भारत में साधु और सन्यासी हर जगह देखे जा सकते हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथों में इनका उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि साधुओं का आशीर्वाद बहुत लाभकारी होता है, जबकि उनका क्रोध हानिकारक माना जाता है। इसलिए, इन्हें नाराज नहीं करना चाहिए। साधुओं के कपड़ों के रंगों को लेकर लोगों के मन में कई प्रश्न होते हैं।
यदि आपने कुंभ मेले का दौरा किया है, तो आपने विभिन्न साधु-संतों को देखा होगा। इनका पहनावा मुख्य रूप से तीन रंगों में होता है: भगवा, काला और सफेद। क्या आपने कभी सोचा है कि साधु इन रंगों के कपड़े क्यों पहनते हैं? आइए, इस रहस्य को जानने का प्रयास करते हैं।
भगवा कपड़े पहने साधु

अधिकतर साधु भगवा रंग के कपड़े पहनते हैं, जो शैव और शाक्य साधुओं का प्रतीक है। भगवा या नारंगी रंग को ऊर्जा और त्याग का प्रतीक माना जाता है। इस रंग के कपड़े पहनने से मन की शांति और स्थिरता बनी रहती है। साधु शब्द का अर्थ सज्जन पुरुष होता है, और यह रंग उन्हें सज्जनता की ओर प्रेरित करता है।
सफेद कपड़े वाले सन्यासी
जैन और बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हिंदू धर्म से मानी जाती है। जैन धर्म में सभी साधु सफेद कपड़े पहनते हैं। इनमें दिगंबर और श्वेतांबर साधु होते हैं। दिगंबर साधु बिना कपड़ों के रहते हैं, जबकि श्वेतांबर साधु सफेद कपड़े पहनते हैं। सफेद रंग शांति का प्रतीक है।
काले कपड़े धारण करने वाले साधु

कुछ साधु काले कपड़े पहनते हैं, जो कम ही देखने को मिलते हैं। ये साधु तंत्र-मंत्र के ज्ञाता होते हैं और दावा करते हैं कि उनकी तंत्र विद्या से सभी दुखों का निवारण किया जा सकता है। काला रंग असीम शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
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