इस्लामाबाद: पूरी दुनिया इस बात को जानती है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकवादियों को पनाह देता रहा है, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद तो पाकिस्तान की सरकार और आतंकवादियों के बीच का महीन फर्क मिटता जा रहा है। पाकिस्तान के नेता अब खुलेआम आतंकवादियों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं और आतंकवादियों की रैलियों में शामिल हो रहे हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के करीबी और पाकिस्तानी पंजाब प्रांत की विधानसभा के स्पीकर मलिक अहमद खान ने अब लश्कर-ए-तैयबा के उप प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी के साथ रैली में हिस्सा लिया और खुलकर उसका समर्थन किया। लश्कर आतंकवादी सैफुल्लाह कसूरी ने ही 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले की साजिश रची थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे।
पंजाब के स्पीकर ने किया आतंकी कसूरी का समर्थन
पाकिस्तानी पंजाब प्रांत की विधानसभा के स्पीकर मलिक अहमद खान ने अमेरिका से घोषित आतंकवादी और लश्कर प्रमुख हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद के साथ एक रैली में हिस्सा लिया। इस रैली में पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह कसूरी भी शामिल हुआ। पत्रकारों ने जब सैफुल्लाह कसूरी के बारे में मलिक से पूछा तो उन्होंने कहा कि कसूरी को बिना जांच के आरोपी के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने गर्व से कसूरी के साथ अपने निजी संबंधों के बारे में बताया। खान ने मोदी सरकार के खिलाफ जहर उगला और पहलगाम आतंकी हमले को भारत की साजिश बता डाला।
रैली में किया गया गया कसूरी का स्वागत
रैली में लश्कर-ए-तैयबा का उप प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी एम4 कार्बाइन लेकर सुरक्षाकर्मियों के एक दल के साथ पहुंचा था। एम4 कार्बाइन हथियार अमेरिकी सेना अफगानिस्तान के जाते वक्त छोड़ गई थी। हाल के समय में जम्मू-कश्मीर में इन हथियारों का इस्तेमाल आतंकवादी हमलों में किया गया है। 28 मई को आयोजित रैली में जब कसूरी पहुंचा को उसका स्वागत भारत पर 'जीत' हासिल करने वाले के रूप में किया गया।
बांग्लादेश में तख्तापलट करने का दावा
इसी रैली को संबोधित करते हुए लश्कर के आतंकवादियों ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट में भी भूमिका का दावा किया, जिसके कारण उन्हें भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी। अमेरिका से घोषित आतंकवादी मुजम्मिल हाशमी और कसूरी ने रैली के दौरान तख्तापलट में भूमिका का श्रेय लिया और कहा कि 'हम पिछले साल बांग्लादेश में आपके खिलाफ जीते।'
हाशमी ने रैली के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर उगला। उसने कहा, 'तुम हमें अपनी गोली से डराते हो, मोदी हम तुझे पैगाम देते हैं, हमारे बच्चे तेरी मिसाइलों से नहीं डरते, हम तेरी गोली से क्या डरेंगे।' उसी सप्ताह एक अन्य रैली में कसूरी ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध और हाल की घटनाओं के बीच समानताएं बताते हुए कहा कि उनके समूह ने पिछली हार का बदला ले लिया है।
पंजाब के स्पीकर ने किया आतंकी कसूरी का समर्थन
पाकिस्तानी पंजाब प्रांत की विधानसभा के स्पीकर मलिक अहमद खान ने अमेरिका से घोषित आतंकवादी और लश्कर प्रमुख हाफिज सईद के बेटे तल्हा सईद के साथ एक रैली में हिस्सा लिया। इस रैली में पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड सैफुल्लाह कसूरी भी शामिल हुआ। पत्रकारों ने जब सैफुल्लाह कसूरी के बारे में मलिक से पूछा तो उन्होंने कहा कि कसूरी को बिना जांच के आरोपी के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने गर्व से कसूरी के साथ अपने निजी संबंधों के बारे में बताया। खान ने मोदी सरकार के खिलाफ जहर उगला और पहलगाम आतंकी हमले को भारत की साजिश बता डाला।
रैली में किया गया गया कसूरी का स्वागत
रैली में लश्कर-ए-तैयबा का उप प्रमुख सैफुल्लाह कसूरी एम4 कार्बाइन लेकर सुरक्षाकर्मियों के एक दल के साथ पहुंचा था। एम4 कार्बाइन हथियार अमेरिकी सेना अफगानिस्तान के जाते वक्त छोड़ गई थी। हाल के समय में जम्मू-कश्मीर में इन हथियारों का इस्तेमाल आतंकवादी हमलों में किया गया है। 28 मई को आयोजित रैली में जब कसूरी पहुंचा को उसका स्वागत भारत पर 'जीत' हासिल करने वाले के रूप में किया गया।
बांग्लादेश में तख्तापलट करने का दावा
इसी रैली को संबोधित करते हुए लश्कर के आतंकवादियों ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के तख्तापलट में भी भूमिका का दावा किया, जिसके कारण उन्हें भागकर भारत में शरण लेनी पड़ी। अमेरिका से घोषित आतंकवादी मुजम्मिल हाशमी और कसूरी ने रैली के दौरान तख्तापलट में भूमिका का श्रेय लिया और कहा कि 'हम पिछले साल बांग्लादेश में आपके खिलाफ जीते।'
हाशमी ने रैली के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर उगला। उसने कहा, 'तुम हमें अपनी गोली से डराते हो, मोदी हम तुझे पैगाम देते हैं, हमारे बच्चे तेरी मिसाइलों से नहीं डरते, हम तेरी गोली से क्या डरेंगे।' उसी सप्ताह एक अन्य रैली में कसूरी ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध और हाल की घटनाओं के बीच समानताएं बताते हुए कहा कि उनके समूह ने पिछली हार का बदला ले लिया है।
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