प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीति आयोग की शासी परिषद की 24 मई को होने वाली बैठक की अध्यक्षता करेंगे। सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि शासी परिषद की इस बैठक के एजेंडे को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी नीति आयोग के पदेन अध्यक्ष हैं जबकि शासी परिषद नीति आयोग का शीर्ष निकाय है। सभी मुख्यमंत्री, केंद्रशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री इसके सदस्य होते हैं।
आम तौर पर शासी परिषद की पूर्ण बैठक हर साल होती है। पिछले साल यह बैठक 27 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई थी। शासी परिषद की पहली बैठक आठ फरवरी, 2015 को हुई थी।
कैट ने पाकिस्तान को ‘समर्थन’ देने पर तुर्किये, अजरबैजान के बहिष्कार का किया आह्वानअखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) ने तुर्किये और अजरबैजान के साथ सभी व्यापारिक और वाणिज्यिक संबंधों का बहिष्कार करने का शुक्रवार को फैसला किया।
पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत द्वारा चलाए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर पाकिस्तान का ‘समर्थन’ करने के लिए भारत के कई संगठनों ने इन दोनों देशों का बहिष्कार करने का आह्वान किया है। पहलगाम आतंकवादी हमले में 26 भारतीयों की जान गई थी।
कैट के अनुसार, इस निर्णय में तुर्किये और अजरबैजान की वस्तुओं का राष्ट्रव्यापी बहिष्कार शामिल है। इसमें समूचे भारत के व्यापारी इन देशों से आयात रोक देंगे।
संगठन ने कहा कि भारतीय निर्यातकों, आयातकों एवं व्यापार प्रतिनिधिमंडलों को तुर्किये और अजरबैजान में स्थित कंपनियों या संस्थानों के साथ किसी भी तरह के जुड़ाव के लिए हतोत्साहित किया जाएगा।
व्यापारियों के समूह ने कहा कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय को एक ज्ञापन सौंपा जाएगा, जिसमें इन देशों के साथ सभी वाणिज्यिक संबंधों की नीति-स्तरीय समीक्षा का आग्रह किया जाएगा।
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ ने साथ ही घोषणा की है कि व्यापारी समुदाय तुर्किये और अजरबैजान में फिल्माई गई भारतीय फिल्मों का बहिष्कार करेंगे। इसने कंपनियों को इन दोनों देशों में किसी भी उत्पाद के प्रचार को फिल्माने के खिलाफ भी आगाह किया।
कैट द्वारा यहां आयोजित व्यापारियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में ये निर्णय लिए गए। इसमें लगभग 24 राज्यों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
संगठन ने बयान में कहा, ‘‘ यह प्रस्ताव तुर्किये और अजरबैजान द्वारा पाकिस्तान के खुले समर्थन में हाल ही में अपनाए गए रुख के जवाब में है...।’’
मुनाफावसूली से शेयर बाजार में गिरावट, सेंसेक्स 200 अंक फिसलासूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) शेयरों और भारती एयरटेल में मुनाफावसूली होने से शुक्रवार को स्थानीय शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुए। मानक सूचकांक सेंसेक्स में 200 अंक और निफ्टी में 42 अंक की सुस्ती रही।
विश्लेषकों ने कहा कि पिछले सत्र में बाजार के सात महीनों के उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद निवेशकों ने मुनाफावसूली को तरजीह दी।
बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 200.15 अंक यानी 0.24 प्रतिशत गिरकर 82,330.59 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 383.79 अंक गिरकर 82,146.95 अंक पर आ गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी 42.30 अंक यानी 0.17 प्रतिशत गिरकर 25,019.80 अंक पर बंद हुआ।
सेंसेक्स में शामिल भारती एयरटेल के शेयर में 2.81 प्रतिशत की गिरावट आई। सिंगटेल के दूरसंचार कंपनी में अपनी प्रत्यक्ष हिस्सेदारी का लगभग 1.2 प्रतिशत हिस्सा करीब 1.5 अरब डॉलर में बेचने के बाद कंपनी का शेयर नीचे आया।
इसके अलावा एचसीएल टेक, भारतीय स्टेट बैंक, इन्फोसिस, टेक महिंद्रा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, बजाज फिनसर्व, लार्सन एंड टुब्रो, महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाइटन भी गिरावट के साथ बंद हुईं।
दूसरी तरफ, इटर्नल (पूर्व में जोमैटो), हिंदुस्तान यूनिलीवर, एशियन पेंट्स, आईटीसी, टाटा मोटर्स और एनटीपीसी के शेयरों में तेजी रही।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) प्रशांत तापसे ने कहा कि बाजार पूरे कारोबारी सत्र में नकारात्मक दायरे में रहा और आईटी, बैंक एवं धातु शेयरों में चुनिंदा मुनाफावसूली के कारण कमजोर होकर बंद हुआ।
तापसे ने कहा, "हालांकि, मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों के साथ अधिकांश क्षेत्र-आधारित शेयरों के सकारात्मक दायरे में बंद होने से पता चलता है कि निवेशक वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद इक्विटी पर सतर्क रूप से आशावादी हैं।"
छोटी कंपनियों से जुड़ा स्मालकैप सूचकांक 1.18 प्रतिशत चढ़ गया जबकि मझोली कंपनियों के मिडकैप सूचकांक में 0.85 प्रतिशत की बढ़त रही।
क्षेत्रवार सूचकांकों में औद्योगिक खंड में सर्वाधिक 1.80 प्रतिशत की तेजी रही जबकि रियल्टी खंड में 1.72 प्रतिशत, पूंजीगत उत्पाद खंड में 1.63 प्रतिशत और जन केंद्रित सेवाओं से जुड़े खंड में 1.44 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। वहीं आईटी, धातु और बैंकिंग खंड में गिरावट रही।
स्थानीय शेयर बाजारों में इस सप्ताह शानदार तेजी देखी गई। साप्ताहिक आधार पर सेंसेक्स ने 2,876.12 अंक यानी 3.61 प्रतिशत की छलांग लगाई जबकि निफ्टी में कुल 1,011.8 अंक यानी 4.21 प्रतिशत की बढ़त रही।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "निवेशकों की धारणा मिडकैप एवं स्मालकैप शेयरों में मजबूत बनी हुई है। यह रुख रियल एस्टेट, एनबीएफसी, वाहन और टिकाऊ उपभोक्ता खंडों में भी कायम है।"
एशिया के अन्य बाजारों में जापान का निक्की 225, चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंगसेंग गिरावट के साथ बंद हुए जबकि दक्षिण कोरिया का कॉस्पी सकारात्मक दायरे में रहा।
यूरोपीय बाजार बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे। बृहस्पतिवार को अधिकांश अमेरिकी बाजार बढ़त के साथ बंद हुए थे।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.09 प्रतिशत बढ़कर 64.59 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को 5,392.94 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की।
बीएसई सेंसेक्स बृहस्पतिवार को 1,200.18 अंक यानी 1.48 प्रतिशत उछलकर 82,530.74 अंक और एनएसई निफ्टी 395.20 अंक बढ़कर 25,062.10 अंक पर बंद हुआ था। यह दोनों सूचकांकों का सात महीनों का उच्चतम स्तर था।
रुपया एक पैसे की बढ़त के साथ 85.53 प्रति डॉलर पर बंदरुपया शुक्रवार को एक पैसे की बढ़त के साथ अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.53 (अस्थायी) पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि ब्रेंट कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, घरेलू शेयर बाजारों में नकारात्मक रुख तथा अप्रैल में देश के व्यापार घाटे में बढ़ोतरी के आंकड़ों के कारण रुपये की बढ़त सीमित रही। हालांकि, विदेशी पूंजी के मजबूत प्रवाह और डॉलर सूचकांक में मामूली गिरावट से रुपये को कुछ समर्थन मिला।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 85.28 प्रति डॉलर पर मजबूती के साथ खुला। कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले 85.28 से 85.70 के बीच रहा। अंत में यह 85.53 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव से एक पैसे की बढ़त दर्शाता है।
रुपया बृहस्पतिवार को डॉलर के मुकाबले 85.54 पर बंद हुआ था।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के वित्त प्रमुख एवं कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘‘ हालांकि सभी एशियाई और यूरोपीय मुद्राएं बढ़त में रहीं लेकिन रुपया 85.00 के स्तर से ज्यादा प्रगति नहीं कर सका और 85.30 के आसपास कारोबार करता रहा। मोटे तौर पर 85-86 के बीच और 85.25 और 85.75 के बीच सीमित दायरे में रहा। सोमवार को भी इसके इसी दायरा में रहने का अनुमान है।’’
घरेलू शेयर बाजारों में सेंसेक्स 200.15 अंक की गिरावट के साथ 82,330.59 अंक पर जबकि निफ्टी 42.30 अंक फिसलकर 25,019.80 पर बंद हुआ।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.12 प्रतिशत की गिरावट के साथ 100.75 पर रहा।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.14 प्रतिशत की बढ़त के साथ 64.62 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) बृहस्पतिवार को लिवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 5,392.94 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
सोना 1,400 रुपये बढ़कर 96,450 रुपये प्रति 10 ग्राम पर, चांदी 1,000 रुपये उछलीआभूषण विक्रेताओं और स्टॉकिस्टों की ताजा लिवाली के कारण शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत 1,400 रुपये बढ़कर 96,450 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई। अखिल भारतीय सर्राफा संघ ने यह जानकारी दी।
इसी के साथ 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने की कीमत 1,400 रुपये बढ़कर 96,000 रुपये प्रति 10 ग्राम (सभी करों सहित) हो गई।
बृहस्पतिवार को 99.9 प्रतिशत और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाला सोना क्रमश: 95,050 रुपये और 94,600 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था।
शुक्रवार को चांदी की कीमत भी 1,000 रुपये बढ़कर 98,000 रुपये प्रति किलोग्राम (सभी करों सहित) हो गई। पिछले कारोबारी सत्र में चांदी 97,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी।
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हाजिर सोना 50.85 डॉलर यानी 1.57 प्रतिशत की गिरावट के साथ 3,189.25 डॉलर प्रति औंस रहा था।
एलकेपी सिक्योरिटीज में उपाध्यक्ष एवं शोध विश्लेषक जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘अमेरिका, ब्रिटेन तथा चीन जैसे प्रमुख भागीदारों के बीच संभावित व्यापार समझौतों के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव रहा और सोने की कीमत 3,200 डॉलर के आसपास मंडराती रही।’’
त्रिवेदी ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से नरम रुख के संकेत नहीं मिलने और ब्याज दरों में तत्काल कटौती नहीं होने से सर्राफा में खरीदारी की गति सीमित हो गई।
कोटक सिक्योरिटीज की वरिष्ठ उपाध्यक्ष (जिंस शोध) कायनात चैनवाला ने कहा कि बाजार प्रतिभागी अमेरिका के वृहद आर्थिक आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं।
जिंस विशेषज्ञों के मुताबिक, निवेशकों को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मुक्त बाजार समिति की सदस्य मैरी डेली की टिप्पणी का भी इंतजार है।
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