में कहा था, 'जैसे कोई शेख अपनी पसंदीदा पत्नी को छुपाता है, वैसे ही ब्रिटिश अधिकारी अरब देशों की असल हालत छुपाते हैं।' उस समय लॉर्ड कर्जन ने साफ कहा था कि ओमान भी केलत या हैदराबाद जैसी ही एक रियासत है।
धीरे-धीरे सत्ता का बदलाव
मार्च 1947 तक अरब स्टेट के इलाके दिल्ली से ही चलाए जाते थे। लेकिन जब आजादी करीब आई, तो ब्रिटेन ने जल्दी से कदम उठाए। उन्होंने भारत सरकार से अरब स्टेट पर सारे अधिकार ले लिए और इसे सीधे अपने विदेश विभाग के नियंत्रण में दे दिया। ब्रिटेन के अरब स्टेट के प्रतिनिधि विलियम हे का कहना था कि नए आजाद हुए भारत या पाकिस्तान के लिए खाड़ी के अरबों से सीधे बात करना ठीक नहीं था। इस तरह, सदियों पुराने सरकारी और राजनीतिक रिश्ते अचानक खत्म हो गए।
यादों से मिटा दिया गया इतिहास
भारत में इस कहानी को बहुत कम लोग जानते हैं। हमारे इतिहासकार भारत को एक पुराना और हमेशा से मौजूद देश मानते हैं, लेकिन वे यह नहीं बताते कि ब्रिटिशों ने दिल्ली से एक बड़ा साम्राज्य बनाया था जो बाहर के कई इलाकों तक फैला था। जैसा कि इतिहासकार डेलरिंपल ने कहा है, ब्रिटेन का मकसद कभी भारत के लिए नहीं था, बल्कि सिर्फ व्यापार और अपनी ताकत बढ़ाने का था। कामथ ने इस पुराने इतिहास को देखकर आज की बड़ी कंपनियों की तुलना की। जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी एक छोटी कंपनी से एक बड़ी ताकत बन गई थी, उन्होंने सोचा कि अगर आज की बड़ी कंपनियां भी बुरी हो जाएं तो क्या होगा? अभी के लिए, नितिन कामथ की पोस्ट ने उस पुराने समय को याद दिला दिया है, जब दिल्ली सचमुच दुबई जैसे शहरों पर शासन करती थी।
नितिन कामथ ने कहा कि उन्हें ये जानकर आश्चर्य हुआ कि मस्कट, ओमान, यूएई से लेकर बर्मा तक की जमीनें कभी ब्रिटिश भारत का हिस्सा थीं। उन्होंने यह जानकारी इतिहासकार सैम डेलरिंपल की किताब The Shattered Lands पढ़कर हासिल की।
डेलरिंपल ने अपने रिसर्च में बताया है कि ब्रिटिश भारत की सीमाएं आज हम जितनी सोचते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ी थीं। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के अलावा, ब्रिटिश भारत का इलाका मिडिल ईस्ट और साउथ-ईस्ट एशिया के कई देशों तक फैला हुआ था। 1928 में भारत के प्रशासनिक नक्शे में बर्मा, नेपाल, भूटान, यमन, ओमान, कतर, बहरीन, कुवैत और आज के संयुक्त अरब अमीरात के इलाके भी शामिल थे।
I didn't realise that lands from Muscat and Oman, the UAE, all the way to Burma were once part of the British Indian Empire. I'd always thought of India's partition as only involving India, Pakistan, and Bangladesh.
— Nithin Kamath (@Nithin0dha) August 24, 2025
Shattered Lands by @SamDalrymple123 is a must-read for history… pic.twitter.com/GFfXFpK8Pj
सिर्फ नाम के लिए ब्रिटिश भारत के हिस्सा नहीं थे ये इलाके
ये इलाके सिर्फ नाम के लिए ब्रिटिश भारत के हिस्से नहीं थे। इन्हें भारतीय राजनीतिक सर्विस के अधिकारी चलाते थे, भारतीय सैनिक वहां तैनात थ, और ये सीधे दिल्ली के वाइसराय को रिपोर्ट करते थे। 1889 के एक कानून के तहत, इन्हें कानूनी तौर पर भारत का हिस्सा माना जाता था। इतिहासकार रॉबर्ट ब्लिथ ने अपनी किताब Empire of the Raj में लिखा है कि फारसी खाड़ी ब्रिटिश भारत के क्षेत्र का दिल थी। ब्रिटेन के लिए यह जगह बहुत महत्वपूर्ण थी क्योंकि 19वीं सदी में वह फ्रांस और रूस की बढ़ती ताकतों के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में इसे नियंत्रित करता था।
सूएज नहर के बाद ब्रिटिश नियंत्रण का विस्तार और राजनैतिक छुपाव
1869 में सूएज नहर खुलने के बाद यह इलाका और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया। बॉम्बे में ब्रिटिशों ने कुछ समझौते किए और सुरक्षा के नियम बनाए, जिससे ब्रिटेन की पकड़ मजबूत हो गई। ये सारे काम भारत के अधिकारी करते थे। लेकिन ये दिलचस्प है कि उस समय के ब्रिटिश नक्शों में अक्सर फारसी खाड़ी के ये इलाके दिखाए ही नहीं जाते थे। ब्रिटिश अधिकारी ओटोमन साम्राज्य को नाराज नहीं करना चाहते थे और इसलिए भारत के राज्य की असली सीमा को छुपाते थे। उस समय के एक शिक्षक ने मजाक में कहा था, 'जैसे कोई शेख अपनी पसंदीदा पत्नी को छुपाता है, वैसे ही ब्रिटिश अधिकारी अरब देशों की असल हालत छुपाते हैं।' उस समय लॉर्ड कर्जन ने साफ कहा था कि ओमान भी केलत या हैदराबाद जैसी ही एक रियासत है।
धीरे-धीरे सत्ता का बदलाव
मार्च 1947 तक अरब स्टेट के इलाके दिल्ली से ही चलाए जाते थे। लेकिन जब आजादी करीब आई, तो ब्रिटेन ने जल्दी से कदम उठाए। उन्होंने भारत सरकार से अरब स्टेट पर सारे अधिकार ले लिए और इसे सीधे अपने विदेश विभाग के नियंत्रण में दे दिया। ब्रिटेन के अरब स्टेट के प्रतिनिधि विलियम हे का कहना था कि नए आजाद हुए भारत या पाकिस्तान के लिए खाड़ी के अरबों से सीधे बात करना ठीक नहीं था। इस तरह, सदियों पुराने सरकारी और राजनीतिक रिश्ते अचानक खत्म हो गए।
यादों से मिटा दिया गया इतिहास
भारत में इस कहानी को बहुत कम लोग जानते हैं। हमारे इतिहासकार भारत को एक पुराना और हमेशा से मौजूद देश मानते हैं, लेकिन वे यह नहीं बताते कि ब्रिटिशों ने दिल्ली से एक बड़ा साम्राज्य बनाया था जो बाहर के कई इलाकों तक फैला था। जैसा कि इतिहासकार डेलरिंपल ने कहा है, ब्रिटेन का मकसद कभी भारत के लिए नहीं था, बल्कि सिर्फ व्यापार और अपनी ताकत बढ़ाने का था। कामथ ने इस पुराने इतिहास को देखकर आज की बड़ी कंपनियों की तुलना की। जैसे ईस्ट इंडिया कंपनी एक छोटी कंपनी से एक बड़ी ताकत बन गई थी, उन्होंने सोचा कि अगर आज की बड़ी कंपनियां भी बुरी हो जाएं तो क्या होगा? अभी के लिए, नितिन कामथ की पोस्ट ने उस पुराने समय को याद दिला दिया है, जब दिल्ली सचमुच दुबई जैसे शहरों पर शासन करती थी।
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