नई दिल्ली: अगला संडे भारत के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है। रूस समेत 21 देशों वाला OPEC+ कच्चे तेल (क्रूड) के उत्पादन में बढ़ोतरी पर फैसला लेने वाला है। अगर ऐसा होता है तो यह भारत के लिए बहुत अच्छी खबर होगी। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में नरमी आएगी। भारत अपनी तेल की जरूरत का लगभग 88% आयात करता है। ऐसे में OPEC+ के फैसले का सीधा और महत्वपूर्ण असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। तीन सूत्रों ने बताया है कि OPEC+ अगले रविवार को अपनी बैठक करेगा। इस बैठक में तेल उत्पादन में कम से कम रोजाना 1,37,000 बैरल (बीपीडी) की और बढ़ोतरी को मंजूरी मिलने की उम्मीद है। तेल की कीमतें बढ़ रही हैं। इससे समूह को बाजार में अपनी हिस्सेदारी फिर से हासिल करने का बढ़ावा मिल रहा है। OPEC+ ने अप्रैल से उत्पादन कटौती की अपनी रणनीति बदल दी है। समूह ने पहले ही 25 लाख बीपीडी से ज्यादा का कोटा बढ़ाया है। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के बाद उठाया गया था। ट्रंप ने तेल की कीमतें कम करने का दबाव डाला था। यह बढ़ोतरी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए भी की गई थी। हाल ही में तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गई हैं। यूक्रेन के ड्रोन हमलों ने रूस के ऊर्जा बुनियादी ढांचे को बाधित किया है। इससे कीमतें बढ़ी हैं।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को तीन सूत्रों ने बताया है कि OPEC+ अगले रविवार को अपनी बैठक में तेल उत्पादन में कम से कम 137,000 बीपीडी की और बढ़ोतरी को मंजूरी दे सकता है। बढ़ती तेल कीमतें समूह को बाजार हिस्सेदारी फिर से हासिल करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। OPEC+ ने अप्रैल से अपनी उत्पादन कटौती की रणनीति को उलट दिया है। समूह ने पहले ही 25 लाख बीपीडी से ज्यादा का कोटा बढ़ाया है। यह दुनिया की मांग का लगभग 2.4% है। यह कदम बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के बाद उठाया गया था। ट्रंप ने तेल की कीमतें कम करने का दबाव डाला था।
5 अक्टूबर को ऑनलाइन होगी बैठक आठ OPEC+ देश 5 अक्टूबर को एक ऑनलाइन बैठक करेंगे। इस बैठक में नवंबर के उत्पादन पर फैसला लिया जाएगा। OPEC+ दुनिया के लगभग आधे तेल का उत्पादन करता है। इसमें पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) के साथ रूस और अन्य सहयोगी देश शामिल हैं। रूस इस समूह में प्रमुख खिलाड़ी है। OPEC मुख्यालय और सऊदी अरब के अधिकारियों ने टिप्पणी के अनुरोधों पर तुरंत कोई जवाब नहीं दिया।
तेल की कीमतें साल की शुरुआत में 80 डॉलर प्रति बैरल से अधिक थीं। लेकिन, वे गिर गई थीं। अप्रैल में OPEC की ओर से उत्पादन बढ़ोतरी शुरू करने के बाद से कीमतें ज्यादातर 60-70 डॉलर प्रति बैरल की सीमा में कारोबार कर रही थीं। शुक्रवार को कीमतें 1 अगस्त के बाद अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गईं। कीमतों ने 70 डॉलर प्रति बैरल का लेवल क्रॉस कर दिया। इसका कारण यूक्रेन के ड्रोन हमले थे। इन हमलों ने रूस के एनर्जी इन्फ्रास्ट्रक्चर को बाधित किया। रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातकों में से एक है। इन हमलों से रूस में रिफाइनिंग और शिपमेंट प्रभावित हुए।
अभी नहीं हुआ है कोई अंतिम फैसलासमूह की कुल उत्पादन कटौती अपने चरम पर 58.5 लाख बीपीडी थी। यह कटौती तीन अलग-अलग हिस्सों में बंटी थी। इसमें 22 लाख बीपीडी की स्वैच्छिक कटौती शामिल थी। आठ सदस्यों की ओर से 16.5 लाख बीपीडी की कटौती भी थी। पूरे समूह की ओर से 20 लाख बीपीडी की एक और कटौती थी। आठ उत्पादक सितंबर के अंत तक इन कटौतियों के एक हिस्से (22 लाख बीपीडी) को पूरी तरह से खत्म करने की योजना बना रहे हैं। अक्टूबर के लिए उन्होंने 16.5 लाख बीपीडी की दूसरी परत को हटाना शुरू कर दिया। इसमें 1,37,000 बीपीडी की बढ़ोतरी की गई। OPEC+ ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को भी अप्रैल और सितंबर के बीच 3,00,000 बीपीडी उत्पादन बढ़ाने की मंजूरी दी थी।
सूत्रों ने बताया है कि 5 अक्टूबर को जिस नवंबर बढ़ोतरी पर चर्चा होगी, वह कम से कम 1,37,000 बीपीडी होगी। यह अक्टूबर की बढ़ोतरी के बराबर है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। विश्लेषकों ने कहा है कि OPEC+ की बढ़ोतरी अक्सर घोषित मात्रा से कम रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादातर सदस्य अपनी पूरी क्षमता पर पंप कर रहे हैं। OPEC+ की 20 लाख बीपीडी की तीसरी समूह-व्यापी कटौती 2026 के अंत तक जारी रहेगी।
भारत पर कैसे होगा असर?OPEC+ की ओर से तेल उत्पादन में बढ़ोतरी के फैसले का भारत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की ज्यादा संभावना है। भारत अपनी रूरत का लगभग 88% तेल आयात करता है। उत्पादन बढ़ने से ग्लोबल क्रूड ऑयल की कीमतों पर दबाव आता है। इससे कीमतें गिर सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो भारत का आयात बिल कम होगा। इससे डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूती मिलेगी। सबसे महत्वपूर्ण पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस (एलपीजी) के दाम कम होने से महंगाई पर लगाम लगेगी। हालांकि, यह बढ़ोतरी अगर मामूली रही और रूस से भारत को मिल रहे सस्ते तेल की कीमत पर असर पड़ा तो यह लाभ कुछ हद तक कम हो सकता है।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को तीन सूत्रों ने बताया है कि OPEC+ अगले रविवार को अपनी बैठक में तेल उत्पादन में कम से कम 137,000 बीपीडी की और बढ़ोतरी को मंजूरी दे सकता है। बढ़ती तेल कीमतें समूह को बाजार हिस्सेदारी फिर से हासिल करने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। OPEC+ ने अप्रैल से अपनी उत्पादन कटौती की रणनीति को उलट दिया है। समूह ने पहले ही 25 लाख बीपीडी से ज्यादा का कोटा बढ़ाया है। यह दुनिया की मांग का लगभग 2.4% है। यह कदम बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के बाद उठाया गया था। ट्रंप ने तेल की कीमतें कम करने का दबाव डाला था।
5 अक्टूबर को ऑनलाइन होगी बैठक आठ OPEC+ देश 5 अक्टूबर को एक ऑनलाइन बैठक करेंगे। इस बैठक में नवंबर के उत्पादन पर फैसला लिया जाएगा। OPEC+ दुनिया के लगभग आधे तेल का उत्पादन करता है। इसमें पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (OPEC) के साथ रूस और अन्य सहयोगी देश शामिल हैं। रूस इस समूह में प्रमुख खिलाड़ी है। OPEC मुख्यालय और सऊदी अरब के अधिकारियों ने टिप्पणी के अनुरोधों पर तुरंत कोई जवाब नहीं दिया।
तेल की कीमतें साल की शुरुआत में 80 डॉलर प्रति बैरल से अधिक थीं। लेकिन, वे गिर गई थीं। अप्रैल में OPEC की ओर से उत्पादन बढ़ोतरी शुरू करने के बाद से कीमतें ज्यादातर 60-70 डॉलर प्रति बैरल की सीमा में कारोबार कर रही थीं। शुक्रवार को कीमतें 1 अगस्त के बाद अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गईं। कीमतों ने 70 डॉलर प्रति बैरल का लेवल क्रॉस कर दिया। इसका कारण यूक्रेन के ड्रोन हमले थे। इन हमलों ने रूस के एनर्जी इन्फ्रास्ट्रक्चर को बाधित किया। रूस दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातकों में से एक है। इन हमलों से रूस में रिफाइनिंग और शिपमेंट प्रभावित हुए।
अभी नहीं हुआ है कोई अंतिम फैसलासमूह की कुल उत्पादन कटौती अपने चरम पर 58.5 लाख बीपीडी थी। यह कटौती तीन अलग-अलग हिस्सों में बंटी थी। इसमें 22 लाख बीपीडी की स्वैच्छिक कटौती शामिल थी। आठ सदस्यों की ओर से 16.5 लाख बीपीडी की कटौती भी थी। पूरे समूह की ओर से 20 लाख बीपीडी की एक और कटौती थी। आठ उत्पादक सितंबर के अंत तक इन कटौतियों के एक हिस्से (22 लाख बीपीडी) को पूरी तरह से खत्म करने की योजना बना रहे हैं। अक्टूबर के लिए उन्होंने 16.5 लाख बीपीडी की दूसरी परत को हटाना शुरू कर दिया। इसमें 1,37,000 बीपीडी की बढ़ोतरी की गई। OPEC+ ने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) को भी अप्रैल और सितंबर के बीच 3,00,000 बीपीडी उत्पादन बढ़ाने की मंजूरी दी थी।
सूत्रों ने बताया है कि 5 अक्टूबर को जिस नवंबर बढ़ोतरी पर चर्चा होगी, वह कम से कम 1,37,000 बीपीडी होगी। यह अक्टूबर की बढ़ोतरी के बराबर है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। विश्लेषकों ने कहा है कि OPEC+ की बढ़ोतरी अक्सर घोषित मात्रा से कम रही है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ज्यादातर सदस्य अपनी पूरी क्षमता पर पंप कर रहे हैं। OPEC+ की 20 लाख बीपीडी की तीसरी समूह-व्यापी कटौती 2026 के अंत तक जारी रहेगी।
भारत पर कैसे होगा असर?OPEC+ की ओर से तेल उत्पादन में बढ़ोतरी के फैसले का भारत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की ज्यादा संभावना है। भारत अपनी रूरत का लगभग 88% तेल आयात करता है। उत्पादन बढ़ने से ग्लोबल क्रूड ऑयल की कीमतों पर दबाव आता है। इससे कीमतें गिर सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो भारत का आयात बिल कम होगा। इससे डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूती मिलेगी। सबसे महत्वपूर्ण पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस (एलपीजी) के दाम कम होने से महंगाई पर लगाम लगेगी। हालांकि, यह बढ़ोतरी अगर मामूली रही और रूस से भारत को मिल रहे सस्ते तेल की कीमत पर असर पड़ा तो यह लाभ कुछ हद तक कम हो सकता है।
You may also like
Asia Cup 2025 Prize Money: पाकिस्तान को हराने का इनाम 21 करोड़ रुपये... एशिया कप जीत के बाद BCCI ने किया खिलाड़ियों को मालामाल
शिवपुरीः सेवा भारती के सहरिया बनवासी बालक छात्रावास में कंप्यूटर प्रशिक्षण प्रशिक्षण केंद्र का हुआ शुभारंभ
शिवपुरीः स्वास्थ्य शिविर में 600 से अधिक मरीजों का हुआ परीक्षण, रक्तदान शिविर का भी आयोजन
उज्जैन में 121 स्थलों पर 25 हजार से अधिक कन्याओं का पूजन 'गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में दर्ज
पाकिस्तान की बेइज्जती के साथ खत्म हुआ 'ऑपरेशन व्हाइट बॉल', तिलक और अभिषेक ने जीता ये खिताब