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देश में दिमाग खाने वाली बीमारी से दहशत-अब तक 19 लोगों की मौत-दहशत का माहौल

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केरल में इन दिनों एक खतरनाक बीमारी ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। इस जानलेवा बीमारा का नाम प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) है। राज्य में इस साइलेंट किलर से अब तक 69 मामले सामने आए हैं और 19 लोगों की मौत हो गई है। यह जानकारी राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने विधानसभा में दी है। चिंता की बात यह है कि यह स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई।

इसे दिमाग खाने वाला अमीबा भी कहा जाता है, क्योंकि यह दिमाग को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। यह इतना खतरनाक है कि एक बार संक्रमित होने पर मृत्युदर 90% से अधिक होती है। डॉक्टर कौस्तुभ महाजन, कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट, एसएल रहेजा हॉस्पिटल, माहिम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं।

क्या है यह बीमारी और कैसे फैलती है?
इस बीमारी कि बोलचाल की भाषा में ब्रेन-ईटिंग एमीबा (brain-eating amoeba) कहा जाता है। यह नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) नामक एमीबा से होता है, जो गर्म और गंदे पानी में पाया जाता है। यह तालाब, झील, नदी और सही से साफ न किए गए स्विमिंग पूल में आसानी से मिल सकता है।

एमीबा शरीर में कैसे जाता है
डॉक्टर कौस्तुभ के अनुसार, यह एमीबा नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करता है, जब लोग तैरते हैं या गंदे पानी से नहाते हैं। नाक से होकर यह दिमाग तक पहुंचता है और प्राइमरी एमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) नाम की खतरनाक बीमारी करता है।

एमीबा के लक्षण
डॉक्टर ने बताया कि शुरुआत में इसके लक्षण बुखार, सिरदर्द, उल्टी और गर्दन में अकड़न जैसे होते हैं। बाद में यह तेजी से बढ़कर भ्रम, दौरे और कोमा तक पहुंचा देता है। कई बार मरीज को रोशनी भी बर्दाश्त नहीं होती, जिसे फोटोफोबिया कहते हैं।

बीमारी कितनी खतरनाक है
इस बीमारी की मृत्यु दर बहुत ज्यादा है। सिर्फ इस साल केरल में लगभग 70 मामले सामने आए हैं और कई मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि इलाज मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं। डॉक्टर इसमें एंटीबायोटिक और एंटिफंगल दवाइयां देते हैं। अगर समय पर इलाज शुरू किया जाए तो बचने की संभावना रहती है, लेकिन देर होने पर हालत बिगड़ जाती है।

रोकथाम है सबसे जरूरी
डॉक्टर ने बताया कि इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है सावधानी और रोकथाम। इसके लिए आपको गंदे या बिना उपचार वाले पानी में तैरने से बचना चाहिए, स्विमिंग पूल को हमेशा क्लोरीन से साफ रखना चाहिए, नाक की सफाई के लिए उबला या डिस्टिल्ड पानी ही इस्तेमाल करना चाहिए, अगर किसी को पानी के संपर्क के बाद तेज सिरदर्द, बुखार या व्यवहार में बदलाव दिखे तो तुरंत डॉक्टर या न्यूरोलॉजिस्ट से संपर् करना चाहिए।

लोगों में जागरूकता जरूरी
डॉक्टर ने बताया कि लोगों के बीच इसे लेकर जागरूकता फैलाना बेहद जरूरी है। स्कूलों, हेल्थ सेंटरों और स्थानीय सभाओं में इस बीमारी के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए ताकि बच्चे और परिवार गर्मियों में सतर्क रहें। डॉक्टरों को भी चाहिए कि अगर किसी मरीज में पानी के बाद अचानक दिमागी समस्या दिखे तो इस बीमारी का शक तुरंत करें। समय पर पहचान से कई जिंदगियां बच सकती हैं।

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