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भारत के इस पड़ोसी देश को धीरे-धीरे निगल रहा समुद्र, एक भारतीय द्वीप पर भी डूबने का खतरा, पृथ्वी दिवस पर समझें डर

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माले: हर साल 22 अप्रैल को पूरी दुनिया में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। यह दिन हमें जीवन देने वाली धरती की देखभाल करने और मिट्टी से फिर से जुड़ने के लिए एक कार्रवाई का आह्वान है। आज जब हम इंसानों ग्लोबल वॉर्मिंग और प्रदूषण जैसी समस्या का विकराल रूप में बढ़ा दिया है, इसका महत्व और ज्यादा हो गया है। पृथ्वी दिवस पर हमें हमारी धरती के ऊपर मंडरा रहे उन खतरों को पहचानने की जरूरत है, जिनका असर हमारे आने वाली पीढ़ियों पर गंभीर रूप से पड़ेगा। यह खतरा भारत के मुहाने तक पहंच गया है, जहां हमारा एक पड़ोसी देश पर डूब जाने का खतरा मंडरा रहा है। यही नहीं, एक भारतीय द्वीप पर भी खतरे की जद में है।भारत के पड़ोस में हिंद महासागर में मौजूद द्वीपीय देश मालदीव पर्यटकों के लिए स्वर्ग की तरह है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह दुनिया के सबसे निचले देश का खिताब भी रखता है। हिंद महासागर के बीच में मौजूद इस पूरे देश की समुद्र तल से औसत ऊंचाई केवल 1.5 मीटर है। इसी से कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है, भारत का सबसे छोटा केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप। नीले पानी के बीच बसे मालदीव और लक्षद्वीप एक स्वर्ग जैसी दुनिया का अहसास दिलाते हैं। लेकिन उनके रोमांटिक तस्वीरों के पीछे एक चौंकाने वाला सच छिपा है। हर दिन उन्हें समुद्र निगल रहा है। मालदीव पर खतराअपने 1190 द्वीपों में फैला मालदीव का 80 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र समुद्र तल से 1 मीटर से भी कम ऊंचा है। इसके कारण मालदीव के लिए बढ़ते समुद्र के स्तर का खतरा सबसे ज्यादा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, 1901 से 2018 तक वैश्विक समुद्र स्तर में 15-25 सेमी की वृद्धि हुई है। इसमें औसत वार्षिक वृद्धि 1-2 मिमी है। हालांकि, 2013 से 2022 तक वार्षिक वृद्धि 4.62 मिमी/वर्ष हो गई है, जो पिछले दशक में तेज गति का संकेत है। समुद्र स्तर में वृद्धि की तेज दर, साथ ही भविष्य में होने वाली संभावित वृद्धि मालदीव के लिए एक चिंताजनक तस्वीर पेश करती है। जलवायु वैज्ञानिकों ने साल 2050 तक इसके कई द्वीपों के संभावित रूप से जलमग्न होने के साथ ही बड़े पैमाने पर भूमि के डूब जाने का अनुमान लगाया है। बढ़ते समुद्र स्तर का प्रभाव पूरे देश के लिए अनिश्चित बना हुआ है। लेकिन इस खतरे को केवल मालदीव तक ही सीमित मान लेना सही नहीं है। भारत का लक्षद्वीप भी खतरे की जद मेंआईआईडी खड़गपुर और विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी विभाग के एक अध्ययन के अनुसार, लक्षद्वीप द्वीपसमूह को भी बढ़ते समुद्र स्तर के चलते भविष्य में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस द्वीपसमूह के लिए 0.4-0.9 मिमी प्रति वर्ष के खतरनाक समुद्र स्तर वृद्धि की भविष्यवाणी की गई है। समुद्र के पानी के भूमि पर अतिक्रमण करने से अमिनी और चेतलाट जैसे छोटे द्वीपों को अपनी तटरेखाओं का 60% से 80% खोने का खतरा है। मिनिकॉय और राजधानी कवरत्ती के बड़े द्वीपों को अपने तटीय क्षेत्रों का 60 प्रतिशत नुकसान हो सकता है। मानवीय त्रासदी मुहाने पर खड़ीजैसे-जैसे तटरेखाएं पीछे हट रहीं हैं, तट के किनारे बसे समुदायों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ रहा है। बढ़ती हुई लहरें केवल जमीन और पेड़-पौधों को ही खतरे में नहीं डालती हैं। यह एक मानवीय त्रासदी की भी पूर्व घोषणा है। विडंबना तो यह है कि इन द्वीपों पर रहने वाले जलवायु परिवर्तन के उन परिणामों का सामना कर रहा है, जिसके लिए वे जिम्मेदार नहीं है। वे वैश्विक संकट के पहले शिकार हैं, जो गर्म होते ग्रह और जलवायु परिवर्तन के चलते पैदा हुआ है। यह परिवर्तन उनके तटों से कहीं दूर लिए गए फैसलों से प्रेरित है। पृथ्वी दिवस पर हमें इन खतरों की तरफ देखने और कार्रवाई करने की जरूरत का अहसास दिलाता है।
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