नई दिल्ली: दिवाली पर जहां रोशनी फैलनी चाहिए, वहां अब अंधकार भी फैल रहा है। वजह है, यूट्यूब देखकर घरों में बनाई जा रही 'कार्बाइड गन' जैसे खतरनाक देसी पटाखे जिंदगी से रोशनी छीन रहे है। बीती दिवाली पर एम्स में पटाखों से घायल होकर 200 से ज्यादा लोग पहुंचे, जिनमें से ममले ऐसे थे जो कार्बाइड गन के विस्फोट से घायल हुए। इन मरीजों की आंखों में गंभीर चोटें आई है। आशंका है कि कई की नजरों की रोशनी लौटना मुश्किल है।
एम्स के डॉक्टरों के अनुसार, इस दिवाली पर ग्रीन पटाखों के अलावा कार्बाइड गन की वजह से बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। दिवाली से पहले ही करीब 20 मामले सामने आ गए थे जबकि पहले ऐसा नहीं होता था। दिवाली के दिन एम्स के आई यूनिट में लगभग 100 मामले आए, अगले दिन 50 और उसके बाद 301 इनमें से 30 मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है।
एम्स के आरपी सेंटर की प्रमुख डॉ. राधिका टंडन ने बताया कि इस साल सोशल मीडिया की अंधी नकल ने कई घरों की खुशियां बुझा दी। यूट्यूब देखकर कार्बाइड गन बनाते समय घायल हुए लगभग 17 मरीन एम्स पहुंचे। इन मरीजों को थर्मोंकेमिकल जलन्, कार्निया गलने आंखों में धंसे कण, आंख की झिल्ली के नष्ट होने जैसी गंगौर चोटें आई। कई को एम्नियोटिक मैनेन ग्राफ्टिंग, टेक्टोलिक केरेंटोप्लास्टी और अन्य सर्जरी की जरूरत पड़ी।
सोशल मीडिया से नकल
दिल्ली-एनसीआर में बड़े पैमाने पर बन रही: जानकारी के मुताबिक एम्स में अब तक कार्बाइड गन से घायल हुए लगभग 19 मरीज पहुंचे है। इनमें से 8 मामले एक ही दिन में आए, जिनमें 7 दिल्ली के और 1 गाजियाबाद का है। सभी मरीजों की आखों की सर्जरी की जा चुकी है और उनकी निगरानी की जा रही है।
क्या होती है कार्बाइड गन?कार्बाइड गन आमतौर पर प्लास्टिक या टिन के पाइप से घर में बनाई जाती है। इसमें कैल्शियम कार्बाइड और पानी मिलाकर केमिकल रिएक्शन कराया जाता है। इससे तेज विस्फोट होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, ये दिखने में खिलोने जैसी, लेकिन बेहद खतरनाक होती है। इसमें कैल्शियम कार्बाइड, माचिस की तीलिया और बारूद का मिश्रण भरा जाता है। पानी मिलाने पर गैस बनती है, जिसे जलाने पर शक्तिशाली विस्फोट होता है। कई कर जब यह नहीं जलती तो लोग पाइप के छेद में झाकते है और अचानक विस्फोट हो जाता है।
एम्स के डॉक्टरों के अनुसार, इस दिवाली पर ग्रीन पटाखों के अलावा कार्बाइड गन की वजह से बड़ी संख्या में लोग घायल हुए। दिवाली से पहले ही करीब 20 मामले सामने आ गए थे जबकि पहले ऐसा नहीं होता था। दिवाली के दिन एम्स के आई यूनिट में लगभग 100 मामले आए, अगले दिन 50 और उसके बाद 301 इनमें से 30 मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है।
एम्स के आरपी सेंटर की प्रमुख डॉ. राधिका टंडन ने बताया कि इस साल सोशल मीडिया की अंधी नकल ने कई घरों की खुशियां बुझा दी। यूट्यूब देखकर कार्बाइड गन बनाते समय घायल हुए लगभग 17 मरीन एम्स पहुंचे। इन मरीजों को थर्मोंकेमिकल जलन्, कार्निया गलने आंखों में धंसे कण, आंख की झिल्ली के नष्ट होने जैसी गंगौर चोटें आई। कई को एम्नियोटिक मैनेन ग्राफ्टिंग, टेक्टोलिक केरेंटोप्लास्टी और अन्य सर्जरी की जरूरत पड़ी।
सोशल मीडिया से नकल
- डॉ. राधिका टंडन ने बताया कि सोशल मीडिया की अंधी नकल ने कई घरों की खुशियां बुझा दी
- इन मरीजों को थर्मोकेमिकल जलन, कॉर्निया गलने, आंखो में धंसे कण, आंख की झिल्ली के नष्ट होने जैसी चोटें आई
दिल्ली-एनसीआर में बड़े पैमाने पर बन रही: जानकारी के मुताबिक एम्स में अब तक कार्बाइड गन से घायल हुए लगभग 19 मरीज पहुंचे है। इनमें से 8 मामले एक ही दिन में आए, जिनमें 7 दिल्ली के और 1 गाजियाबाद का है। सभी मरीजों की आखों की सर्जरी की जा चुकी है और उनकी निगरानी की जा रही है।
क्या होती है कार्बाइड गन?कार्बाइड गन आमतौर पर प्लास्टिक या टिन के पाइप से घर में बनाई जाती है। इसमें कैल्शियम कार्बाइड और पानी मिलाकर केमिकल रिएक्शन कराया जाता है। इससे तेज विस्फोट होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, ये दिखने में खिलोने जैसी, लेकिन बेहद खतरनाक होती है। इसमें कैल्शियम कार्बाइड, माचिस की तीलिया और बारूद का मिश्रण भरा जाता है। पानी मिलाने पर गैस बनती है, जिसे जलाने पर शक्तिशाली विस्फोट होता है। कई कर जब यह नहीं जलती तो लोग पाइप के छेद में झाकते है और अचानक विस्फोट हो जाता है।
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