Mumbai , 25 सितंबर . देव आनंद हिंदी सिनेमा के सदाबहार Actor थे, जिन्हें अपने जमाने का रोमांटिक आइकन कहा जाता था. उनका व्यक्तित्व बहुत ही करिश्माई था, तेज आंखें, मुस्कुराता हुआ चेहरा और अनोखा अंदाज, देव आनंद का स्टाइल हर दिल को छूता था.
उनकी डायलॉग डिलीवरी और रोमांटिक किरदारों ने उन्हें लाखों दिलों की धड़कन बनाया. वह अपने जमाने के रोमांस के पर्याय बन गए थे. वह हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम दौर के सदाबहार Actor थे. उन्होंने 1940 से 1980 तक अपने एक्टिंग के करियर में ‘गाइड’, ‘ज्वेल थीफ’, ‘हम दोनों’, और ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ जैसी फिल्मों से सिनेमा को नई ऊंचाइयां दीं.
इसके बाद उन्होंने अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस खोला, जिसका नाम नवकेतन फिल्म्स था. इस बैनर तले उन्होंने खूब हिट फिल्में बनाईं. इस प्रोडक्शन हाउस में देव आनंद के जरिए बोल्ड कहानियां और नए टैलेंट को मौका दिया गया. बतौर निर्देशक भी देव आनंद ने हमेशा नए विषयों और कहानी कहने के तरीकों के साथ सिनेमा को समृद्ध किया.
26 सितंबर 1923 को जन्में देव आनंद ने परदे पर ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ का जो जज्बा दिखाया, वह उनकी असल जिंदगी में भी था. लेकिन उनके जीवन का एक ऐसा किस्सा है जो बताता है कि उनकी शख्सियत सिर्फ रोमांस तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि उसमें गजब की संवेदनशीलता और दरियादिली भी थी. यह किस्सा उनके शुरुआती संघर्ष और उनकी पहली कमाई से जुड़ा है, जिसने उनकी महानता का परिचय दिया.
यह किस्सा तब का है जब देव आनंद Mumbai में एक Actor के तौर पर अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. उनके पास न तो रहने के लिए ठीक से जगह थी और न ही खाने के लिए पर्याप्त पैसे. कई बार तो उन्हें भूखा भी सोना पड़ता था. ऐसे ही मुश्किल भरे दिनों के बाद, उन्हें अपनी पहली फिल्म ‘हम एक हैं’ के लिए 400 रुपये की फीस मिली. यह उनके लिए सिर्फ पैसा नहीं था, बल्कि उम्मीद की एक नई किरण थी.
जब वह अपनी शूटिंग खत्म कर वापस लौट रहे थे, तो रास्ते में उनकी नजर एक बहुत ही बूढ़े और कमजोर भिखारी पर पड़ी जो भूख से तड़प रहा था. उसे देखकर देव आनंद को अपने संघर्ष के दिन याद आ गए. उन्होंने बिना कुछ सोचे अपनी जेब से वह पूरी कमाई निकाली और उस भिखारी के हाथों में रख दी.
जब उनके एक दोस्त को इस बात का पता चला, तो वह हैरान हो गया. उसने देव आनंद से पूछा, “तुमने अपनी पहली कमाई ऐसे ही क्यों दे दी? तुम्हें इसकी सख्त जरूरत थी!”
इस पर देव आनंद ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “पैसा तो फिर कमा लूंगा, लेकिन किसी को भूख से तड़पते हुए देखने का दर्द दोबारा नहीं सह सकता.”
यह किस्सा देव आनंद की उस गहरी सहानुभूति और बड़े दिल को दर्शाता है जिसने उन्हें सिर्फ एक महान कलाकार ही नहीं, बल्कि एक महान इंसान भी बनाया. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में यही नियम अपनाया कि जीवन में पैसा और शोहरत से ज्यादा मानवीयता मायने रखती है, जैसा कि उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ में भी बताया है.
–
जेपी/डीएससी
You may also like
टेस्ट से वनडे की कप्तानी तक, पूरा टाइम लाइन, टी20 विश्व कप-चैंपियन ट्रॉफी जीतने के बावजूद क्यों रोहित शर्मा हटाए गए?
Who Is Sanae Takaichi In Hindi? : कौन हैं साने ताकाइची, जो बनने जा रही हैं जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री
मंदसौरः किसानों की समस्याओं को लेकर कांग्रेस 6 अक्टूबर को निकालेगी विशाल ट्रैक्टर मार्च
आगर मालवा : सोयाबीन के सही दाम नहीं मिलने से नाराज किसानों ने किया एनएच-552 पर चक्काजाम
अहमदाबाद टेस्ट में चटकाए 7 विकेट, भारत की जीत से गदगद मोहम्मद सिराज