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H-1B Fee Hike Impact: भारत के लिए वरदान बनेगा ट्रंप का श्राप? एच-1बी वीजा की दीवार पर टॉप इकोनॉमिस्ट की बड़ी भविष्यवाणी

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नई दिल्ली: अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा फीस बढ़ा दी है। लेकिन, भारत के लिए ट्रंप का यह श्राप वरदान बन सकता है। जेपी मॉर्गन के चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट और हेड ऑफ एशिया इकोनॉमिक्स साजिद चिनॉय ने इसे लेकर बड़ी भविष्‍यवाणी कर दी है। उनके अनुसार, एच-1बी वीजा पर लगी पाबंदियां भारत के लिए फायदेमंद हो सकती हैं। हालांकि, इसका शुरुआती असर थोड़ा प्रतिकूल रहने की आशंका है। टॉप इकोनॉमिस्‍ट का मानना है कि इससे ऑफशोरिंग को बढ़ावा मिलेगा। ऑफशोरिंग का मतलब है, काम को विदेश में भेजना। चिनॉय ने यह बात सीएनबीसी इंटरनेशनल को बताई। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान भी ऐसा हुआ था, जब कई आईटी और मल्टीनेशनल कंपनियों ने अपना काम भारत में भेजना शुरू कर दिया था। ट्रंप ने एच-1बी वीजा की फीस को बढ़ाकर 100,000 डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) कर दिया है। व्हाइट हाउस ने बाद में बताया कि यह फीस सिर्फ नए एप्‍लीकेशन पर ही लगेगी। पुराने वीजा को रिन्यू कराने पर नहीं। एच-1बी वीजा पाने वालों में लगभग 70% भारतीय हैं।



साजिद चिनॉय ने कहा कि भारत के सर्विस सेक्टर को पहले से ही ग्लोबल ऑफशोरिंग से फायदा हो रहा है। उन्होंने महामारी के समय की बात की। तब कई मल्टीनेशनल कंपनियों ने भारत में काम भेजना शुरू कर दिया था। उन्होंने जेपी मॉर्गन का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां बड़े-बड़े ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर हैं, जहां रिसर्च, लीगल, अकाउंटिंग, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, साइबर सिक्योरिटी, रिस्क मैनेजमेंट जैसे काम होते हैं।



टैर‍िफ से नुकसान को कम करने के कई रास्‍ते

हालांकि, चिनॉय ने यह भी माना कि टैरिफ और ट्रेड को लेकर अनिश्चितता से भारत को नुकसान हो सकता है। लेकिन, उन्होंने कहा कि भारत के पास कई ऐसे उपाय हैं, जिनसे एक्सपोर्ट में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस साल महंगाई बहुत कम रही है। वित्तीय वर्ष के अंत तक यह सिर्फ 2.5% रहेगी। पहले मॉनेटरी पॉलिसी को आसान बनाया गया था। इसका असर अब दिख रहा है। जीएसटी में कटौती भी लागू हो गई है। इसके अलावा, इस साल मॉनसून भी अच्छा रहा है। चिनॉय को उम्मीद है कि इन सभी फैक्‍टर्स से आने वाले महीनों में लोग ज्यादा खर्च करेंगे। इससे एक्सपोर्ट में होने वाले नुकसान की भरपाई हो जाएगी।



भारत की आर्थिक तरक्की के बारे में चिनॉय ने कहा कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि अमेरिका के टैरिफ कब तक लागू रहते हैं और क्या जल्द ही कोई ट्रेड डील हो पाती है। उन्होंने कहा, 'यह इस बात पर निर्भर करेगा कि टैरिफ कब तक लागू रहते हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने अमेरिका को एक्सपोर्ट थोड़ा पहले ही कर दिया था। इसलिए अगर कुछ हफ्तों या महीनों में ट्रेड डील हो जाती है तो भारत इस नुकसान को झेल सकता है।



चिनॉय ने कहा कि कुछ ऐसे सेक्टर हैं, जिनमें ज्यादा लोगों को रोजगार मिलता है। मसलन, रत्न और आभूषण, चमड़ा, कपड़ा, जूते और झींगा। उन्होंने कहा कि अगर टैरिफ लंबे समय तक लगे रहे तो इससे नौकरियां जा सकती हैं। लोगों की खर्च करने की क्षमता कम होने के आसार हैं।



उन्होंने यह भी कहा कि अगर टैरिफ कई तिमाहियों तक लगे रहे तो इससे लोगों का भरोसा कम हो सकता है। इन्वेस्टमेंट पर भी बुरा असर पड़ सकता है।



अमेर‍िका के साथ भारत की हो जाएगी ट्रेड डील

चिनॉय को उम्मीद है कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील हो जाएगी। उन्होंने कहा, 'मैं पुराने विचारों वाला हूं और मेरा मानना है कि ट्रेड से दोनों देशों को फायदा होता है। यह ऐसा नहीं है कि एक को फायदा होगा तो दूसरे को नुकसान। दोनों के लिए जीतने के मौके हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक बड़ा और बढ़ता हुआ बाजार है जो अमेरिकी कंपनियों के लिए आकर्षक है।



चिनॉय ने भारत को दूसरे देशों के साथ भी ट्रेड बढ़ाने की सलाह दी। उन्होंने कहा, 'हमें दूसरे देशों के साथ भी ट्रेड बढ़ाना चाहिए। हमारी ब्रिटेन के साथ पहले से ही ट्रेड डील है। यूरोपीय यूनियन (ईयू) के साथ भी बातचीत चल रही है। उम्मीद है कि इस साल के अंत तक ईयू के साथ भी डील हो जाएगी। भारत अमेरिका के साथ बातचीत के साथ अपने एक्सपोर्ट को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।'



एच-1बी वीजा को लेकर चिनॉय ने कहा, 'यह देखना बाकी है कि ट्रेड बातचीत में एच-1बी वीजा कितना महत्वपूर्ण है। लेकिन, मुझे लगता है कि इसका शुरुआती असर नकारात्मक है। हालांकि, व्हाइट हाउस ने बाद में कुछ बातें साफ कीं, जिससे थोड़ी राहत मिली है। यह नियम सिर्फ नए आवेदनों पर लागू होगा, पुराने पर नहीं। यह एक बार की फीस है, हर साल की नहीं। इससे थोड़ी राहत मिली है।'

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