New Delhi, 11 अक्टूबर . दूरसंचार विभाग ने ‘सारस’ (एसएआरएएस- एलएफ राजस्व और एसयूसी के आकलन हेतु प्रणाली) के माध्यम से वित्तीय अनुपालन को डिजिटल और पारदर्शी बनाने में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. वित्त वर्ष 2020-21 से लागू यह मॉड्यूलर, अनुकूलन योग्य और स्केलेबल प्रणाली दूरसंचार क्षेत्र में लाइसेंस शुल्क (एलएफ), स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) और अन्य वित्तीय प्रक्रियाओं को सरल, मानकीकृत और कागज रहित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. संचार लेखा महानियंत्रक (सीजीसीए) कार्यालय की देखरेख में यह प्रणाली India के डिजिटल शासन को मजबूत कर रही है.
‘सारस’ की कई प्रमुख विशेषताएं हैं, जिनमें एलएफ, एसयूसी, स्पेक्ट्रम नीलामी, सीएएफ, ईएमआर जुर्माना, और परीक्षण शुल्क जैसे भुगतानों के लिए कागज रहित सुविधा शामिल हैं. इसके अलावा, डिजिटल दस्तावेज की बात करें तो इनमें तिमाही आधार पर राजस्व और लाइसेंस शुल्क विवरण, वार्षिक लेखापरीक्षित दस्तावेज, और वित्तीय विवरण का पूरी तरह डिजिटल प्रस्तुतीकरण की सुविधा है. ऑनलाइन मूल्यांकन के अंतर्गत एलएफ, एसयूसी और अन्य देय राशियों के लिए मांग नोटिस की ऑनलाइन पहुंच और शिकायत निवारण के अंतर्गत कटौती सत्यापन, बैंक गारंटी निगरानी, और ऑनलाइन अपील प्रक्रिया का समाधान शामिल है.
‘सारस’ की स्थापना के बाद 3.18 लाख करोड़ रुपए के 67,500 से अधिक भुगतान लेनदेन हुए हैं. इसने 16.1 लाख करोड़ रुपए के सकल राजस्व (जीआर) और 12.2 लाख करोड़ रुपए के समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की दाखिल प्रक्रिया को सुगम बनाया है. यह उपलब्धि देशभर के 28 प्रधान संचार लेखा नियंत्रक/संचार लेखा नियंत्रक (प्रधान सीसीए/सीसीए) कार्यालयों के अथक प्रयासों का परिणाम है. इन कार्यालयों ने 500 से अधिक लाइसेंसधारियों को आउटरीच कार्यक्रमों और सुविधा केंद्रों के माध्यम से लाभान्वित किया, जिससे अनुपालन और भागीदारी में वृद्धि हुई.
उप सीजीसीए गुंजन भारती मिश्रा ने को बताया, “सारस ने दूरसंचार वित्तीय प्रक्रियाओं को पारदर्शी और कुशल बनाया है. यह न केवल समय और संसाधनों की बचत करता है, बल्कि भ्रष्टाचार-मुक्त पारिस्थितिकी तंत्र को भी बढ़ावा देता है.” उन्होंने बताया कि बकाया राशि का समय पर आकलन और वसूली सुनिश्चित करने में यह प्रणाली गेम-चेंजर साबित हुई है.
‘सारस’ India के ‘विकसित भारत’ विजन को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. यह प्रणाली दूरसंचार क्षेत्र को आर्थिक विकास और नवाचार का आधार बनाए रखने में मदद कर रही है. डिजिटल शासन के इस मॉडल ने न केवल प्रक्रियाओं को सरल किया, बल्कि विश्वास और जवाबदेही को भी बढ़ाया है. जैसे-जैसे India डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है, ‘सारस’ जैसी पहलें अन्य क्षेत्रों के लिए भी प्रेरणा बन रही हैं.
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एससीएच/डीएससी
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