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भारत की फाइनेंस कंपनियों की लोन बुक अगले दो वर्षों में 21-22 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी : रिपोर्ट

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New Delhi, 11 सितंबर . भारत की शीर्ष फाइनेंस कंपनियों की लोन बुक अगले दो वर्षों में 21-22 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है, जबकि इस दौरान बैंकिंग सेक्टर की लोन ग्रोथ 11-12 प्रतिशत रह सकती है. यह जानकारी Thursday को जारी एक रिपोर्ट में दी गई.

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस सेक्टर की मजबूत वृद्धि के पीछे की वजह रिटेल लोन सेक्टर में मजबूत पकड़ होना है.

रिपोर्ट के अनुसार, मजबूत वित्तीय स्थिति वाली अपर-लेयर की फाइनेंस कंपनियां हाई लोन ग्रोथ को सपोर्ट करेंगी और डाउनसाइड के लिए बफर उपलब्ध कराएंगी.

रिपोर्ट में कहा गया, “हमें उम्मीद है कि अगले दो वर्षों में आय की गति बनी रहेगी और शुद्ध ब्याज मार्जिन थोड़ा ज्यादा रहेगा. इससे बफर में बढ़ोतरी होगी.”

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की क्रेडिट विश्लेषक गीता चुघ ने कहा, “भारत की वित्तीय कंपनियों के लिए सख्त अंडरराइटिंग मानक विकास योजनाओं पर लगाम लगाएंगे और इस वित्तीय क्षेत्र के लिए जोखिम निर्माण को कम करेंगे.”

साथ ही, जोखिम प्रबंधन पर अधिक ध्यान दिए जाने के कारण कुछ उत्पादों में मंदी जारी रहने की संभावना है.

रिपोर्ट के अनुसार, गोल्ड-आधारित ऋणों सहित कुछ ऋण क्षेत्रों में सख्त नियामक निगरानी भी परिसंपत्ति विस्तार पर लगाम लगा सकती है.

चुग ने कहा, “वित्तीय कंपनियों की परिसंपत्ति गुणवत्ता स्थिर बनी हुई है, हालांकि माइक्रो फाइनेंस और असुरक्षित ऋणों में कुछ क्षेत्रों में दबाव बना हुआ है.”

यह दबाव तेज विकास और कमजोर क्रेडिट प्रोफाइल वाले उधारकर्ताओं को उनकी पुनर्भुगतान क्षमता पर पर्याप्त विचार किए बिना दिए जाने वाले अत्यधिक ऋण देने के तरीकों के कारण हो सकता है.

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण, विशेष रूप से उच्च जोखिम क्षमता वाले छोटे-छोटे ऋणों में वृद्धि देखी गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि असुरक्षित खुदरा ऋणों के जोखिम भार में भारतीय रिजर्व बैंक के सक्रिय समायोजन, कड़े अंडरराइटिंग मानकों के साथ, मार्च 2025 में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में असुरक्षित व्यक्तिगत ऋणों की वृद्धि दर में मामूली गिरावट के साथ लगभग 8-9 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है.

एबीएस/

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