मुंबई: सरकार के शहरी विकास मंत्रालय, बीएमसी, राजस्व और सहकारिता विभाग की संयुक्त बैठक में मुंबईकरों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। निर्णय के तहत मुंबई की 25 हजार से अधिक इमारतों को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) देने का रास्ता साफ हो जाएगा। मुंबई उपनगर के पालक मंत्री आशीष शेलार ने बताया कि मुंबई महानगरपालिका की विकास नियंत्रण नियमावली, म्हाडा, एसआरए और अन्य प्राधिकरणों के तहत बनी लेकिन विभिन्न कारणों से ओसी से वंचित इमारतों को वैध ठहराने के लिए सरकार जल्द नई नीति तैयार करेगी।
गुरुवार को मंत्रालय में इस मामले को लेकर एक बैठक हुई जिसमें पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी, स्थानीय विधायक मनीषा चौधरी, उत्तर मुंबई के बीजेपी पदाधिकारी और संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। बैठक का नेतृत्व कैबिनेट मंत्री आशीष शेलार ने किया। बैठक के बाद शेलार ने कहा कि नगर विकास विभाग 2 अक्टूबर से एक नई नीति लागू करने जा रहा है। इस नीति के तहत निर्माण के दौरान हुई तकनीकी या प्रशासनिक गलतियों को सुधारकर इमारतों को आसान प्रक्रिया से ओसी दिया जाएगा।
इसके अलावा अनुमति प्राप्त क्षेत्रफल में अंतर, सेटबैक से जुड़ी अड़चनें जैसी वजहों से जिन इमारतों को अब तक ओसी नहीं मिल पाया था, उन्हें भी राहत दी जाएगी। नियमावली और नीति में बदलाव के कारण अटकी इमारतों को भी अब राहत मिलेगी। कई जगहों पर बिल्डरों ने प्रशासन को देने वाले आरक्षित फ्लैट्स या क्षेत्र उपलब्ध नहीं कराए थे, जिसकी वजह से आम नागरिकों को ओसी नहीं मिल पा रहा था। नई व्यवस्था में इस समस्या से जूझ रहे घर मालिकों को भी ओसी मिलने का रास्ता खुल जाएगा।
महत्वपूर्ण बात यह है कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से और ऑनलाइन पद्धति से लागू की जाएगी, ताकि नागरिकों को बिना भटके सीधे लाभ मिल सके। ओसी पाने के लिए अब सोसाइटियों को खुद पहल करनी होगी। नई नीति के तहत, यदि सोसायटी सामूहिक रूप से या व्यक्तिगत स्तर पर प्रस्ताव देती हैं, तो उन्हें पार्ट-ओसी भी मिल सकेगा।
मुंबईकरों को मिलेगी बड़ी राहत: लोढ़ा
सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने निर्णय का मैं हृदय से स्वागत करता हूं। आखिरकार लाखों मुंबईकरों के लिए देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर संकटमोचक बनकर सामने आए हैं।
क्या है ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट
ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) यह प्रमाणित करता है कि कोई इमारत स्वीकृत योजना के अनुसार बनाई गई है और सभी आवश्यक सुरक्षा मानकों, जैसे कि अग्नि सुरक्षा, संरचनात्मक स्थिरता, और जल निकासी का पालन करती है, जिससे वह रहने के लिए उपयुक्त है। यह प्रमाणपत्र मनपा प्राधिकरण की तरफ से जारी किया जाता है और इसके बिना किसी संपत्ति पर कब्जा करना अवैध माना जा सकता है, जिससे जुर्माना लग सकता है या पानी, बिजली जैसी सुविधाओं पर रोक लगाई जा सकती है।
गुरुवार को मंत्रालय में इस मामले को लेकर एक बैठक हुई जिसमें पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी, स्थानीय विधायक मनीषा चौधरी, उत्तर मुंबई के बीजेपी पदाधिकारी और संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। बैठक का नेतृत्व कैबिनेट मंत्री आशीष शेलार ने किया। बैठक के बाद शेलार ने कहा कि नगर विकास विभाग 2 अक्टूबर से एक नई नीति लागू करने जा रहा है। इस नीति के तहत निर्माण के दौरान हुई तकनीकी या प्रशासनिक गलतियों को सुधारकर इमारतों को आसान प्रक्रिया से ओसी दिया जाएगा।
इसके अलावा अनुमति प्राप्त क्षेत्रफल में अंतर, सेटबैक से जुड़ी अड़चनें जैसी वजहों से जिन इमारतों को अब तक ओसी नहीं मिल पाया था, उन्हें भी राहत दी जाएगी। नियमावली और नीति में बदलाव के कारण अटकी इमारतों को भी अब राहत मिलेगी। कई जगहों पर बिल्डरों ने प्रशासन को देने वाले आरक्षित फ्लैट्स या क्षेत्र उपलब्ध नहीं कराए थे, जिसकी वजह से आम नागरिकों को ओसी नहीं मिल पा रहा था। नई व्यवस्था में इस समस्या से जूझ रहे घर मालिकों को भी ओसी मिलने का रास्ता खुल जाएगा।
महत्वपूर्ण बात यह है कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से और ऑनलाइन पद्धति से लागू की जाएगी, ताकि नागरिकों को बिना भटके सीधे लाभ मिल सके। ओसी पाने के लिए अब सोसाइटियों को खुद पहल करनी होगी। नई नीति के तहत, यदि सोसायटी सामूहिक रूप से या व्यक्तिगत स्तर पर प्रस्ताव देती हैं, तो उन्हें पार्ट-ओसी भी मिल सकेगा।
मुंबईकरों को मिलेगी बड़ी राहत: लोढ़ा
सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने निर्णय का मैं हृदय से स्वागत करता हूं। आखिरकार लाखों मुंबईकरों के लिए देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर संकटमोचक बनकर सामने आए हैं।
क्या है ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट
ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) यह प्रमाणित करता है कि कोई इमारत स्वीकृत योजना के अनुसार बनाई गई है और सभी आवश्यक सुरक्षा मानकों, जैसे कि अग्नि सुरक्षा, संरचनात्मक स्थिरता, और जल निकासी का पालन करती है, जिससे वह रहने के लिए उपयुक्त है। यह प्रमाणपत्र मनपा प्राधिकरण की तरफ से जारी किया जाता है और इसके बिना किसी संपत्ति पर कब्जा करना अवैध माना जा सकता है, जिससे जुर्माना लग सकता है या पानी, बिजली जैसी सुविधाओं पर रोक लगाई जा सकती है।
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