रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह. (फाइल फोटो)
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरुवार से ऑस्ट्रेलिया की दो दिवसीय यात्रा पर निकलेंगे, जहां वे द्विपक्षीय रक्षा और रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए नए और महत्वपूर्ण कदमों पर चर्चा करेंगे। रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच तीन समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे, जो सूचना साझा करने, समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने और संयुक्त गतिविधियों में सहयोग को बढ़ावा देंगे।
इस यात्रा के दौरान, भारत और ऑस्ट्रेलिया हिंद-प्रशांत क्षेत्र की वर्तमान स्थिति की गहन समीक्षा करेंगे, खासकर चीन की बढ़ती सैन्य ताकत को लेकर वैश्विक चिंताओं के संदर्भ में। ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने जून 2025 में भारत का दौरा किया था और राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी।
राजनाथ सिंह की पहली ऑस्ट्रेलिया यात्रा
राजनाथ सिंह की यह यात्रा 2014 के बाद मोदी सरकार के तहत किसी रक्षा मंत्री की पहली यात्रा होगी। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि यह यात्रा भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी (सीएसपी) की स्थापना के पांच वर्ष पूरे होने के अवसर पर हो रही है।
राजनाथ सिंह ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस के निमंत्रण पर जा रहे हैं। मंत्रालय ने कहा कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों और रक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए नए और सार्थक प्रयासों की खोज का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगी।
द्विपक्षीय चर्चा और व्यापारिक सम्मेलन
राजनाथ सिंह की यात्रा का मुख्य आकर्षण उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष के साथ द्विपक्षीय चर्चा होगी। इसके अलावा, वे सिडनी में एक व्यापारिक गोलमेज सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें दोनों देशों के उद्योग जगत के प्रमुख लोग शामिल होंगे। राजनाथ सिंह अन्य ऑस्ट्रेलियाई नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।
पिछले कुछ वर्षों में भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा संबंधों में विस्तार हुआ है, जिसमें क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, पोत यात्राएं और द्विपक्षीय अभ्यास शामिल हैं। 2020 में, दोनों देशों ने अपने संबंधों को रणनीतिक साझेदारी से व्यापक रणनीतिक साझेदारी (सीएसपी) में परिवर्तित किया।
समझौतों पर हस्ताक्षर की योजना
इस यात्रा के दौरान, तीन महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाने की योजना है, जो सूचना साझाकरण, समुद्री क्षेत्र और संयुक्त गतिविधियों में सहयोग को बढ़ाएंगे। समय के साथ, रक्षा संबंधों का विस्तार हुआ है, जिसमें दोनों सेनाओं के बीच व्यापक बातचीत, सैन्य आदान-प्रदान, उच्च-स्तरीय दौरे, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं।
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