मुंबई, 3 मई . ग्लोबल बिजनेस लीडर और बायोकॉन फाउंडर किरण मजूमदार शॉ ने कहा कि मीडिया और एंटरटेनमेंट सेक्टर देश के सकल घरेलू उत्पाद में 20 बिलियन डॉलर का योगदान देता है. उन्होंने कहा कि हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने के अनुरूप 2047 तक 100 बिलियन डॉलर और अंततः 1 ट्रिलियन डॉलर की ‘ऑरेंज इकोनॉमी’ का लक्ष्य रखना चाहिए.
‘ऑरेंज इकोनॉमी’ या क्रिएटिव इकोनॉमी ज्ञान आधारित एक्टिविटी से जुड़ी होती है. यह ऐसी एक्टिविटी को दर्शाती है, जो कल्चर, क्रिएटिविटी, टेक्नोलॉजी और आईपी को एक साथ लाते हुए आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास को आगे बढ़ाती है.
वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स) 2025 दौरान किरण मजूमदार ने कहा कि क्रिएटिव कंटेंट सेक्टर में शामिल भारतीय स्टार्टअप को फिल्मों से परे सोचना चाहिए और ऐसे ब्रांड, इकोसिस्टम और बौद्धिक संपदा का निर्माण करना चाहिए जो पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाएं.
मजूमदार शॉ ने कहा कि भारतीय कहानियों में पूरी दुनिया में छा जाने की ताकत है.
उन्होंने कहा, “अब भारत के लिए नई कहानियाँ बनाने का समय है जिनमें पुरानी परंपरा और नई तकनीक दोनों मिली हुई हों. जिस तरह जॉर्ज लुकास ने स्टार वार्स के लिए भारतीय महाकाव्यों से प्रेरणा ली, उसी तरह हम अपनी सांस्कृतिक विरासत को ग्लोबल फ्रेंचाइजी में बदलने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर सकते हैं.”
भारत की जनसांख्यिकी और डिजिटल ताकतों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत एक अरब से ज्यादा स्मार्टफोन और तकनीक-प्रेमी जेन-जी के साथ ग्लोबल इनोवेशन के लिए तैयार है.
उन्होंने जोर देकर कहा, “लेकिन किसी भी ब्लॉकबस्टर की तरह, सफलता की शुरुआत छोटे से होती है और यह शुरुआत एक विचार, रणनीति और निरंतर फोकस के साथ होनी चाहिए.”
उन्होंने इसे गैराज में बायोकॉन शुरू करने और ग्लोबल बायोटेक फोर्स बनाने की अपनी यात्रा के समान बताया.
भारत की क्रिएटिव इकोनॉमी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में काम करने वालों को ‘ऑरेंज इकोनॉमी’ के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिसमें अपार संभावनाएं हैं.
उन्होंने कहा, “अगले यूनिकॉर्न केवल ऐप नहीं होंगे. अगले यूनिकॉर्न ऐसे क्रिएटर होंगे, जो आईपी, टेक और कहानियों को दिलचस्प तरीके से कहने की अहमियत को समझते हैं.”
उन्होंने स्टार्टअप्स से मौलिकता और दृढ़ता को अपनाने का आग्रह किया और कहा, “हर बढ़िया विचार छोटे से शुरू होता है. मायने यह रखता है कि आप इसे कितनी दूर तक ले जाते हैं. असफलता इस यात्रा का हिस्सा है.”
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एसकेटी/एएस
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