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अच्छी बारिश के बाद गंभीरी बांध के दो गेट खोले, घोसुंडा के छलकने की संभावना तेज

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चित्तौड़गढ़, 6 सितंबर (Udaipur Kiran News). जिले के निंबाहेड़ा उपखंड क्षेत्र में स्थित गंभीरी बांध में लगातार पानी की आवक के चलते शनिवार दोपहर दो गेट खोल दिए गए. उपखंड अधिकारी विकास पंचोली ने पूजा-अर्चना के बाद दोनों छोटे गेट 2-2 मीटर खोले. इसके बाद नदी में पानी का बहाव तेज हो गया.

नागरिकों के लिए चेतावनी जारी

जल संसाधन विभाग ने गेट खोलने के बाद लोगों को चेतावनी दी है कि वे नदी किनारे किसी भी गतिविधि से बचें और छोटी पुलियाओं को पार करते समय सावधानी बरतें.

घोसुंडा और बड़गांव बांध पर असर

शुक्रवार रात निंबाहेड़ा और मध्यप्रदेश क्षेत्र में हुई बारिश से गंभीरी बांध में पानी की आवक बढ़ गई. इससे पहले जिला कलेक्टर आलोक रंजन ने बांध का निरीक्षण किया था. उधर, अच्छी बरसात से चित्तौड़गढ़ को पेयजल आपूर्ति करने वाला घोसुंडा बांध भी भरने की स्थिति में है. उदयपुर जिले की आयड़ नदी में बहाव तेज होने से मावली क्षेत्र का बड़गांव बांध भी छलकने को तैयार है, जिसका पानी सीधे घोसुंडा बांध में पहुंचता है. संभावना है कि रविवार दोपहर तक घोसुंडा बांध भी छलक सकता है.

शहर में जलभराव की स्थिति

चित्तौड़गढ़ शहर के कई इलाकों में पानी निकासी नहीं होने से घरों में पानी घुस गया है. सेंती, पंचवटी और बीज भंडार के पास की बस्तियों में करीब दो दर्जन घर जलभराव से प्रभावित हुए.

जिले में 116% औसत वर्षा

इस मानसून में चित्तौड़गढ़ जिले में औसत वर्षा 868.67 मिमी दर्ज की गई है, जो सामान्य से 116% अधिक है. अब तक बस्सी क्षेत्र में सर्वाधिक 1323 मिमी बारिश दर्ज की गई है. पिछले 24 घंटों में कपासन में 66 मिमी, बस्सी में 52, निंबाहेड़ा में 41, भूपालसागर में 35, गंगरार में 35, डूंगला में 32 और चित्तौड़गढ़ में 26 मिमी बारिश दर्ज की गई.

कपासन और बस्सी क्षेत्र में हालात
  • कपासन: लंबे इंतजार के बाद हुई बारिश से राजराजेश्वर तालाब और गुलाब सागर में पानी की आवक शुरू हो गई है. दोवनी का नाला भी उफान पर है.

  • बस्सी: 50 इंच से अधिक बारिश के कारण नदी-नाले उफान पर हैं. बस्सी बांध पर डेढ़ फीट की चादर चल गई है और शिव सागर तालाब का पानी घरों में घुस गया है.

  • कई इलाकों में पुल-पुलियों पर पानी आने से संपर्क मार्ग बाधित हो गए हैं.

लगातार हो रही बरसात से जिले में बंद पड़े तालाब और बांध लबालब भर गए हैं, जिससे ग्रामीणों और किसानों के चेहरों पर खुशी लौट आई है.

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