सतना: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने 2024 का रिजल्ट जारी किया है। इसमें सतना जिले के दो होनहार युवकों ने अपना परचम लहराया है। दोनों पहले प्रयास में असफल होने के बावजूद हिम्मत नहीं हारे। सीमित संसाधनों के साथ अपने लक्ष्य की ओर लगे रहे और सफलता की नई कहानी लिख दी।
सतना के रिमारी गांव के एक किसान के बेटे विवेक सिंह का चयन डीएसपी पद पर हुआ है। वहीं रैगांव के इटौरा गांव का एक सिक्योरिटी गार्ड का बेटा आशीष पांडेय ट्रेजरी ऑफिसर बन गया है। दोनों के संघर्ष की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है।
छोटे से किसान का बेटा है आशीष
डीएसपी पद पर चयनित 26 साल के विवेक सिंह के पिता देवलाल सिंह एक छोटे से किसान हैं। उनके पास मात्र 4 एकड़ जमीन है। उसी पर खेती करके अपना पेट पालते हैं। विवेक की मां राजकली हाउस वाइफ हैं। विवेक ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की। फिर दिल्ली विश्वविद्यालय व जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से उच्च शिक्षा ग्रहण किया।
तीन बार असफल होने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत
विवेक तीन बार इस परीक्षा में असफल हो चुके थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और चौथे प्रयास में कमाल कर दिया। विवेक ने बताया कि उन्होंने कभी कोचिंग नहीं ली और दिल्ली में दोस्तों के साथ एक छोटे से कमरे में रहकर रोजाना 7-8 घंटे सेल्फ स्टडी करते थे। शुरुआती असफलताओं से सीखते हुए उन्होंने अपनी लेखन शैली में सुधार किया और ऑनलाइन मॉक इंटरव्यू के जरिए साक्षात्कार की तैयारी की। विवेक का अगला लक्ष्य अब आईएएस अधिकारी बनना है।
सिक्योरिटी गार्ड के बेटा बना ट्रेजरी आफिसर
इटौरा गांव के आशीष पांडेय ने ट्रेजरी ऑफिसर का पद हासिल कर अपने परिवार का नाम रोशन किया है। उनके पिता उमेश पांडेय एक कंपनी से रिटायर होने के बाद गुजरात में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं। बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले आशीष ने अपनी पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय से पूरी की है।
सेल्फ स्टडी पर किया भरोसा
आशीष का यह तीसरा प्रयास था। आशीष को 2023 की परीक्षा के अंतिम परिणाम का भी इंतजार है, जिसमें वह इंटरव्यू तक पहुंचे हैं। उन्हें डिप्टी कलेक्टर का पद मिलने की उम्मीद है। आशीष ने इंदौर में एक साल की कोचिंग के साथ-साथ सेल्फ स्टडी पर भरोसा किया।
सतना के रिमारी गांव के एक किसान के बेटे विवेक सिंह का चयन डीएसपी पद पर हुआ है। वहीं रैगांव के इटौरा गांव का एक सिक्योरिटी गार्ड का बेटा आशीष पांडेय ट्रेजरी ऑफिसर बन गया है। दोनों के संघर्ष की कहानी बड़ी ही दिलचस्प है।
छोटे से किसान का बेटा है आशीष
डीएसपी पद पर चयनित 26 साल के विवेक सिंह के पिता देवलाल सिंह एक छोटे से किसान हैं। उनके पास मात्र 4 एकड़ जमीन है। उसी पर खेती करके अपना पेट पालते हैं। विवेक की मां राजकली हाउस वाइफ हैं। विवेक ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल से पूरी की। फिर दिल्ली विश्वविद्यालय व जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से उच्च शिक्षा ग्रहण किया।
तीन बार असफल होने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत
विवेक तीन बार इस परीक्षा में असफल हो चुके थे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और चौथे प्रयास में कमाल कर दिया। विवेक ने बताया कि उन्होंने कभी कोचिंग नहीं ली और दिल्ली में दोस्तों के साथ एक छोटे से कमरे में रहकर रोजाना 7-8 घंटे सेल्फ स्टडी करते थे। शुरुआती असफलताओं से सीखते हुए उन्होंने अपनी लेखन शैली में सुधार किया और ऑनलाइन मॉक इंटरव्यू के जरिए साक्षात्कार की तैयारी की। विवेक का अगला लक्ष्य अब आईएएस अधिकारी बनना है।
सिक्योरिटी गार्ड के बेटा बना ट्रेजरी आफिसर
इटौरा गांव के आशीष पांडेय ने ट्रेजरी ऑफिसर का पद हासिल कर अपने परिवार का नाम रोशन किया है। उनके पिता उमेश पांडेय एक कंपनी से रिटायर होने के बाद गुजरात में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते हैं। बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले आशीष ने अपनी पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय से पूरी की है।
सेल्फ स्टडी पर किया भरोसा
आशीष का यह तीसरा प्रयास था। आशीष को 2023 की परीक्षा के अंतिम परिणाम का भी इंतजार है, जिसमें वह इंटरव्यू तक पहुंचे हैं। उन्हें डिप्टी कलेक्टर का पद मिलने की उम्मीद है। आशीष ने इंदौर में एक साल की कोचिंग के साथ-साथ सेल्फ स्टडी पर भरोसा किया।
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