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एक बब्बर शेर अर्ज है...

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एक चुटकुला सुना था कि जेल में बंद एक कैदी दूसरे से पूछता है कि तुम यहां कैसे आए? दूसरा बेरुखी से जवाब देता है, सरकार को कंपटीशन पसंद नहीं। पहले वाले ने कहा- खुलकर कहो। तो दूसरा पूरी तरह से खुल गया, बोला- सरकार नोट छापती है, हम भी छापने लगे थे। हमारे ज्यादा असली लगते थे। सरकार को बर्दाश्त न हुआ, हम पकड़े गए।

ऐसा ही यूपी के जिला बाराबंकी में हुआ। यहां पर देवा शरीफ का एक युवा निहायत ही पर्यावरण प्रेमी है। उसे जीव जंतुओं से बहुत प्यार है। एक दिन उसने सोचा कि प्रांत के इस हिस्से में कोई बब्बर शेर नहीं है। इस पर कुछ किया जाना चाहिए। उसने कुछ प्रयास किया और बाराबंकी के सुरम्य जंगलों में बब्बर शेर की एक तस्वीर खींचने में कामयाबी पाई। इतना ही नहीं, उसके पगमार्क तक के फोटो खींच लिए।

अपनी उपलब्धि को उसने नवंबर पहले सप्ताह में वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी पर शेयर कर दिया। इस खबर ने समाज के एक बड़े वर्ग को तुरंत प्रभावित किया। इनमें वे लोग बड़ी संख्या में थे जो प्रधानमंत्री शौचालय योजना का लाभ उठाने को तैयार नहीं थे। ये जंगलवॉक के बहाने सुबह-शाम लोटा लेकर जंगल जाते थे। बब्बर शेर की इस खबर से उनकी दिनचर्या, स्वेच्छाचारिता और पर्यावरण प्रेम में फौरी तौर पर बदलाव हुआ।लेकिन इस पर सबसे ज्यादा ऐतराज वन विभाग को हुआ।

वह मानने को राजी नहीं हुआ कि प्रांत के इस हिस्से में बब्बर शेर मौजूद हो सकता है। बाराबंकी पुलिस ने अपनी काबिलियत दिखाई और कुछ घंटों में वह होनहार युवा थाने में पाया गया। थानेदार महोदय ने तुरंत ही उसके साथ एक पॉडकास्ट किया। इसमें युवक ने हाथ जोड़कर कहा कि माईबाप हमने AI की मदद से शेरे बब्बर का फोटो बनाया था। आगे से ऐसा नहीं होगा। लेकिन अंदर ही अंदर वह सोच रहा होगा कि जब अफ्रीका से करोड़ों खर्च करके मध्यप्रदेश के कूनो में चीते लाए जा सकते हैं तो क्या हम बाराबंकी में बब्बर शेर लाने की वैचारिक पहल नहीं शुरू कर सकते?

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