हमारे हाथ कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता रखते हैं। ये रोगों से राहत दिलाने में मदद कर सकते हैं। इसी कारण से शास्त्रों में हस्त मुद्राओं का ज्ञान दिया गया है।
हस्त मुद्राओं के लाभ
आयुर्वेद के अनुसार, हाथ की प्रत्येक अंगुली एक विशेष तत्व का प्रतिनिधित्व करती है: अंगूठा अग्नि, तर्जनी वायु, मध्यमा आकाश, अनामिका पृथ्वी, और कनिष्ठा जल।
हाथ की हथेली में शरीर के विभिन्न हिस्सों के लिए विशेष प्रेशर पाइंट होते हैं। इन पर दबाव डालने से अद्भुत लाभ मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप तर्जनी अंगुली को 2-3 बार 60 सेकंड के लिए दबाते हैं, तो कब्ज से राहत मिलती है।
अंगूठा और तर्जनी को मिलाकर मुद्रा बनाने से कब्ज, बवासीर, और पेशाब से संबंधित समस्याओं में लाभ होता है। यह वजन कम करने में भी सहायक है।
सूर्य मुद्रा के बारे में
योगासन के समान, सूर्य मुद्रा का अभ्यास भी शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी है। सूर्य मुद्रा में अनामिका अंगुली का उपयोग किया जाता है, जो सूर्य और यूरेनस ग्रह से संबंधित है। यह मुद्रा 15 मिनट करने से 13 अद्भुत लाभ देती है।
सूर्य मुद्रा बनाने की विधि
सूर्य की अंगुली को हथेली की ओर मोड़कर अंगूठे से दबाएं, बाकी तीन अंगुलियों को सीधा रखें। इसे सूर्य मुद्रा कहा जाता है। इस मुद्रा का अभ्यास 8 से 15 मिनट तक करना चाहिए।
सिद्धासन, पदमासन या सुखासन में बैठकर इस मुद्रा का अभ्यास करें।
सूर्य मुद्रा के 13 लाभ
इस मुद्रा से वजन कम होता है और शरीर संतुलित रहता है। नियमित अभ्यास से कोलेस्ट्रॉल घटता है।
यह मुद्रा मोटापे को कम करने में सहायक है और शरीर की सूजन को दूर करती है।
बच्चा होने के बाद वजन बढ़ने वाली महिलाओं के लिए यह मुद्रा लाभकारी है।
सूर्य मुद्रा से शरीर में ऊर्जा बढ़ती है और ताकत मिलती है।
कमजोर व्यक्तियों को इसे नहीं करना चाहिए।
यह मुद्रा चिंता और बेचैनी को कम करती है।
यह पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करती है और शरीर को हल्का बनाती है।
गर्मियों में इसे करने से पहले पानी पीना चाहिए।
सुबह सूर्योदय के समय इस मुद्रा का अभ्यास अधिक लाभकारी होता है।
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