नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को वाराणसी से चार नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इसके साथ ही, भारतीय रेलवे अब पूरे देश में कुल 164 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन कर रहा है। वंदे भारत एक्सप्रेस भारत की ' मेक इन इंडिया ' पहल की महत्वपूर्ण उपलब्धि है। लेकिन, ग्लोबल हाई-स्पीड रेलवे के संदर्भ में, खासकर चीन के विशाल नेटवर्क और उसकी ट्रेनों की रफ्तार की तुलना में दोनों के बीच बड़ा फर्क दिखाई देता है। आइए, यहां जानते हैं कि चीन से मुकाबला करने के लिए अभी हमारी ट्रेनों को पटरी पर कितना तेज दौड़ने की जरूरत है।
वंदे भारत ट्रेंनो की अधिकतम रफ्तार 180 किमी प्रति घंटा है। यह चीन की सीआरएच या फक्सिंग ट्रेनों के मुकाबले बहुत कम है। चीन की ये ट्रेनें 350 किमी प्रति घंटा से 450 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ लगाने में समर्थ हैं। ज्यदातर रूटों पर वंदे भारत की वर्तमान परिचालन रफ्तार 110 किमी प्रति घंटा से 130 किमी प्रति घंटा तक है। इसके मुकाबले में चीन की सीआरएच/फक्सिंग ट्रेनों की परिचालन स्पीड 250 से 350 किमी प्रति घंटा है।
क्यों अपनी पूरी क्षमता से नहीं दौड़ पाती है वंदे भारत?वंदे भारत अपनी पूरी क्षमता पर इसलिए नहीं दौड़ पाती क्योंकि मौजूदा भारतीय ट्रैक इसके लिए पूरी तरह से अपग्रेड नहीं किए गए हैं। वहीं, चीन में हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए डेडिकेटेड और एडवांस ट्रैक नेटवर्क है। यह दोनों देशों में बहुत बड़ा फर्क पैदा करता है। कोई डेडिकेटेड हाई-स्पीड नेटवर्क न होने के कारण वंदे भारत ट्रेनें मौजूदा मिक्स्ड ट्रैकों पर चलती हैं। वहीं, चीन में दुनिया का सबसे बड़ा हाई-स्पीड नेटवर्क है। यह 45,000 से ज्यादा का है। आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।
वंदे भारत सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनें हैं। इनका उद्देश्य इस श्रेणी में यात्रियों को बेहतर अनुभव देना और यात्रा का समय कम करना है। वहीं, चीन अल्ट्रा-हाई-स्पीड ट्रेनों के जरिये लंबी दूरी की यात्रा को वायु मार्ग का विकल्प बनाना चाहता है।
भारत ने वंदे भारत ट्रेनों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी की है। यह मेक इन इंडिया की बड़ी सफलता है। लेकिन, चीन ने पहले ही रफ्तार और नेटवर्क की गुणवत्ता में ग्लोबल स्टैंडर्ड सेट कर दिए हैं।
भारत की असली चुनौती बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट्स (जैसे मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर) को पूरा करना और मौजूदा वंदे भारत ट्रैकों को 160 किमी प्रति घंटा से 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार के लिए अपग्रेड करना है, तभी वह चीन के नेटवर्क की तुलना में खड़ा हो पाएगा।
8 नवंबर को लॉन्च नई वंदे भारत कहां चलेंगी?आज शुरू हुई नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें बनारस-खजुराहो, लखनऊ-सहारनपुर, फिरोजपुर-दिल्ली और एर्नाकुलम-बेंगलुरु मार्गों पर चलेंगी। इन ट्रेनों से प्रमुख शहरों के बीच यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा। इससे लोगों का आना-जाना आसान होगा, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और देश भर में आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार मिलेगी।
बनारस-खजुराहो वंदे भारत एक्सप्रेस इस मार्ग पर सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। यह ट्रेन वर्तमान में चल रही स्पेशल ट्रेनों की तुलना में लगभग 2 घंटे और 40 मिनट का समय बचाएगी। यह ट्रेन वाराणसी, प्रयागराज, चित्रकूट और खजुराहो जैसे भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को जोड़ेगी। इससे न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यात्रियों को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल खजुराहो तक तेज, आधुनिक और आरामदायक यात्रा का अनुभव भी मिलेगा।
लखनऊ-सहारनपुर वंदे भारत एक्सप्रेस अपनी यात्रा लगभग 7 घंटे और 45 मिनट में पूरी करेगी। इससे लगभग 1 घंटे का यात्रा समय बचेगा। यह ट्रेन लखनऊ, सीतापुर, शाहजहांपुर, बरेली, मुरादाबाद, बिजनौर और सहारनपुर के यात्रियों के लिए बहुत फायदेमंद होगी। साथ ही, यह रुड़की के जरिये हरिद्वार तक पहुंच को भी बेहतर बनाएगी।
फिरोजपुर-दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस इस मार्ग पर सबसे तेज ट्रेन होगी। यह अपनी यात्रा केवल 6 घंटे 40 मिनट में पूरी करेगी। यह ट्रेन राष्ट्रीय राजधानी को पंजाब के फिरोजपुर, बठिंडा और पटियाला जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ेगी। इस ट्रेन से व्यापार, पर्यटन और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह सीमावर्ती क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगी और राष्ट्रीय बाजारों के साथ बेहतर एकीकरण को बढ़ावा देगी।
दक्षिण भारत में एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस यात्रा के समय को 2 घंटे से अधिक कम कर देगी। यह ट्रेन अपनी यात्रा 8 घंटे 40 मिनट में पूरी करेगी। यह ट्रेन प्रमुख आईटी और वाणिज्यिक केंद्रों को जोड़ेगी। यह पेशेवरों, छात्रों और पर्यटकों को तेज और अधिक आरामदायक यात्रा विकल्प प्रदान करेगी। यह मार्ग केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच आर्थिक गतिविधियों और पर्यटन को बढ़ावा देगा, जिससे क्षेत्रीय विकास और सहयोग को समर्थन मिलेगा।
वंदे भारत ट्रेंनो की अधिकतम रफ्तार 180 किमी प्रति घंटा है। यह चीन की सीआरएच या फक्सिंग ट्रेनों के मुकाबले बहुत कम है। चीन की ये ट्रेनें 350 किमी प्रति घंटा से 450 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ लगाने में समर्थ हैं। ज्यदातर रूटों पर वंदे भारत की वर्तमान परिचालन रफ्तार 110 किमी प्रति घंटा से 130 किमी प्रति घंटा तक है। इसके मुकाबले में चीन की सीआरएच/फक्सिंग ट्रेनों की परिचालन स्पीड 250 से 350 किमी प्रति घंटा है।
क्यों अपनी पूरी क्षमता से नहीं दौड़ पाती है वंदे भारत?वंदे भारत अपनी पूरी क्षमता पर इसलिए नहीं दौड़ पाती क्योंकि मौजूदा भारतीय ट्रैक इसके लिए पूरी तरह से अपग्रेड नहीं किए गए हैं। वहीं, चीन में हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए डेडिकेटेड और एडवांस ट्रैक नेटवर्क है। यह दोनों देशों में बहुत बड़ा फर्क पैदा करता है। कोई डेडिकेटेड हाई-स्पीड नेटवर्क न होने के कारण वंदे भारत ट्रेनें मौजूदा मिक्स्ड ट्रैकों पर चलती हैं। वहीं, चीन में दुनिया का सबसे बड़ा हाई-स्पीड नेटवर्क है। यह 45,000 से ज्यादा का है। आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है।
वंदे भारत सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनें हैं। इनका उद्देश्य इस श्रेणी में यात्रियों को बेहतर अनुभव देना और यात्रा का समय कम करना है। वहीं, चीन अल्ट्रा-हाई-स्पीड ट्रेनों के जरिये लंबी दूरी की यात्रा को वायु मार्ग का विकल्प बनाना चाहता है।
भारत ने वंदे भारत ट्रेनों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी की है। यह मेक इन इंडिया की बड़ी सफलता है। लेकिन, चीन ने पहले ही रफ्तार और नेटवर्क की गुणवत्ता में ग्लोबल स्टैंडर्ड सेट कर दिए हैं।
भारत की असली चुनौती बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट्स (जैसे मुंबई-अहमदाबाद कॉरिडोर) को पूरा करना और मौजूदा वंदे भारत ट्रैकों को 160 किमी प्रति घंटा से 200 किमी प्रति घंटा की रफ्तार के लिए अपग्रेड करना है, तभी वह चीन के नेटवर्क की तुलना में खड़ा हो पाएगा।
8 नवंबर को लॉन्च नई वंदे भारत कहां चलेंगी?आज शुरू हुई नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें बनारस-खजुराहो, लखनऊ-सहारनपुर, फिरोजपुर-दिल्ली और एर्नाकुलम-बेंगलुरु मार्गों पर चलेंगी। इन ट्रेनों से प्रमुख शहरों के बीच यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा। इससे लोगों का आना-जाना आसान होगा, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और देश भर में आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार मिलेगी।
बनारस-खजुराहो वंदे भारत एक्सप्रेस इस मार्ग पर सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। यह ट्रेन वर्तमान में चल रही स्पेशल ट्रेनों की तुलना में लगभग 2 घंटे और 40 मिनट का समय बचाएगी। यह ट्रेन वाराणसी, प्रयागराज, चित्रकूट और खजुराहो जैसे भारत के महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों को जोड़ेगी। इससे न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यात्रियों को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल खजुराहो तक तेज, आधुनिक और आरामदायक यात्रा का अनुभव भी मिलेगा।
लखनऊ-सहारनपुर वंदे भारत एक्सप्रेस अपनी यात्रा लगभग 7 घंटे और 45 मिनट में पूरी करेगी। इससे लगभग 1 घंटे का यात्रा समय बचेगा। यह ट्रेन लखनऊ, सीतापुर, शाहजहांपुर, बरेली, मुरादाबाद, बिजनौर और सहारनपुर के यात्रियों के लिए बहुत फायदेमंद होगी। साथ ही, यह रुड़की के जरिये हरिद्वार तक पहुंच को भी बेहतर बनाएगी।
फिरोजपुर-दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस इस मार्ग पर सबसे तेज ट्रेन होगी। यह अपनी यात्रा केवल 6 घंटे 40 मिनट में पूरी करेगी। यह ट्रेन राष्ट्रीय राजधानी को पंजाब के फिरोजपुर, बठिंडा और पटियाला जैसे प्रमुख शहरों से जोड़ेगी। इस ट्रेन से व्यापार, पर्यटन और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। यह सीमावर्ती क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान देगी और राष्ट्रीय बाजारों के साथ बेहतर एकीकरण को बढ़ावा देगी।
दक्षिण भारत में एर्नाकुलम-बेंगलुरु वंदे भारत एक्सप्रेस यात्रा के समय को 2 घंटे से अधिक कम कर देगी। यह ट्रेन अपनी यात्रा 8 घंटे 40 मिनट में पूरी करेगी। यह ट्रेन प्रमुख आईटी और वाणिज्यिक केंद्रों को जोड़ेगी। यह पेशेवरों, छात्रों और पर्यटकों को तेज और अधिक आरामदायक यात्रा विकल्प प्रदान करेगी। यह मार्ग केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच आर्थिक गतिविधियों और पर्यटन को बढ़ावा देगा, जिससे क्षेत्रीय विकास और सहयोग को समर्थन मिलेगा।
You may also like

दिल वही ले जाएगा, जो सड़क नियम अपनाएगा... दिल्ली पुलिस की इस क्रिएटिविटी का कोई जवाब नहीं

नोएडा: फर्जी दस्तावेजों से बैंक खाते खुलवाकर साइबर अपराधियों को बेचने वाले गिरोह के चार सदस्य गिरफ्तार

Model Sexy Video : इस मॉडल ने एयरपोर्ट पर ही उतारने शुरू किए कपड़े, वीडियो वायरल होने पर बवाल

ऋचा घोष: बंगाल सरकार ने बंग भूषण पुरस्कार और डीएसपी पद से नवाजा, कैब ने भेंट किया सोने का बल्ला

बिहार चुनाव: समस्तीपुर में लावारिस मिलीं वीवीपैट पर्चियां, विपक्ष ने उठाए सवाल




