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अमित साध की नई फिल्म 'पुणे हाईवे' में दमदार वापसी

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फिल्म की कहानी और प्रदर्शन

अभिनेता अमित साध ने प्राइम वीडियो पर 'पुणे हाईवे' के साथ एक प्रभावशाली वापसी की है, जो अपनी गहरी कहानी, नाटकीय जड़ों और दिल को छू लेने वाले प्रदर्शन के लिए तेजी से ध्यान आकर्षित कर रही है। यह फिल्म एक प्रशंसित नाटक पर आधारित है, जिसका निर्देशन बग्स भार्गव कृष्णा ने किया है। इस फिल्म में अमित साध, मंजरी फड्निस और बग्स का एक शानदार पुनर्मिलन हुआ है, जो पहले 'बरोट हाउस' में एक साथ काम कर चुके हैं।


साध ने एक ऐसे पात्र का किरदार निभाया है जो अपराधबोध, जीवित रहने की चाह और मनोवैज्ञानिक संघर्ष के बीच फंसा हुआ है। उन्होंने अपने करियर के सबसे नियंत्रित और भावनात्मक रूप से विनाशकारी प्रदर्शनों में से एक दिया है। यह भूमिका सहानुभूति की मांग नहीं करती, बल्कि आपको असहजता के साथ बैठने के लिए मजबूर करती है। उनके प्रदर्शन में संयम है — उनकी शारीरिक भाषा, नजरें और चुप्पी सब कुछ कहती हैं। उनके प्रदर्शन में एक कच्चापन है जो लगभग घुसपैठ करने वाला लगता है, जैसे हम एक आदमी को चुपचाप गिरते हुए देख रहे हों।


पुणे हाईवे की खासियत यह है कि यह एक मंच नाटक का सिनेमाई रूपांतरण है — जो नाटकीय तनाव को बनाए रखते हुए कहानी के ब्रह्मांड और भावनात्मक दांव को विस्तारित करता है। फिल्म का माहौल तनावपूर्ण है, फिर भी दृश्यात्मक रूप से आकर्षक है।


अमित साध लंबे समय से ऐसे किरदारों का चयन करते आए हैं जो गहरे और तीव्र होते हैं — 'काई पो चे', 'सुलतान', 'ब्रीथ' और 'जीत की जिद' जैसी फिल्मों में उनके पात्र टूटे हुए लेकिन मजबूत होते हैं। 'पुणे हाईवे' शायद उनकी सबसे परिपक्व फिल्म हो सकती है। एक ऐसे क्षेत्र में जहां शोर बढ़ता जा रहा है, अमित साध चुप्पी, गहराई और सत्य को चुनते हैं। हमें उनके और अधिक प्रदर्शन देखने की आवश्यकता है — और यदि 'पुणे हाईवे' कोई संकेत है, तो अमित साध का सर्वश्रेष्ठ अभी आना बाकी है।


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