भारत में पेट से जुड़ी समस्याएं आम हैं, लेकिन कुछ समस्याएं ऐसी भी होती हैं जिन्हें लोग मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं — और यही लापरवाही बाद में बड़ी बीमारी बन सकती है।
पित्त की थैली में पथरी (Gallstones) भी एक ऐसी ही समस्या है, जो कई बार बिना किसी लक्षण के शरीर में पनपती रहती है। लेकिन शरीर कुछ संकेत जरूर देता है, जिन्हें समय रहते समझना बहुत जरूरी है।
आज हम आपको बताएंगे कि अगर आपकी पित्त की थैली (Gallbladder) में पथरी बन रही है तो आपके शरीर में कौन से 5 प्रमुख लक्षण दिखाई दे सकते हैं। ये लक्षण सामान्य भी लग सकते हैं, लेकिन बार-बार हों तो डॉक्टर से परामर्श लेना बेहद जरूरी है।
गॉलस्टोन यानी क्या है पित्त की पथरी?
गॉलब्लैडर यानी पित्त की थैली, लिवर के नीचे स्थित एक छोटा अंग होता है, जो पाचन में सहायक बाइल जूस (पित्त रस) को संग्रहित करता है।
जब पित्त रस में मौजूद कोलेस्ट्रॉल या अन्य तत्व ठोस होकर छोटे-छोटे कणों में बदल जाते हैं, तो उन्हें ही गॉलस्टोन्स (Gallstones) या पित्त की पथरी कहा जाता है।
पित्त की थैली में पथरी होने के ये हैं 5 शुरुआती संकेत
1. पेट के ऊपरी हिस्से में तीव्र दर्द (Upper Abdominal Pain)
यह दर्द आमतौर पर पेट के दाहिने ऊपरी हिस्से या सीने के नीचे महसूस होता है।
दर्द अचानक शुरू होता है और कुछ घंटों तक बना रह सकता है।
अक्सर यह दर्द भारी भोजन या तला-भुना खाने के बाद होता है।
2. मतली और उल्टी (Nausea and Vomiting)
बार-बार मतली आना या उल्टी जैसा महसूस होना, खासकर खाना खाने के बाद, एक संभावित संकेत हो सकता है।
कुछ मामलों में उल्टी होना नियमित हो सकता है।
3. भूख में कमी और पेट में भारीपन
बिना ज्यादा खाए ही पेट भरा-भरा लगना और भूख न लगना।
यह लक्षण पाचन क्रिया में रुकावट के कारण होता है, जो गॉलस्टोन से प्रभावित हो सकती है।
4. पीलापन (Jaundice) और त्वचा में खुजली
अगर गॉलस्टोन पित्त नली को ब्लॉक कर दे, तो शरीर में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे आंखें और त्वचा पीली पड़ने लगती हैं।
इसके साथ ही त्वचा में खुजली और असहजता भी महसूस हो सकती है।
5. मल का रंग बदलना और पेशाब का गहरा होना
पित्त का प्रवाह बाधित होने से मल हल्के रंग का और पेशाब गहरे पीले या भूरे रंग का हो सकता है।
ये लक्षण बाइल डक्ट में रुकावट के संकेत हो सकते हैं।
गॉलस्टोन की पुष्टि कैसे होती है?
अगर उपरोक्त लक्षण दिखें, तो डॉक्टर अल्ट्रासाउंड, CT स्कैन या ब्लड टेस्ट के जरिए गॉलस्टोन की जांच करते हैं।
कुछ मामलों में गॉलस्टोन का इलाज दवाओं से हो सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में सर्जरी (Cholecystectomy) ही अंतिम विकल्प होती है।
किसे होता है गॉलस्टोन का अधिक खतरा?
40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग
महिलाएं, खासकर जो गर्भनिरोधक दवाएं लेती हैं या गर्भवती हैं
मोटापे से ग्रसित व्यक्ति
बहुत जल्दी-जल्दी वजन घटाने वाले लोग
हाई कोलेस्ट्रॉल और फैटी डाइट लेने वाले लोग
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