भारतीय रसोई में हल्दी सिर्फ एक मसाला नहीं, बल्कि एक औषधि मानी जाती रही है। संक्रमण, सूजन और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में इसका उपयोग सदियों से होता आया है। लेकिन हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की एक रिपोर्ट ने हल्दी को लेकर देशभर में चिंता बढ़ा दी है।
रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में बिक रही कई हल्दी पाउडर की ब्रांड्स में सीसा (Lead) और क्रोमियम जैसे भारी धातुओं की मिलावट पाई गई है, जो न सिर्फ हड्डियों को कमजोर कर सकती है, बल्कि मस्तिष्क और स्नायु तंत्र को भी प्रभावित कर सकती है।
क्या कहती है FSSAI की रिपोर्ट?
FSSAI ने देशभर से लिए गए हल्दी पाउडर के सैंपल्स की जांच की और पाया कि कई नमूनों में लेड क्रोमेट की मिलावट की गई है। यह एक पीला रंग देने वाला रसायन है, जिसे हल्दी को अधिक चमकदार और ताजगीपूर्ण दिखाने के लिए मिलाया जाता है।
यह धातु शरीर में विषैले तत्वों के रूप में जमा हो जाती है, जिससे हड्डियों की संरचना पर असर पड़ता है और मस्तिष्क के न्यूरोलॉजिकल फंक्शन प्रभावित होते हैं।
सेहत पर कैसे पड़ता है असर?
डॉक्टरों के अनुसार, हल्दी में लेड (सीसा) की उपस्थिति निम्न स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकती है:
हड्डियों की मजबूती में गिरावट:
लंबे समय तक सेवन करने से हड्डियों की घनता (Bone Density) घट सकती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ता है।
स्नायु तंत्र को नुकसान:
विशेषकर बच्चों में यह मस्तिष्क विकास में बाधा डाल सकता है और सीखने-समझने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।
किडनी और लीवर पर असर:
भारी धातुएं शरीर के विसर्जन तंत्र पर सीधा दबाव डालती हैं, जिससे किडनी फेलियर तक की नौबत आ सकती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक:
भ्रूण विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
कैसे करें असली और मिलावटी हल्दी की पहचान?
गर्म पानी टेस्ट: एक चुटकी हल्दी को पानी में डालें, अगर यह नीचे बैठ जाती है और कोई रंग नहीं छोड़ती, तो शुद्ध हो सकती है।
लाल रंग आने पर सतर्क हों: हल्दी में कृत्रिम रंग की मिलावट से पानी हल्का नारंगी या लाल हो सकता है।
ब्रांडेड और FSSAI-लाइसेंस प्राप्त उत्पादों का ही करें उपयोग।
विशेषज्ञों की राय:
डॉ. कहती हैं, “हमने देखा है कि लोग घर में दालचीनी, मिर्च या हल्दी को औषधि समझकर अधिक मात्रा में लेने लगे हैं। लेकिन अगर उसमें मिलावट है, तो वही लाभ की जगह नुकसान देने लगता है।”
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