रामबाबू मित्तल, बिजनौर: उत्तर प्रदेश में बाढ़ का कहर जारी है। बिजनौर जिले में गंगा की बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। सड़कें तालाब बन चुकी हैं और कई गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है। ऐसे हालातों के बीच एक गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने की जद्दोजहद किसी संघर्ष से कम नहीं रही।
जलीलपुर क्षेत्र के गांव स्याली निवासी बीना देवी को बृहस्पतिवार रात अचानक तेज प्रसव पीड़ा हुई। चारों तरफ पानी ही पानी था। गांव में न कोई डॉक्टर था और न ही एंबुलेंस गांव तक पहुंच सकती थी। ऐसे में परिवार वालों ने साहस दिखाया और बीना को चारपाई पर लिटाकर ट्रैक्टर-ट्रॉली से अस्पताल की ओर निकल पड़े।
करीब ढाई किलोमीटर दूर जमालुद्दीनपुर के पास ट्रैक्टर बाढ़ के गहरे पानी में फंस गया। परिजनों ने किसी तरह ट्रैक्टर को बाहर निकाला और प्रशासन को सूचना दी। ग्राम प्रधान अशोक कुमार और अन्य ग्रामीणों की मदद से ट्रैक्टर को खेड़ा तक पहुंचाया गया। रात करीब 12:30 बजे एसडीआरएफ की टीम मोटर बोट लेकर मौके पर पहुंची और बीना देवी को बोट में बैठाकर नारनौर गांव तक लाया गया, जहां से एंबुलेंस के जरिए उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) स्याऊ भेजा गया।
गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने की यह पूरी कवायद करीब छह घंटे चली। शुक्रवार देर शाम तक महिला सीएचसी में भर्ती रही और डॉक्टरों की निगरानी में थी। यह घटना न सिर्फ प्रशासन की तत्परता को दर्शाती है, बल्कि ग्रामीणों के साहस और जज्बे की मिसाल भी पेश करती है। साथ ही यह सवाल भी उठाती है कि प्राकृतिक आपदा के समय दूरदराज गांवों में मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच अब भी कितनी चुनौतीपूर्ण है।
जलीलपुर क्षेत्र के गांव स्याली निवासी बीना देवी को बृहस्पतिवार रात अचानक तेज प्रसव पीड़ा हुई। चारों तरफ पानी ही पानी था। गांव में न कोई डॉक्टर था और न ही एंबुलेंस गांव तक पहुंच सकती थी। ऐसे में परिवार वालों ने साहस दिखाया और बीना को चारपाई पर लिटाकर ट्रैक्टर-ट्रॉली से अस्पताल की ओर निकल पड़े।
करीब ढाई किलोमीटर दूर जमालुद्दीनपुर के पास ट्रैक्टर बाढ़ के गहरे पानी में फंस गया। परिजनों ने किसी तरह ट्रैक्टर को बाहर निकाला और प्रशासन को सूचना दी। ग्राम प्रधान अशोक कुमार और अन्य ग्रामीणों की मदद से ट्रैक्टर को खेड़ा तक पहुंचाया गया। रात करीब 12:30 बजे एसडीआरएफ की टीम मोटर बोट लेकर मौके पर पहुंची और बीना देवी को बोट में बैठाकर नारनौर गांव तक लाया गया, जहां से एंबुलेंस के जरिए उन्हें सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) स्याऊ भेजा गया।
गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने की यह पूरी कवायद करीब छह घंटे चली। शुक्रवार देर शाम तक महिला सीएचसी में भर्ती रही और डॉक्टरों की निगरानी में थी। यह घटना न सिर्फ प्रशासन की तत्परता को दर्शाती है, बल्कि ग्रामीणों के साहस और जज्बे की मिसाल भी पेश करती है। साथ ही यह सवाल भी उठाती है कि प्राकृतिक आपदा के समय दूरदराज गांवों में मूलभूत स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच अब भी कितनी चुनौतीपूर्ण है।
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