नई दिल्ली: टेरर फंडिंग केस में तिहाड़ जेल में बंद जम्मू और कश्मीर के सांसद अब्दुल राशिद शेख उर्फ राशिद इंजीनियर की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने शुक्रवार को विभाजित फैसला सुनाया है। राशिद इंजीनियर ने संसद सत्र में हिस्सा लेने के लिए उसकी यात्रा और सुरक्षा पर हुए खर्च से रियायत देने की मांग को लेकर यह याचिका डाली है। लेकिन, अब इस केस को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पास भेजा जाएगा, जो इसके लिए नई और संभवत: बड़ी बेंच गठित कर सकते हैं।
राशिद इंजीनियर की अर्जी पर बंटा कोर्ट
शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट की डिविजन बेंच की ओर से अपना फैसला सुनाते हुए जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने कहा, 'मेरे भाई (जस्टिस विवेक चौधरी) और मैं इस बात पर सहमत नहीं हो पाया हूं कि आवेदन का निपटारा किस तरह किया जाना चाहिए। राय अलग-अलग हैं।' इसपर जस्टिस विवेक चौधरी ने कहा कि जस्टिस भंभानी ने आवेदन को मंजूरी दे दी थी, जबकि उन्होंने इसे खारिज कर दिया। जस्टिस चौधरी के मुताबिक, 'चूंकि हम दोनों ने अलग-अलग फैसला दिया है,इस मामले पर उचित बेंच बनाने के लिए चीफ जस्टिस के सामने रखा जाए।'
यात्रा और सुरक्षा खर्च से छूट की मांग
मौजूदा मामला राशिद के संसद सत्र में हिस्सा लेने से जुड़ा है। 22 जुलाई को ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में उन्हें मॉनसून सत्र में 24 जुलाई से 4 अगस्त तक जेल से संसद तक की यात्रा का खर्च उठाने की शर्त पर उपस्थित होने की अनुमति दी थी। राशिद ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ ही हाई कोर्ट का रुख किया है। राशिद का कहना है जेल प्रशासन ने उन्हें 1.44 लाख रुपये प्रतिदिन के हिसाब से यात्रा और सुरक्षा खर्च का बिल थमा दिया है। जबकि, उन्होंने एक सांसद के रूप में अपनी ड्यूटी निभाई है। एनआईए ने हलफनामे के जरिए उसके दावों का यह कहकर विरोध किया कि पब्लिक ड्यूटी जेल में बंद आरोपी को कस्टडी में यात्रा खर्च उठाने से छूट पाने का बहाना नहीं हो सकती।
टेरर फंड में जेल में बंद हैं राशिद इंजीनियर
राशिद इंजीनियर जम्मू और कश्मीर के निर्दलीय सांसद हैं और अवामी इत्तेहाद पार्टी के अध्यक्ष भी। उन्हें एनआईए ने यूएपीए (Unlawful Activities (Prevention) Act) के तहत 2019 में गिरफ्तार किया था। एनआईए ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि इन्होंने जम्मू और कश्मीर में अलगाववाद और अशांति भड़काने के लिए गैरकानूनी फंड ( टेरर फंडिंग केस) का इस्तेमाल किया।
राशिद इंजीनियर की अर्जी पर बंटा कोर्ट
शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट की डिविजन बेंच की ओर से अपना फैसला सुनाते हुए जस्टिस अनूप जयराम भंभानी ने कहा, 'मेरे भाई (जस्टिस विवेक चौधरी) और मैं इस बात पर सहमत नहीं हो पाया हूं कि आवेदन का निपटारा किस तरह किया जाना चाहिए। राय अलग-अलग हैं।' इसपर जस्टिस विवेक चौधरी ने कहा कि जस्टिस भंभानी ने आवेदन को मंजूरी दे दी थी, जबकि उन्होंने इसे खारिज कर दिया। जस्टिस चौधरी के मुताबिक, 'चूंकि हम दोनों ने अलग-अलग फैसला दिया है,इस मामले पर उचित बेंच बनाने के लिए चीफ जस्टिस के सामने रखा जाए।'
यात्रा और सुरक्षा खर्च से छूट की मांग
मौजूदा मामला राशिद के संसद सत्र में हिस्सा लेने से जुड़ा है। 22 जुलाई को ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में उन्हें मॉनसून सत्र में 24 जुलाई से 4 अगस्त तक जेल से संसद तक की यात्रा का खर्च उठाने की शर्त पर उपस्थित होने की अनुमति दी थी। राशिद ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ ही हाई कोर्ट का रुख किया है। राशिद का कहना है जेल प्रशासन ने उन्हें 1.44 लाख रुपये प्रतिदिन के हिसाब से यात्रा और सुरक्षा खर्च का बिल थमा दिया है। जबकि, उन्होंने एक सांसद के रूप में अपनी ड्यूटी निभाई है। एनआईए ने हलफनामे के जरिए उसके दावों का यह कहकर विरोध किया कि पब्लिक ड्यूटी जेल में बंद आरोपी को कस्टडी में यात्रा खर्च उठाने से छूट पाने का बहाना नहीं हो सकती।
टेरर फंड में जेल में बंद हैं राशिद इंजीनियर
राशिद इंजीनियर जम्मू और कश्मीर के निर्दलीय सांसद हैं और अवामी इत्तेहाद पार्टी के अध्यक्ष भी। उन्हें एनआईए ने यूएपीए (Unlawful Activities (Prevention) Act) के तहत 2019 में गिरफ्तार किया था। एनआईए ने अपनी चार्जशीट में दावा किया है कि इन्होंने जम्मू और कश्मीर में अलगाववाद और अशांति भड़काने के लिए गैरकानूनी फंड ( टेरर फंडिंग केस) का इस्तेमाल किया।
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