नई दिल्ली: बेंगलुरु में रहना दिन-प्रतिदिन महंगा होता जा रहा है। यही नहीं, अगर कोई शख्स अपने स्टार्टअप के लिए बेंगलुरु में ऑफिस किराए पर लेना चाहता है तो उसे भी एडवांस के रूप में मोटी रकम देनी होगी। हाल ही में एक स्टार्टअप की फाउंडर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मकान मालिक ने उनसे एडवांस के तौर पर इतना किराया मांग लिया कि यह रकम कई इंस्टिट्यूट में एमबीए की पढ़ाई जितनी है। कई स्टार्टअप्स के लिए यह सिर्फ डिपॉजिट नहीं, बल्कि खुली लूट है।
फिनटेक स्टार्टअप 'डाइम' की फाउंडर चंद्रलेखा एमआर ने लिंक्डइन पर अपना यह पूरी बात पोस्ट की है। एक मकान मालिक ने उनसे 50,000 रुपये प्रति माह वाले ऑफिस के लिए 10 महीने का एडवांस मांगा यानी 5 लाख रुपये। इसका मतलब है कि पहले साल में ही 11 लाख रुपये का भारी-भरकम खर्च। चंद्रलेखा ने लिखा, 'मैं यहीं पैदा हुई और यहीं पली-बढ़ी हूं, लेकिन यह रकम फिर भी अविश्वसनीय लगी।'
दिल्ली-मुंबई में भी नहीं है ऐसाचंद्रलेखा ने लिखा है कि दिल्ली और मुंबई जैसे शहर किराए के तौर पर 2 से 6 महीने का डिपॉजिट मांगते हैं। लेकिन बेंगलुरु के कमर्शियल मकान मालिक इस हद को पार करते हुए बेतुकी मांगें कर रहे हैं। चंद्रलेखा के मुताबिक यह कोई अकेली घटना नहीं है। एक कनाडाई पेशेवर को 2.3 लाख रुपये महीने वाले ऑफिस के लिए 23 लाख रुपये का कोटेशन मिला। एक दूसरे फाउंडर को 40,000 रुपये प्रति माह की जगह के लिए 5 लाख रुपये एडवांस देने को कहा गया।
खाली करने पर भी समस्यासमस्या सिर्फ डिपॉजिट की रकम की नहीं है, बल्कि जब आप ऑफिस खाली करते हैं तब भी है। चंद्रलेखा की पोस्ट के मुताबिक किराएदार बताते हैं कि मकान मालिक अक्सर दीवारों पर लगे दाग या हल्की खरोंच होने पर भी बड़ी रकम काट लेते हैं। चंद्रलेखा ने कहा कि रेडिट पर ऐसी डरावनी कहानियां भरी पड़ी हैं।
कानून के मुताबिक गलतचंद्रलेखा ने लिखा है कि यह मकान मालिकों का मनमाने तरीके से एडवांस लेना मॉडल टेनेंसी एक्ट का उल्लंघन करता है। इस कानून के मुताबिक रेजिडेंशियल किराए के लिए अधिकतम 2 महीने और कमर्शियल किराए के लिए 6 महीने का डिपॉजिट लिया जा सकता है। लेकिन बेंगलुरु में इसका पालन लगभग न के बराबर है। मकान मालिक इसे 'आम बात' कहकर टाल देते हैं।
मकान मालिकों का कहना है कि उन्हें प्रॉपर्टी को नुकसान और अविश्वसनीय किराएदारों से सुरक्षा की जरूरत है। लेकिन चंद्रलेखा का कहना है कि ऑफिस में शिफ्ट होने से पहले ही इतना वित्तीय दबाव झेलना, प्रॉपर्टी खरीदने के लिए डाउन पेमेंट देने जैसा लगता है। बेंगलुरु में न केवल ऑफिस बल्कि फ्लैट का किराया भी आसमान छू रहा है। महंगे किराए के कारण काफी लोग अब बेंगलुरु के नजदीक जैसे मैसूर आदि शिफ्ट होने लगे हैं।
फिनटेक स्टार्टअप 'डाइम' की फाउंडर चंद्रलेखा एमआर ने लिंक्डइन पर अपना यह पूरी बात पोस्ट की है। एक मकान मालिक ने उनसे 50,000 रुपये प्रति माह वाले ऑफिस के लिए 10 महीने का एडवांस मांगा यानी 5 लाख रुपये। इसका मतलब है कि पहले साल में ही 11 लाख रुपये का भारी-भरकम खर्च। चंद्रलेखा ने लिखा, 'मैं यहीं पैदा हुई और यहीं पली-बढ़ी हूं, लेकिन यह रकम फिर भी अविश्वसनीय लगी।'
दिल्ली-मुंबई में भी नहीं है ऐसाचंद्रलेखा ने लिखा है कि दिल्ली और मुंबई जैसे शहर किराए के तौर पर 2 से 6 महीने का डिपॉजिट मांगते हैं। लेकिन बेंगलुरु के कमर्शियल मकान मालिक इस हद को पार करते हुए बेतुकी मांगें कर रहे हैं। चंद्रलेखा के मुताबिक यह कोई अकेली घटना नहीं है। एक कनाडाई पेशेवर को 2.3 लाख रुपये महीने वाले ऑफिस के लिए 23 लाख रुपये का कोटेशन मिला। एक दूसरे फाउंडर को 40,000 रुपये प्रति माह की जगह के लिए 5 लाख रुपये एडवांस देने को कहा गया।
खाली करने पर भी समस्यासमस्या सिर्फ डिपॉजिट की रकम की नहीं है, बल्कि जब आप ऑफिस खाली करते हैं तब भी है। चंद्रलेखा की पोस्ट के मुताबिक किराएदार बताते हैं कि मकान मालिक अक्सर दीवारों पर लगे दाग या हल्की खरोंच होने पर भी बड़ी रकम काट लेते हैं। चंद्रलेखा ने कहा कि रेडिट पर ऐसी डरावनी कहानियां भरी पड़ी हैं।
कानून के मुताबिक गलतचंद्रलेखा ने लिखा है कि यह मकान मालिकों का मनमाने तरीके से एडवांस लेना मॉडल टेनेंसी एक्ट का उल्लंघन करता है। इस कानून के मुताबिक रेजिडेंशियल किराए के लिए अधिकतम 2 महीने और कमर्शियल किराए के लिए 6 महीने का डिपॉजिट लिया जा सकता है। लेकिन बेंगलुरु में इसका पालन लगभग न के बराबर है। मकान मालिक इसे 'आम बात' कहकर टाल देते हैं।
मकान मालिकों का कहना है कि उन्हें प्रॉपर्टी को नुकसान और अविश्वसनीय किराएदारों से सुरक्षा की जरूरत है। लेकिन चंद्रलेखा का कहना है कि ऑफिस में शिफ्ट होने से पहले ही इतना वित्तीय दबाव झेलना, प्रॉपर्टी खरीदने के लिए डाउन पेमेंट देने जैसा लगता है। बेंगलुरु में न केवल ऑफिस बल्कि फ्लैट का किराया भी आसमान छू रहा है। महंगे किराए के कारण काफी लोग अब बेंगलुरु के नजदीक जैसे मैसूर आदि शिफ्ट होने लगे हैं।
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