मुंबई: उपराष्ट्रति चुनाव के मुकाबले की तस्वीर साफ हो चुकी है। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन के सामने इंडिया अलायंस ने बी सुदर्शन रेड्डी पर दांव खेला है। उपराष्ट्रपति के कैंडिडेट घोषित होने के बाद महाराष्ट्र के गवर्नर सीपी राधाकृष्णन दिल्ली पहुंच चुके हैं। राज्यसभा और लोकसभा में एनडीए और इंडिया अलायंस के सदस्यों की संख्या को देखते हुए सीपी राधाकृष्णन के जीतने की प्रबल संभावना है, तो वहीं दूसरी तरफ इंडिया अलायंस अभी तैयारी में थोड़ा पीछे है। बीजेपी के द्वारा सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाए जाने पर राजनीति प्रेक्षक हैरान रह गए थे। उनकी उम्मीदवारी को लेकर प्रेक्षक अपने हिसाब से पॉलिटिक्स को डिकोट कर रहे हैं, लेकिन महाराष्ट्र के गवर्नर को उपराष्ट्रपति चुनाव का कैंडिडेट बनाने में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की भूमिका अहम मानी जा रही है।
देवाभाऊ का सुझाव हुआ हिट
महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि एनडीए के उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की तलाश में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अहम भूमिका निभाई। यह बताया जा रहा है कि उन्होंने ही सबसे पहले उनका नाम सुझाने का कार्य किया। उन्होंने यह भी कहा कि इससे इंडिया गठबंधन में दरार उत्पन्न करने के साथ ही डीएमके को धर्मसंकट में डालने में भी मदद हासिल होगी। इतना ही नहीं बीजेपी के मिशन दक्षिण को भी इससे बल मिलेगा। सूत्रों का कहना है कि यह कहा जा रहा है कि यह सुझाव जब बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के पास गया और संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा हुई तो उसमें फडणवीस के सुझाव फिट बैठा। सूत्रों के मुताबिक जब बीजेपी नेतृत्व एनडीए के लिए उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार की तलाश कर रहा था. उस समय देवेंद्र फडणवीस की ओर से यह सुझाव दिया गया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन एक उपयुक्त उम्मीदवार हो सकते हैं।
बढ़ रहा है फडणवीस का कद
लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद विधानसभा चुनावों में फडणवीस ने जिस अंदाज में बाजी पलटी उसके बाद उनका कद बढ़ा है। उनके पीएम मोदी से अच्छे रिश्ते माने जाते हैं। इतना ही नहीं वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्यारे हैं। एनडीए के तमाम सहयोगी दलों ने उपराष्ट्रपति का कैंडिडेट चुनने का फैसला पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर छोड़ दिया था। सूत्रों का कहना है कि फडणवीस ने यह भी कहा कि राधाकृष्णन क्योंकि संघ के पुराने स्वयंसेवक हैं। ऐसे में उनके नाम पर संघ का भी विरोध सामने नहीं आएगा। इससे भाजपा और संघ के बीच के रिश्ते और बेहतर होंगे, जो बिहार और उत्तर प्रदेश के साथ ही पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए भी काफी जरूरी है।
मिशन साउथ का मतलब
अगर सीपी राधाकृष्णन चुनावी मुकाबले में जीत हासिल करते हैं तो वह वेकैंया नायडू के बाद दक्षिण से बीजेपी के दूसरे उपराष्ट्रपति होंगे। इससे पहले बीजेपी ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाया था। फडणवीस के प्रस्ताव में यह दलील थी कि अगर सीपी राधाकृष्णन उम्मीदवार होंगे तो दक्षिण से होने की वजह से वहां के पांच राज्य उनके समर्थन में आ सकते हैं। इनता ही डीएमके के लिए जहां धर्मसंकट खड़ा होगा तो वहीं दूसरी महाराष्ट्र के दलों के लिए विरोध आसान नहीं होगा क्योंकि वह राज्य के राज्यपाल हैं। बीजेपी के द्वारा दक्षिण का दांव खेलने पर इंडिया अलायंस को साउथ की तरफ जाना पड़ा। बी सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी के बाद भी दक्षिण के दलों में तनाव सामने आ सकता है।
देवाभाऊ का सुझाव हुआ हिट
महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि एनडीए के उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की तलाश में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अहम भूमिका निभाई। यह बताया जा रहा है कि उन्होंने ही सबसे पहले उनका नाम सुझाने का कार्य किया। उन्होंने यह भी कहा कि इससे इंडिया गठबंधन में दरार उत्पन्न करने के साथ ही डीएमके को धर्मसंकट में डालने में भी मदद हासिल होगी। इतना ही नहीं बीजेपी के मिशन दक्षिण को भी इससे बल मिलेगा। सूत्रों का कहना है कि यह कहा जा रहा है कि यह सुझाव जब बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के पास गया और संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा हुई तो उसमें फडणवीस के सुझाव फिट बैठा। सूत्रों के मुताबिक जब बीजेपी नेतृत्व एनडीए के लिए उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार की तलाश कर रहा था. उस समय देवेंद्र फडणवीस की ओर से यह सुझाव दिया गया कि महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन एक उपयुक्त उम्मीदवार हो सकते हैं।
बढ़ रहा है फडणवीस का कद
लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद विधानसभा चुनावों में फडणवीस ने जिस अंदाज में बाजी पलटी उसके बाद उनका कद बढ़ा है। उनके पीएम मोदी से अच्छे रिश्ते माने जाते हैं। इतना ही नहीं वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्यारे हैं। एनडीए के तमाम सहयोगी दलों ने उपराष्ट्रपति का कैंडिडेट चुनने का फैसला पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर छोड़ दिया था। सूत्रों का कहना है कि फडणवीस ने यह भी कहा कि राधाकृष्णन क्योंकि संघ के पुराने स्वयंसेवक हैं। ऐसे में उनके नाम पर संघ का भी विरोध सामने नहीं आएगा। इससे भाजपा और संघ के बीच के रिश्ते और बेहतर होंगे, जो बिहार और उत्तर प्रदेश के साथ ही पश्चिम बंगाल चुनाव के लिए भी काफी जरूरी है।
मिशन साउथ का मतलब
अगर सीपी राधाकृष्णन चुनावी मुकाबले में जीत हासिल करते हैं तो वह वेकैंया नायडू के बाद दक्षिण से बीजेपी के दूसरे उपराष्ट्रपति होंगे। इससे पहले बीजेपी ने डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनाया था। फडणवीस के प्रस्ताव में यह दलील थी कि अगर सीपी राधाकृष्णन उम्मीदवार होंगे तो दक्षिण से होने की वजह से वहां के पांच राज्य उनके समर्थन में आ सकते हैं। इनता ही डीएमके के लिए जहां धर्मसंकट खड़ा होगा तो वहीं दूसरी महाराष्ट्र के दलों के लिए विरोध आसान नहीं होगा क्योंकि वह राज्य के राज्यपाल हैं। बीजेपी के द्वारा दक्षिण का दांव खेलने पर इंडिया अलायंस को साउथ की तरफ जाना पड़ा। बी सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी के बाद भी दक्षिण के दलों में तनाव सामने आ सकता है।
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