महिलाओं के कपड़ों में अक्सर फैशन को अधिक महत्व दिया जाता है। लेकिन उनके लिए बनाए जाने वाली अंडरवियर में कंफर्ट का ज्यादा ध्यान रखा जाता है। आपने नोटिस किया होगा कि लेडीज पैंटी में एक छोटी सी पॉकेट होती है। आपने कभी सोचा कि ये क्यों बनाई जाती है? चलिए जानते हैं।
अक्सर महिलाओं के अंडरवियर में वेजाइनल एरिया के पास एक छोटा पॉकेट नुमा हिस्सा बनाया जाता है। इसे Bow भी कहते हैं। इसे महिलाओं के वेजाइनल एरिया के मूवमेंट को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। अंडरवियर का निचला हिस्सा गसेट (gusset) कहलाता है। इससे क्रॉच एरिया (वेजाइनल एरिया) कवर होता है। इसे इस तरह डिजाइन किया जाता है कि आपके प्राइवेट पार्ट के हाइजीन और अब्जॉर्बेंसी को कोई हानि न हो।
इसलिए होता है महिलाओं के अंडरवियर में छोटा पॉकेट
महिलाओं के गसेट में जेब जैसे आकार का एक और कपड़ा सिला जाता है। इसमें बीच में कोई भी सिलाई नहीं होती है। इससे महिलाओं को निचले हिस्से के मूवमेंट में कोई दिक्कत नहीं होती। ये कपड़ा बेहद सॉफ्ट होता है। इससे किसी भी तरह का फ्रिक्शन नहीं होता है। इसका मुख्य कार्य वेजाइनल डिस्चार्ज को सोखना होता है। इस कपड़े में वेजाइना को ज्यादा कंफर्ट मिलता है।
महिलाओं की वेजाइना से एसिडिक डिस्चार्ज भी आता है। इससे पैंटी ब्लीच हो सकती है। यानि उसका रंग उड़ सकता है। अब इसका असर अंडरवियर के बाहरी हिस्से में न दिखे इसलिए अंदर एक एक्स्ट्रा कपड़ा लगाया जाता है। ये कपड़ा वेजाइना निकली नमी को सोखने का काम भी करता है।
यह मटेरियाल होता है इस्तेमाल
इस कपड़े को दोनों तरफ से नहीं सिला जाता है। इससे ये अनकंफर्टेबल नहीं होता है। वहीं वेजाइना में इन्फेक्शन का खतरा भी कम हो जाता है। इसे इस तरह भी डिजाइन किया जाता है कि वेजाइना को हवा मिलती रहे और उसमें अधिक फ्रिक्शन ना हो। इसे बनाने के लिए कॉटन या कॉटन मिक्स कपड़ा इस्तेमाल होता है। हालांकि कुछ ब्रांड सिल्क मिक्स कपड़ा भी यूज करते हैं। कुल मिलकर ये अक्सर एक नेचुरल फैब्रिक ही होता है। इससे अच्छा कंफर्ट मिलता है।
इसलिए ये बेहद जरूरी है कि आप जब भी कोई अंडरवियर खरीदने जाए तो अच्छे ब्रांड की लें। एक बड़ा ब्रांड इन सभी चीजों का ध्यान रखता है। वहीं अंडरवियर का फैब्रिक ऐसा होना चाहिए जिसमें से हवा पास हो सके। वरना आपके वेजाइनल इन्फेक्शन के चांस बढ़ जाएंगे।
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