जयपुर: राजस्थान की राजधानी में रविवार देर रात सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में आग लगने की भयावह घटना ने पूरे शहर को दहला दिया। रात करीब 11:20 बजे दूसरी मंजिल पर स्थित आईसीयू वार्ड में अचानक आग भड़क उठी।
देखते ही देखते आग ने पूरे वार्ड को अपनी चपेट में ले लिया और धुआं फैलते ही अफरा-तफरी मच गई। इस हादसे में आठ मरीजों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि कई लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। मृतकों में चार पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं। लोग चीख-चीखकर मदद की गुहार लगा रहे थे।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार, आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी। हादसे के समय आईसीयू और सेमी-आईसीयू में कुल 18 मरीज भर्ती थे, जिनमें 11 उसी वार्ड में थे जहां आग लगी थी।
दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, लेकिन आग और जहरीले धुएं की वजह से राहत कार्य में कठिनाई हुई। कई मरीजों को परिजन और अस्पतालकर्मियों की मदद से खिड़कियां और दरवाजे तोड़कर बाहर निकाला गया। मरीजों को तत्काल सड़क पर बेड लगाकर ऑक्सीजन और प्राथमिक उपचार दिया गया।
दहशत और अफरा-तफरी का माहौल
आग लगने के बाद अस्पताल में चीख-पुकार मच गई। आईसीयू में भर्ती गंभीर मरीजों को निकालने में कर्मचारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। कई मरीजों की आंखों में बीमारी से ज्यादा डर और घबराहट झलक रही थी।
अस्पताल परिसर में लोगों का जमावड़ा लग गया, हर कोई अपने परिजन को खोजने में जुटा था। धुएं के कारण दमकलकर्मियों को आग पर काबू पाने में देर रात तक मशक्कत करनी पड़ी।
अस्पताल में सुरक्षा इंतजामों पर उठे सवाल
घटना के बाद अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक, आग लगने के बाद शुरुआती मिनटों में फायर अलार्म सिस्टम ने ठीक से काम नहीं किया और ऑक्सीजन लाइन बंद करने में भी देरी हुई। कर्मचारियों के पास पर्याप्त फायर सेफ्टी उपकरण नहीं थे, जिससे आग और तेजी से फैल गई।
मौके पर पहुंचे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा
घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा देर रात अस्पताल पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने घायलों के इलाज के लिए तत्काल सभी संसाधन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए।
सीएम ने कहा, यह बेहद दुखद और चिंताजनक घटना है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा सचिव अंबरीश कुमार, पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ, कलेक्टर जितेंद्र सोनी और एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दीपक माहेश्वरी से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
हाईलेवल जांच कमेटी बनेगी
घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। कमेटी यह जांच करेगी कि आग लगने के पीछे लापरवाही किसकी थी और अस्पताल में अग्निशमन उपकरण व सुरक्षा उपाय पर्याप्त थे या नहीं।
मंत्री किरोड़ीलाल मीणा भी पहुंचे
राज्य के चिकित्सा मंत्री किरोड़ीलाल मीणा भी मौके पर पहुंचे और राहत कार्यों की निगरानी की। उन्होंने बताया कि सभी मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है और घायलों का इलाज जारी है। मंत्री ने कहा कि सरकार मृतकों के परिजनों को सहायता राशि देगी और जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
फिलहाल स्थिति नियंत्रण में, लेकिन सवाल बरकरार
दमकलकर्मियों ने कई घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया, लेकिन वार्ड में फैले धुएं ने हालात को भयावह बना दिया था। देर रात तक सर्च ऑपरेशन जारी रहा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई मरीज या कर्मचारी फंसा न हो। हालांकि, आग पर काबू पा लेने के बाद भी अस्पताल परिसर में डर और सन्नाटा पसरा हुआ था।
जयपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में हुई इस दर्दनाक घटना ने प्रशासन और स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सबकी निगाहें उस जांच रिपोर्ट पर हैं, जो यह बताएगी कि आखिर लापरवाही कहां और किस स्तर पर हुई, जिसने छह जिंदगियों को निगल लिया।
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