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प्रशांत किशारे ने दागा ऐसा तीर, BJP-JDU के नेता बिहार में अपने टॉप नेताओं से मांगने लगे हिसाब

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पटना: जनसुराज के नायक प्रशांत किशोर ने एनडीए के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व पर तो सवालिया निशान खड़ा कर डाला है। प्रशांत किशोर का यह आरोप सीधे-सीधे नीतीश कुमार के 'थ्री सी' (क्राइम, करप्शन, कम्युनल) पर एक तरह से प्रहार भी है। अक्सर नीतीश कुमार के व्यक्तित्व को आंकने में यह कहा जाता है कि क्राइम, करप्शन और कम्युनिज्म से कोई समझौता नहीं करते।



निशाने पर लगे प्रशांत किशोर के तीर

राजद को भ्रष्टाचार और जंगलराज की राह उतारते सत्ता की डोर पकड़ने वाले नीतीश कुमार पर प्रशांत कुमार ने एक नहीं कई नेताओं को भ्रष्टाचार के दल दल में धकेल तो दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर एक हत्या और मेडिकल कॉलेज को हड़प लेने का आरोप लगाया। जदयू के मंत्री अशोक चौधरी पर 200 करोड़ के बेनामी संपत्ति का आरोप लगाया। स्वास्थ मंत्री मंगल पांडेय पर वर्तमान भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से पैसे लेकर फ्लैट खरीदने का आरोप लगाया।



पीके ने इन सवालों को उठाकर नीतीश कुमार की यूएसपी को ही कठघरे में खड़ा कर दिया। इसकी वजह भी है कि जिस तरह से तेजस्वी यादव को बिंदुबार जवाब देने को पब्लिकली कहा ऐसा कोई वक्तव्य इस बार नीतीश कुमार का नहीं आया।



प्रशांत किशोर ने एनडीए में मचा दिया घमासान

जनसुराज के नायक प्रशांत किशोर ने भ्रष्टाचार के इस तीर से एनडीए के भीतर घमासान तो मचा ही दिया। साथ ही विपक्ष में खड़े तमाम दलों को एक मुद्दा थमा दिया। एनडीए के भीतर इस प्रसंग को लेकर काफी बवाल भी है। प्रवक्ता के रूप में एमएलसी नीरज कुमार ने सवाल उठा कर जनता के बीच पार्टी का पक्ष रखा तो बीजेपी के पूर्व मंत्री आरके सिंह ने भी भर्त्सना करते हुए कई सवाल खड़े कर डाले। जानते हैं कि किसने क्या कहा?



बीजेपी का ग्राफ नीचे गिरा : आर के सिंह

पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने साफ कहा कि प्रशांत किशोर ने जिन नेताओं पर आरोप लगाए हैं उन्हें जवाब देना चाहिए। जवाब नहीं आने से बीजेपी का ग्राफ गिर रहा है। दिलीप जायसवाल को जवाब देना चाहिए। सम्राट चौधरी को अपनी डिग्री दिखानी चाहिए। दिलीप जायसवाल पर तो प्रशांत किशोर ने हत्या और एक मेडिकल कॉलेज पर अवैध तरीके से कब्जा करने का आरोप लगाया। उन्हें इसका जवाब देना चाहिए, नहीं तो बता दें कि उनके पास कोई जवाब नहीं है। अगर उनके पास कोई जवाब है तो उन्हें मानहानि का मुकदमा करना चाहिए।



उन्होंने सम्राट चौधरी) को भी अपनी मैट्रिक की डिग्री दिखाने को कहा। उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री दिखानी चाहिए। पीके के आरोप सरकार और पार्टी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करते हैं।



भ्रष्टाचार पर भड़के नीरज कुमार

जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के प्रवक्ता नीरज कुमार ने जदयू के सीनियर मंत्री अशोक चौधरी की ओर से 2 साल में 200 करोड़ की बेनामी संपत्ति जुटा लेने के आरोप पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने अशोक चौधरी पर तंज कसते हुए कहा कि खुद को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानस पुत्र कहते हैं तो प्रशांत के आरोपों पर अशोक चौधरी को पूरी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।



उन्हें तमाम आरोपों पर बिंदु वार जवाब देना चाहिए। नीरज कुमार ने कहा कि पार्टी को अशोक चौधरी का जवाब चाहिए। कार्यकर्ताओं ने काफी मेहनत और कुर्बानी देकर पार्टी को बनाया है। इसे लुटने नहीं देंगे। नीरज ने कहा कि पार्टी अग्निपरीक्षा से गुजर रही है। इस तरह के गंभीर आरोप पार्टी के किसी मंत्री पर पहली बार लगे हैं। यह सामान्य बात नहीं है।



नीरज कुमार यहीं नहीं रुके उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी)के नेता तेजस्वी यादव की याद दिलाई और कहा कि जब उन पर आरोप लगे थे तो पार्टी ने उनसे भी जवाब मांगा था। पार्टी को जवाब तो चाहिए क्योंकि यह पार्टी की साख का सवाल है।



उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पर कोई विरोधी भी इस तरह का आरोप नहीं लगा सकता है। नीरज ने कहा कि अशोक चौधरी पर आरोप लगा है, इसलिए पार्टी की ओर से आग्रह है कि वो मीडिया के सामने आकर पूरी सच्चाई बताएं।



पीके आरोप में दम है: राम बंधु वत्स

वरिष्ठ विश्लेषक और सेफ्लोजिस्ट राम बंधु वत्स कहते हैं कि प्रशांत किशोर की ओर से लगाए जा रहे आरोपों का जनता पर असर है। पीके ने कई प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एनडीए के कुछ नेताओं की तो जन्मपत्री खोल दी।



खासकर बिहार विधानसभा चुनाव के ऐन मौके पर उठे भ्रष्टाचार के तमाम सवाल एक मायने रखते हैं। सुशासन की सरकार के ये मंत्री बिहार की जनता के बीच एक नजीर हैं। पर पीके के आरोप पर चुप्पी साध लेने से जनता की नजर में वे दूध के धुले साबित नहीं होंगे। जिन मंत्रियों या नेताओं पर सवाल उठे हैं उन्हें खुलकर जनता के बीच आकर अपना पक्ष रखना चाहिए। इसमें जितनी देर होगी एनडीए को नुकसान होगा। खासकर इसलिए कि वर्तमान समय में जनता के ऊपर अपनी बिगड़ी छवि को नहीं सुधारते हैं तो इस से सरकार की और पार्टी की छवि धूमिल होती है।

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