बीजिंग: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तियानजिन में 1 सितंबर को होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह बीते सात साल में मोदी की पहली चीन यात्रा होगी। बीजिंग की मेजबानी में रही इस समिट पर दुनिया की नजर लगी है। इसकी वजह चीन और भारत के नेताओं के अलावा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस मंच पर मौजूदगी है। रूस, चीन और भारत का अमेरिका से चल रहा तनाव इन तीनों देशों को करीब ला सकता है।
विदेश मंत्रालय ने बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर को 25वीं बैठक के लिए तियानजिन का दौरा करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आखिरी बार पिछले साल रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में जिनपिंग और पुतिन के साथ मंच साझा किया था। रूसी अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि भारत, चीन और रूस के बीच त्रिपक्षीय वार्ता हो सकती है।
भारत के लिए क्यों अहमभारत के लिए एससीओ शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण है क्योंकि वह चीन के साथ संबंधों में बेहतरी चाहता है। द चाइना-ग्लोबल साउथ प्रोजेक्ट के एरिक ओलैंडर का मानना है कि भारत हालिया विवादों को पीछे छोड़कर चीन के साथ तनाव कम करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। वहीं शी इस शिखर सम्मेलन का उपयोग अमेरिका को अपना असर दिखाने के लिए करेंगे।
चीनी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी का मानना है कि इस साल का शिखर सम्मेलन 2001 में एससीओ की स्थापना के बाद से सबसे बड़ा होगा। यह नए प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण शक्ति होगा। भारत और चीन के बीच 2020 से चल रहा तनाव कम होगा। ट्रंप प्रशासन की भारत पर सख्ती ने शी और मोदी के बीच एक सकारात्मक बैठक की उम्मीदें बढ़ा दी हैं।
शी का बड़ा ऐलानशी जिनपिंग ने एससीओ समिट से पहले कहा है कि अशांत दुनिया में चीन और रूस के संबंध 'सबसे स्थिर' हैं। जिनपिंग ने मंगलवार को कहा कि रूस के साथ चीन के संबंध प्रमुख विश्व शक्तियों में सबसे स्थिर, परिपक्व और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
रूस की संसद के निचले सदन के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन के साथ एक बैठक के दौरान शी ने दोनों देशों के संबंधों को विश्व शांति का एक स्थिर स्रोत बताया। बीजिंग के भव्य ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में शी ने वोलोडिन से कहा कि दोनों देशों के सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
SCO के सदस्य देशएससीओ में 10 सदस्य हैं। भारत के अलावा, इनमें बेलारूस, चीन, ईरान, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। इसके कई संवाद साझेदार और पर्यवेक्षक भी हैं। भारत 2017 से एससीओ का सदस्य है।
विदेश मंत्रालय ने बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर को 25वीं बैठक के लिए तियानजिन का दौरा करेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आखिरी बार पिछले साल रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में जिनपिंग और पुतिन के साथ मंच साझा किया था। रूसी अधिकारियों ने उम्मीद जताई है कि भारत, चीन और रूस के बीच त्रिपक्षीय वार्ता हो सकती है।
भारत के लिए क्यों अहमभारत के लिए एससीओ शिखर सम्मेलन महत्वपूर्ण है क्योंकि वह चीन के साथ संबंधों में बेहतरी चाहता है। द चाइना-ग्लोबल साउथ प्रोजेक्ट के एरिक ओलैंडर का मानना है कि भारत हालिया विवादों को पीछे छोड़कर चीन के साथ तनाव कम करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। वहीं शी इस शिखर सम्मेलन का उपयोग अमेरिका को अपना असर दिखाने के लिए करेंगे।
चीनी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी का मानना है कि इस साल का शिखर सम्मेलन 2001 में एससीओ की स्थापना के बाद से सबसे बड़ा होगा। यह नए प्रकार के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के निर्माण में एक महत्वपूर्ण शक्ति होगा। भारत और चीन के बीच 2020 से चल रहा तनाव कम होगा। ट्रंप प्रशासन की भारत पर सख्ती ने शी और मोदी के बीच एक सकारात्मक बैठक की उम्मीदें बढ़ा दी हैं।
शी का बड़ा ऐलानशी जिनपिंग ने एससीओ समिट से पहले कहा है कि अशांत दुनिया में चीन और रूस के संबंध 'सबसे स्थिर' हैं। जिनपिंग ने मंगलवार को कहा कि रूस के साथ चीन के संबंध प्रमुख विश्व शक्तियों में सबसे स्थिर, परिपक्व और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
रूस की संसद के निचले सदन के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोडिन के साथ एक बैठक के दौरान शी ने दोनों देशों के संबंधों को विश्व शांति का एक स्थिर स्रोत बताया। बीजिंग के भव्य ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में शी ने वोलोडिन से कहा कि दोनों देशों के सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए।
SCO के सदस्य देशएससीओ में 10 सदस्य हैं। भारत के अलावा, इनमें बेलारूस, चीन, ईरान, कज़ाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। इसके कई संवाद साझेदार और पर्यवेक्षक भी हैं। भारत 2017 से एससीओ का सदस्य है।
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