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टॉनिक से कम नहीं ये फंगस, कैंसर मरीजों के लिए बन सकती है वरदान

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कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को मात देने की दिशा में वैज्ञानिकों ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में प्रकाशित एक नई अंतरराष्ट्रीय शोध रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक विशेष प्रकार की फंगस कैंसर के इलाज में सहायक टॉनिक की भूमिका निभा सकती है। यह फंगस न केवल कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में मददगार पाई गई है, बल्कि इलाज के दौरान शरीर को हुए नुकसान की भरपाई करने में भी सहायक हो सकती है।

कौन-सी है यह चमत्कारी फंगस?

इस शोध में जिस फंगस की बात की जा रही है, वह है कॉर्डिसेप्स (Cordyceps), जो हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से पाई जाती है। इसे पारंपरिक चीनी और तिब्बती औषधि में सदियों से इस्तेमाल किया जाता रहा है, लेकिन आधुनिक विज्ञान ने अब इसके कैंसर विरोधी गुणों की पुष्टि की है।

शोधकर्ताओं के अनुसार, कॉर्डिसेप्स में पाए जाने वाले बायोएक्टिव यौगिक जैसे कॉर्डिसेपिन (Cordycepin) कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोक सकते हैं, साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर सकते हैं। यह कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को भी कम करने में कारगर माना जा रहा है।

अध्ययन में क्या निकला सामने?

जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है कि कॉर्डिसेप्स फंगस के अर्क को कैंसर कोशिकाओं पर इस्तेमाल किया गया, विशेष रूप से ब्रेस्ट कैंसर और लिवर कैंसर की कोशिकाओं पर। परिणाम चौंकाने वाले थे — कोशिकाओं की वृद्धि में स्पष्ट रूप से कमी देखी गई और कुछ मामलों में कोशिका मृत्यु (Apoptosis) की प्रक्रिया भी शुरू हो गई।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह फंगस न केवल कैंसर के विकास को रोकती है, बल्कि शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को भी सक्रिय करती है, जिससे मरीज इलाज के दौरान अधिक सहनशक्ति दिखाते हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

वरिष्ठ ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. कहते हैं, “कॉर्डिसेप्स पर हो रहा शोध भविष्य के कैंसर इलाज की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है। हालांकि अभी इसे मुख्य इलाज के तौर पर नहीं अपनाया गया है, लेकिन सप्लीमेंट या सहायक चिकित्सा के रूप में इसकी भूमिका अहम हो सकती है।”

वे यह भी जोड़ते हैं कि यह फंगस शरीर को ऊर्जा देती है, थकावट को कम करती है और कीमोथेरेपी के दौरान आने वाली कमजोरी को कम कर सकती है।

क्या है सावधानी?

हालांकि यह फंगस प्राकृतिक है, लेकिन इसका सेवन किसी प्रशिक्षित विशेषज्ञ की सलाह से ही किया जाना चाहिए। बाजार में कई नकली या मिलावटी उत्पाद भी उपलब्ध हैं, जो नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही, कैंसर के मरीज इसे मुख्य इलाज का विकल्प नहीं समझें — यह एक सहायक उपाय के रूप में उपयोगी हो सकता है।

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