New Delhi, 6 अक्टूबर . पंडित अरुण भादुड़ी की कहानी कोलकाता की संकरी गलियों से निकलकर भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में एक चमकता सितारा बनने की है. 7 अक्टूबर 1943 को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में जन्मे अरुण भादुड़ी ने अपनी मखमली आवाज और साधना से न सिर्फ किराना और रामपुर-सहस्वान घराने को समृद्ध किया, बल्कि बांग्ला गीतों और भजनों को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया.
बचपन से ही अरुण का रुझान संगीत की ओर था. उनके पिता चाहते थे कि वे इंजीनियर बनें, लेकिन संगीत की पुकार ने उन्हें मोहम्मद ए दाउद खान और मोहम्मद सगीरुद्दीन खान जैसे उस्तादों के पास खींच लिया. 1978 में जब वे आईटीसी संगीत रिसर्च एकेडमी (एसआरए) में शामिल हुए तो उस्ताद इश्तियाक हुसैन खान ने उनकी प्रतिभा को तराशा. पंडित ज्ञान प्रकाश घोष ने उन्हें बांग्ला गीतों और ठुमरी की बारीकियां सिखाईं. उनकी गहरी, गूंजदार आवाज ने राग दरबारी से लेकर भक्ति भजनों तक हर विधा में जादू बिखेरा.
एक बार कोलकाता के एक संगीत समारोह में अरुण भादुड़ी ने राग भैरवी में ऐसा आलाप लिया कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए. वे न केवल गायक थे, बल्कि गीतकार और संगीतकार भी थे. उनके द्वारा रचित बांग्ला गीत आज भी रेडियो पर गूंजते हैं. अरुण भादुड़ी का जीवन सादगी और समर्पण का प्रतीक था. पंडित अजॉय चक्रवर्ती ने उन्हें ‘स्वयं निर्मित जेंटलमैन’ कहा. एसआरए में वे अपने शिष्यों को रागों की गहराई समझाते, लेकिन कभी अपनी उपलब्धियों का बखान नहीं करते.
2014 में बंग विभूषण पुरस्कार से उनकी कला को सम्मानित किया गया. उनके निधन ने 17 दिसंबर 2018 को संगीत प्रेमियों को गहरे शोक में डुबो दिया, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है. सांस की बीमारी ने उन्हें कमजोर किया, लेकिन उनकी आवाज की ताकत कभी कम नहीं हुई. एक बार उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था, “संगीत मेरे लिए ध्यान है, जो मुझे ईश्वर से जोड़ता है.’ उनकी रचनाएं और शिक्षाएं आज भी युवा कलाकारों को प्रेरित करती हैं.
भादुड़ी ने बांग्ला और शास्त्रीय संगीत को एक वैश्विक मंच दिया. अब वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन भादुड़ी के कई शिष्य उनकी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. शिष्यों का कहना है कि गुरुजी की आवाज में एक रूह थी, जो सीधे दिल तक उतरती थी. वे साधक थे, जिनके लिए संगीत पूजा था.
–
एससीएच/डीकेपी
You may also like
11वीं के छात्र के साथ फरार हुई` उसकी क्लास टीचर, फिर जब घर वालों को पता चला तो किया ऐसा काम …
बजरंगबली की कृपा से इन 5 राशियों को नौकरी और व्यापार मिलेगी मनचाही सफलता, वीडियो राशिफल में देखे किन्हें लेन-देन में रहना होगा सावधान ?
राज्यपाल ने स्वामीनारायण मंदिर पहुंचकर की विधिवत पूजा—अर्चना
गुरु ही बालक का सृजनकर्ता ,पालनकर्ता और अज्ञान का संहारकर्ता है : अवधेशानंद गिरी
एसएमएस ट्रोमा सेंटर में लगी आग: अस्पताल अधीक्षक डॉ. भाटी एवं ट्रोमा सेंटर के अधीक्षक डॉ. धाकड़ को पद से हटाया