आगरा: यमुना में लगातार जलस्तर बढ़ने से बाढ़ के हालात और विकराल हो गए हैं। यमुना किनारे बसे गांव, कॉलोनियों और बस्तियों में कई फुट तक पानी भर गया है। हालात ये है कि ताजमहल के पश्चिमी गेट तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है। इधर ताजमहल के पीछे बने महताब बाग का गार्डन पानी से लबालब हो गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यमुना में बाढ़ के इन हालातों ने साल 1978 की यादें ताजा कर दी हैं। तब सड़कों पर इतना पानी था कि प्रशासन ने स्टीमर चलवाए थे।
सोमवार को यमुना का जलस्तर 152.605 मीटर तक पहुंच गया। जो कि खतरे के निशान से 1.600 मीटर ऊपर है। ताजमहल पश्चिमी एंट्री गेट और दीवारों तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है। जबकि महताब बाग में टिकट विंडो सीढिय़ों पर पानी बह रहा है। पानी तेज धार लोगों को डरा रही है। यमुना किनारे बना एडीए का ताज व्यू प्वाइंट के ऊपर से यमुना की धारा बह रही है। इन हालातों को देखकर स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई है। लगाातर यमुना में बढ़ते जलस्तर ने लाखों लोगों को हैरत में डाल दिया है।
47 साल बाद फिर देखा ऐसा नजारा
ताजमहल के पीछे महताब बाग के बाहर दुकान लगाने वाले साबिर अली ने बताया कि उनके होश में 1978 में यमुना में बाढ़ आई थी। तब यमुना का हाईप्लड लेवल 154.760 मीटर था। तब यमुना पार के बेलनगंज, जीवनीमंडी, विजय नगर कालोनी, दयालबाग, बल्केश्वर, मोतीमहल, कटरा वजीर खां, रामबाग, सीतानगर, यमुना ब्रिज घाट पानी में डूब गए थे।
बारिश के बीच अगर पानी का फ्लो कम नहीं हुआ तो 1978 जैसे हालात फिर से पैदा हो सकते हैं। कछपुरा के अशोक सागर बताते हैं कि पिछली बार 2010 और 2023 में भी यमुना में बाढ़ के हालात बने थे, लेकिन तब इतना पानी नहीं आया था।
गोकुल से छोड़ा पानी
मथुरा में बाढ़ के हालात बेहद खराब हो चुके हैं। 45 गांव टापू बन चुके हैं। जयसिंहपुरा रोड की दर्जनों कालोनियां पानी में डूब चुकी हैं। इसके अलावा विश्राम घाट और वृंदावन के तमाम गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। बाढ़ नियंत्रण कक्ष प्रभारी के अनुसार दो दिनों तक और पानी छोड़े जाने की आशंका है। सोमवार को मथुरा के गोकुल बैराज से 1.60 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। मंगलवार रात तक यमुना का जलस्तर और बढ़ेगा।
सोमवार को यमुना का जलस्तर 152.605 मीटर तक पहुंच गया। जो कि खतरे के निशान से 1.600 मीटर ऊपर है। ताजमहल पश्चिमी एंट्री गेट और दीवारों तक बाढ़ का पानी पहुंच गया है। जबकि महताब बाग में टिकट विंडो सीढिय़ों पर पानी बह रहा है। पानी तेज धार लोगों को डरा रही है। यमुना किनारे बना एडीए का ताज व्यू प्वाइंट के ऊपर से यमुना की धारा बह रही है। इन हालातों को देखकर स्थानीय लोगों में दहशत फैल गई है। लगाातर यमुना में बढ़ते जलस्तर ने लाखों लोगों को हैरत में डाल दिया है।
47 साल बाद फिर देखा ऐसा नजारा
ताजमहल के पीछे महताब बाग के बाहर दुकान लगाने वाले साबिर अली ने बताया कि उनके होश में 1978 में यमुना में बाढ़ आई थी। तब यमुना का हाईप्लड लेवल 154.760 मीटर था। तब यमुना पार के बेलनगंज, जीवनीमंडी, विजय नगर कालोनी, दयालबाग, बल्केश्वर, मोतीमहल, कटरा वजीर खां, रामबाग, सीतानगर, यमुना ब्रिज घाट पानी में डूब गए थे।
बारिश के बीच अगर पानी का फ्लो कम नहीं हुआ तो 1978 जैसे हालात फिर से पैदा हो सकते हैं। कछपुरा के अशोक सागर बताते हैं कि पिछली बार 2010 और 2023 में भी यमुना में बाढ़ के हालात बने थे, लेकिन तब इतना पानी नहीं आया था।
गोकुल से छोड़ा पानी
मथुरा में बाढ़ के हालात बेहद खराब हो चुके हैं। 45 गांव टापू बन चुके हैं। जयसिंहपुरा रोड की दर्जनों कालोनियां पानी में डूब चुकी हैं। इसके अलावा विश्राम घाट और वृंदावन के तमाम गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। बाढ़ नियंत्रण कक्ष प्रभारी के अनुसार दो दिनों तक और पानी छोड़े जाने की आशंका है। सोमवार को मथुरा के गोकुल बैराज से 1.60 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। मंगलवार रात तक यमुना का जलस्तर और बढ़ेगा।
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