नई दिल्ली: पिछले एक दशक से तेल और गैस के बाजार में चीन का दबदबा था। अब यह दबदबा कम हो रहा है। भारत आगे बढ़ रहा है। रेटिंग एजेंसी मूडीज की एक रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले दस सालों में भारत तेल और गैस की मांग को बढ़ाने में चीन से आगे निकल जाएगा। भारत में तेजी से औद्योगीकरण हो रहा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है। मध्यम वर्ग बढ़ रहा है। लोगों की यात्रा करने की जरूरत बढ़ी है। इस वजह से तेल और गैस की मांग बढ़ी है। दूसरी तरफ, चीन की अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है। वहां इलेक्ट्रिक गाड़ियां तेजी से बढ़ रही हैं। इस वजह से चीन में तेल की मांग कम हो रही है। मूडीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले दस सालों में भारत में तेल की मांग चीन से ज्यादा तेजी से बढ़ेगी। चीन में तेल की खपत अगले 3-5 सालों में चरम पर पहुंच जाएगी। वहीं, भारत में तेल की मांग हर साल 3%-5% तक बढ़ने की उम्मीद है।भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। मूडीज की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2025 में भारत की GDP 6.3% और 2026 में 6.5% तक बढ़ सकती है। इससे भारत G-20 देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश बन जाएगा। भारत में परिवहन के लिए तेल की मांग बढ़ रही है। सरकारी तेल कंपनियां रिफाइनिंग क्षमता में निवेश कर रही हैं। इससे तेल की मांग में तेजी बनी रहेगी। गैस भी भारत की ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सासिर्फ तेल ही नहीं, गैस भी भारत की ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा बन रही है। सरकार 2030 तक ऊर्जा में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को लगभग 6% से बढ़ाकर 15% करने की योजना बना रही है। उर्वरक, पेट्रोकेमिकल और सिटी गैस नेटवर्क जैसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों से गैस की मांग बढ़ रही है। अनुमान है कि इस दशक के अंत तक गैस की मांग हर साल 4% से 7% तक बढ़ेगी। हालांकि, गैस की ऊंची कीमत और इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी गैस के इस्तेमाल को बढ़ाने में बाधा बन सकती हैं।चीन ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनना चाहता है। इसलिए वह तेल के आयात पर अपनी निर्भरता को कम कर रहा है। चीन स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों को अपना रहा है। चीन में गैस की मांग अभी भी बढ़ रही है, लेकिन आर्थिक विकास धीमा होने और आधार बड़ा होने के कारण इसकी रफ्तार धीमी हो जाएगी।भारत में तेल की मांग तेजी से बढ़ रही है। 2025 और 2026 में भारत में तेल की मांग चीन की तुलना में लगभग दोगुनी तेजी से बढ़ेगी। OPEC के अनुसार, भारत में तेल की मांग 2024 में 5.55 मिलियन बैरल प्रति दिन (bpd) से बढ़कर 2025 में 5.74 मिलियन bpd हो जाएगी। यह 3.39% की बढ़ोतरी है। 2026 तक यह आंकड़ा 5.99 मिलियन bpd तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 4.28% की बढ़ोतरी है। घट रही है चीन की तेल डिमांडइसके उलट, चीन में तेल की मांग 2025 में केवल 1.5% और 2026 में 1.25% बढ़ने का अनुमान है। हालांकि, अमेरिका 2025 में 20.5 मिलियन bpd की मांग के साथ सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता बना रहेगा।अमेरिका और चीन में धीमी वृद्धि के बावजूद भारत में बढ़ती ईंधन जरूरतों के कारण 2025 और 2026 दोनों वर्षों में वैश्विक तेल की मांग में 1.3 मिलियन bpd की वृद्धि होने की उम्मीद है।भारत का ऊर्जा बाजार सिर्फ तेल तक ही सीमित नहीं है, यह बढ़ रहा है। भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है। परिवहन के लिए ईंधन की जरूरत बढ़ रही है। खासकर सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। इसलिए डीजल की मांग सबसे ज्यादा है। भारत की रिफाइनरियां बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ा रही हैं।भारत का कच्चे तेल का आयात भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इसका एक बड़ा हिस्सा रूस से आ रहा है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत मई 2025 में रूस से लगभग 1.8 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चा तेल आयात करने की उम्मीद है। यह 10 महीनों में सबसे अधिक होगा। रूस से हल्के तेल की बढ़ती मांग, रिफाइनरी रखरखाव और अपग्रेडेशन के कारण मध्य 2025 तक आयात अधिक रहने की उम्मीद है। भारत में तेल की मांग बढ़ने के कारण भारत में तेल और गैस की मांग बढ़ने के कई कारण हैं। पहला, भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। दूसरा, भारत में इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास हो रहा है। तीसरा, भारत में मध्यम वर्ग बढ़ रहा है। साथ ही लोगों को यात्रा करने की जरूरत बढ़ रही है। इन सभी कारणों से भारत में तेल और गैस की मांग बढ़ रही है।भारत सरकार भी गैस के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। सरकार 2030 तक ऊर्जा में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को लगभग 6% से बढ़ाकर 15% करने की योजना बना रही है। सरकार का मानना है कि गैस एक स्वच्छ ईंधन है और इससे प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।हालांकि, भारत में तेल और गैस की मांग बढ़ने के साथ-साथ कुछ चुनौतियां भी हैं। पहली चुनौती है तेल और गैस की ऊंची कीमत। दूसरी चुनौती है इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी। इन चुनौतियों को दूर करने के लिए सरकार को कदम उठाने होंगे।भारत में तेल और गैस की मांग बढ़ने से भारत की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और लोगों की आय में बढ़ोतरी होगी। हालांकि, भारत को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि तेल और गैस की मांग बढ़ने से पर्यावरण को नुकसान न हो।भारत सरकार को स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों को बढ़ावा देना चाहिए। इससे भारत तेल और गैस पर अपनी निर्भरता को कम कर सकता है और पर्यावरण को भी बचा सकता है।
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