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वसीयत पर अंगूठा लगाने का कानूनी सच: प्रॉपर्टी का अधिकार कैसे होता है?

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वसीयत और प्रॉपर्टी का अधिकार

कानूनी नियम: वसीयत पर अंगूठा लगाने से कोई प्रॉपर्टी का अधिकार नहीं मिल सकता। भारतीय कानून के अनुसार, वसीयत में प्रॉपर्टी की वित्तीय और कानूनी जानकारी का स्पष्ट उल्लेख होना आवश्यक है। केवल अंगूठा लगाने से यह साबित नहीं होता कि प्रॉपर्टी किसी अन्य के नाम हो गई है। प्रॉपर्टी का बंटवारा एक जटिल प्रक्रिया मानी जाती है।



वसीयत प्रॉपर्टी के पूर्ण मालिक द्वारा बनाई जाती है। लेकिन क्या किसी की मृत्यु के बाद वसीयत पर अंगूठा लगाकर प्रॉपर्टी अपने नाम की जा सकती है? इस विषय की सच्चाई और धारणा को सरलता से समझें।


प्रॉपर्टी कानून की व्याख्या प्रॉपर्टी पर कानून क्या कहता है?

वसीयत दो प्रकार की होती है: रजिस्टर्ड और अनरजिस्टर्ड। अनरजिस्टर्ड वसीयत को साधारण कागज पर हाथ से लिखा जा सकता है। वसीयत लिखने वाला इसे स्वयं लिख सकता है और फिर अपने हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लगा सकता है।


वसीयत के लिए दो गवाहों के हस्ताक्षर आवश्यक होते हैं। यदि पिता पहले से बेटे के पास हैं और उनकी मृत्यु हो जाती है, तो बड़ा बेटा वसीयत पर अंगूठा लगा सकता है, लेकिन इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।


जब वसीयत अदालत में प्रस्तुत की जाती है, तो उसकी सत्यता की जांच की जाती है। यदि किसी अंगूठे पर मृत्यु के बाद के निशान मिलते हैं, तो उन्हें रिपोर्ट में दर्ज किया जाता है। इसके अलावा, स्याही और कागज की भी जांच की जाती है ताकि वसीयत की वास्तविकता की पुष्टि हो सके।


यदि किसी के खिलाफ फर्जी वसीयत बनाई जाती है, तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यदि मां जीवित हैं, तो उनकी गवाही भी महत्वपूर्ण हो सकती है।


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